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Hindi News ओपिनियन नजरियादिल, दिमाग और दम से मुंबई इंडियंस बनी चैंपियन

दिल, दिमाग और दम से मुंबई इंडियंस बनी चैंपियन

जिस नाटकीय और रोचक अंदाज में रविवार को मुंबई इंडियंस ने इंडियन प्रीमियर लीग के दसवें सीजन की ट्रॉफी पर कब्जा किया, वह लंबे समय तक क्रिकेट फैंस को याद रहेगा। सांस रोक देने वाले इस मैच में पुणे...

दिल, दिमाग और दम से मुंबई इंडियंस बनी चैंपियन
शिवेंद्र कुमार सिंह, वरिष्ठ खेल पत्रकारMon, 22 May 2017 10:45 PM
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जिस नाटकीय और रोचक अंदाज में रविवार को मुंबई इंडियंस ने इंडियन प्रीमियर लीग के दसवें सीजन की ट्रॉफी पर कब्जा किया, वह लंबे समय तक क्रिकेट फैंस को याद रहेगा। सांस रोक देने वाले इस मैच में पुणे सुपरजाइंट को आखिरी ओवर में जीत के लिए 11 रन चाहिए थे। उस वक्त क्रीज पर कप्तान स्टीव स्मिथ और मनोज तिवारी मौजूद थे। इसके अलावा कई बल्लेबाज ‘डगआउट’ में सुरक्षित बैठे थे। बावजूद इसके पुणे सुपरजाइंट की टीम का चैंपियन बनने का सपना टूट गया। मैच के बाद रोहित शर्मा का बयान इस जीत की सच्चाई को सामने रखता है। रोहित शर्मा ने तीसरी बार आईपीएल जीतने के बाद कहा कि व्यक्तिगत प्रदर्शनों से कुछ मैच तो जीते जा सकते हैं, लेकिन चैंपियनशिप जीतने के लिए टीम को एक साथ दिल, दिमाग और दम लगाना पड़ता है। हैदराबाद के राजीव गांधी स्टेडियम में क्रिकेट का यही पक्ष सामने आया भी। संयम, जज्बा और समर्पण के तालमेल ने मुंबई को चैंपियन बना दिया। यह कहावत फाइनल मैच के लिए सौ फीसदी सही है कि मुंबई के खिलाड़ी हार के मुंह से जीत छीनकर ले आए। यूं तो अब नतीजा सामने है, इसलिए बातें करना आसान है, लेकिन रविवार के फाइनल मैच के घटनाक्रम को सिलसिलेवार तरीके से याद कीजिए।

फाइनल में मुंबई की टीम पहले बल्लेबाजी का फैसला लेती है। जिस पिच के बारे में सचिन तेंदुलकर जैसे महान बल्लेबाज मैच से पहले इंटरव्यू में इशारा करते हैं कि पिच पर अच्छा स्कोर देखने को मिलेगा, उस मैच में मुंबई की टीम 79 रन पर सात विकेट गंवा देती है। क्रुनाल पांड्या की बल्लेबाजी की बदौलत बड़ी मुश्किल से मुंबई की टीम 20 ओवर में 129 रन बनाती है। जिस 2017 सीजन में पुणे सुपरजाइंट ने मुंबई इंडियंस को तीन के तीन मैचों में हराया हो, उसे फाइनल जैसे बड़े मैच में जीत के लिए 130 रनों का छोटा सा लक्ष्य मिलता है। 

मुंबई की टीम इस छोटे से लक्ष्य को बचाने के लिए जब मैदान में उतरती है, तो एक के बाद दूसरी गलती करती है। पारी के चौथे ओवर में लसिथ मलिंगा की गेंद पर अजिंक्य रहाणे का बिल्कुल आसान सा कैच क्रुणाल पांड्या के हाथ से फिसल जाता है। थोड़ी ही देर में सुनील गावस्कर कमेंट्री करते हुए यहां तक कह देते हैं कि टॉस के अलावा मुंबई के पक्ष में कुछ भी जाता नहीं दिख रहा है। इसी दौरान मुंबई की टीम रनआउट के भी कुछ मौके गंवा देती है। पुणे सुपरजाइंट की टीम बड़ी ही संतुलित चाल से फाइनल स्कोर की तरफ कदम बढ़ाती जाती है। जसप्रीत बुमराह और कर्ण शर्मा के सधे ओवरों में रन बटोरना मुश्किल जान पड़ता है, तो पुणे सुपरजाइंट के बल्लेबाज अगले ओवर का इंतजार करते हैं।

दरअसल पुणे सुपरजाइंट के पक्ष में मैच पलटता है 17वें ओवर से। इस ओवर में जसप्रीत बुमराह जब महेंद्र सिंह धौनी को आउट करते हैं, तब पुणे सुपरजाइंट का स्कोर रहता है 98 रन। यहां यह भी बताना जरूरी है कि फाइनल मैच के लिए धौनी, मनोज तिवारी से पहले बल्लेबाजी करने आते हैं, पर उनका दांव चल नहीं पाता है। धौनी के आउट होने के बाद भी स्टीव स्मिथ और मनोज तिवारी जैसे दो ‘प्योर’ बल्लेबाज क्रीज पर हैं। चुनौती बस इस बात की है कि रन रेट करीब 10 तक पहुंच चुका है। इसी रन रेट का दबाव पुणे सुपरजाइंट की टीम नहीं झेल पाती। रोहित शर्मा की मैच को आखिरी ओवर तक ले जाने की रणनीति यहीं काम आती है। 

आखिरी के तीन ओवर में पुणे को 30 रन चाहिए होते हैं। रोहित शर्मा ने 18वां ओवर मलिंगा को, 19वां बुमराह और 20वां ओवर मिचेल जॉनसन को दिया। मलिंगा और बुमराह, दोनों के सामने लक्ष्य सिर्फ यह होता है कि वे आखिरी ओवर के लिए कितने ज्यादा से ज्याद रन बचाकर जॉनसन को देंगे। रोहित शर्मा लगातार इन गेंदबाजों के साथ बात करते रहते हैं। मुंबई की टीम अचानक मैच में वापसी करती दिखने लगती है। मैदान में हर तरफ आवाजाही बढ़ जाती है। मुंबई इंडियंस एक चैंपियन टीम की तरह दिखने लगती है। ऐसा लगता ही नहीं कि कुछ मिनट पहले इसी टीम के खिलाड़ी सस्ते में आउट हुए थे, कैच टपकाए थे, रन आउट के मौके गंवाए थे। ऐसा लगने लगता है कि इस टीम को तो चैंपियन बनना ही है। यही सोच मुंबई इंडियंस को चैंपियन बना भी देती है।
(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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