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प्रदोष काल में भगवान शिव करते हैं कैलाश पर नृत्य 

प्रत्येक माह की त्रयोदशी तिथि में सायं काल को प्रदोष काल कहा जाता है। तिथियों में त्रयोदशी तिथि को प्रदोष तिथि की संज्ञा प्रदान की गई है। भगवान शिव को यह व्रत परम प्रिय है। माना जाता है कि...

प्रदोष काल में भगवान शिव करते हैं कैलाश पर नृत्य 
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 23 Apr 2017 05:42 PM
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प्रत्येक माह की त्रयोदशी तिथि में सायं काल को प्रदोष काल कहा जाता है। तिथियों में त्रयोदशी तिथि को प्रदोष तिथि की संज्ञा प्रदान की गई है। भगवान शिव को यह व्रत परम प्रिय है। माना जाता है कि प्रदोष के समय भगवान शिव, कैलाश पर्वत के रजत भवन में नृत्य करते हैं और देवता उनकी स्तुति करते हैं। इस अत्यंत शुभ समय में मात्र एक बिल्वपत्र भगवान शिव पर अर्पित करना महापूजा के समान फलदायी है।

इस समय शिव मंदिर में दीपक प्रज्ज्वलित करने का बहुत अधिक महत्व है। प्रदोष व्रत से हर दोष मिट जाता है। सोमवार के दिन प्रदोष व्रत आरोग्य प्रदान करता है और सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है। शास्त्रों में कहा गया है कि प्रदोष व्रत रखने से दो गायों को दान करने के समान पुण्य फल प्राप्त होता है। इस व्रत में आहार ग्रहण नहीं किया जाता है। पूरे दिन उपवास रखने के बाद सूर्यास्त से एक घंटा पहले, स्नान कर श्वेत वस्त्र धारण किए जाते हैं।

ऊं नम: शिवाय का जाप करते हुए भगवान शिव को जल अर्पित करना चाहिए। भगवान शिव की सोलह सामग्री से पूजा करें। शिव आरती करें। शिव स्त्रोत, मंत्र जप करें। रात्रि में जागरण करें। सोमवार, मंगलवार एवं शनिवार के प्रदोष व्रत अत्याधिक प्रभावकारी माने गए हैं।

इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैंजिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।

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