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कहीं नहीं देखा होगा इतना बड़ा शिवलिंग, वीडियो में जानें क्या है कहानी

बात लगभग चार दशक पहले की है, जब लखीसराय के चौकी गांव के दो बच्चों ने जमीन खोद कर खेले जाने वाले खेल सतघरवा खेलने के दौरान काला पत्थर देखा। खोदने पर जब बच्चों से वह काला पत्थर नहीं निकल पाया, तो...

कहीं नहीं देखा होगा इतना बड़ा शिवलिंग, वीडियो में जानें क्या है कहानी
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 24 Feb 2017 01:26 PM
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बात लगभग चार दशक पहले की है, जब लखीसराय के चौकी गांव के दो बच्चों ने जमीन खोद कर खेले जाने वाले खेल सतघरवा खेलने के दौरान काला पत्थर देखा। खोदने पर जब बच्चों से वह काला पत्थर नहीं निकल पाया, तो ग्रामीणों को सूचना दी। टीले की खुदाई की गई, तो वह काला पत्थर नहीं, बल्कि एक विशालकाय शिवलिंग निकला।

सात अप्रैल 1977 में मिला वही शिवलिंग आज लखीसराय जिले की पहचान बन चुका है। पाल वंश कालीन सातवीं-आठवीं सदी के राजा इंद्रदमन के नाम पर शिवलिंग का नाम इंद्रदमनेश्वर महादेव पड़ा, जबकि उसी अशोक नामक बालक के नाम पर धाम का नाम अशोकधाम पड़ा। कहा जाता है कि यह शिवलिंग प्रभु श्रीराम द्वारा पूजित भी है। कहा जाता है कि पालवंश के राजा इंद्रदमन भगवान शिव के अनन्य भक्त थे। उन्हीं ने मंदिरों का निर्माण कराया था, जो कालांतर में भूमिगत हो गए। इस शिवलिंग के देश में सबसे विशाल होने की भी बात कही जाती है। 

इन 40 सालों में लोगों के सहयोग से विशाल शिव मंदिर एक धाम के रूप में परिणत हो चुका है। बिहार-झारखंड विभाजन में वैद्यनाथ धाम, देवघर के कट जाने के बाद इस अशोकधाम को बिहार के बाबाधाम के नाम से जाना जाने लगा। मंदिर में बैठे बाबा अशोक यादव बताते हैं कि श्रावण में लाखों की संख्या में कांवरिया पहुंचकर यहां बाबा का जलाभिषेक करते हैं। मंदिर के विकास के लिए इंद्रदमनेश्वर महादेव मंदिर ट्रस्ट की स्थापना की गई और इसी ट्रस्ट की देखरेख में जनसहयोग से करोड़ों रुपए की लागत से मंदिर निर्माण कराया गया। यहां सामूहिक विवाह समारोह का आयोजन कर एक साथ सैकड़ों कन्याओं की शादी संपन्न होती है।

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