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आपके बाद

जिंदगी के कुछ लमहों को यादगार बनाना तो सभी चाहते हैं, लेकिन ज्यादातर यही पाते हैं कि ऐसा कोई बड़ा काम करना उनके बस का नहीं। दरअसल, यादगार कैसी हो, इसे लेकर लोग गफलत में रहते हैं। यह संभव ही नहीं कि...

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लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 24 Mar 2017 12:50 AM
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जिंदगी के कुछ लमहों को यादगार बनाना तो सभी चाहते हैं, लेकिन ज्यादातर यही पाते हैं कि ऐसा कोई बड़ा काम करना उनके बस का नहीं। दरअसल, यादगार कैसी हो, इसे लेकर लोग गफलत में रहते हैं। यह संभव ही नहीं कि सभी ऐतिहासिक पुरुष बनने की क्षमता रखते हों। फिर क्या किया जाए?

अमेरिकी उपन्यासकार रे ब्रॉडबेरी कहते हैं कि आप कुछ तैयार कीजिए, एक पुस्तक, एक कलाकृति, एक घर या हाथ से बनी मिट्टी-गारे की कोई दीवार, हाथ से बनाए जूते, फूलों की क्यारी, या कोई पौधा रोपिए। कुछ भी ऐसा, जो आनंदमय स्थिति में सृजित किया गया हो। रे ने आगे कहा कि किसी ने बड़ा काम किया या छोटा, इस बात का कोई महत्व नहीं। महत्व इस बात का है कि आपने अपने हाथों से आत्मा की संगीतात्मक लय पर कुछ ऐसा सृजित किया, जो पहले नहीं था। 

यह सचमुच सोचने वाली बात है कि जो बरसों पहले हमारे आस-पास पीपल-बरगद जैसे पेड़ लगा गए, क्या उनका योगदान अखबारों की सुर्खियों में रहने वालों से कम है? कुछ करके दिखाने का मतलब सिर्फ यही नहीं है कि हमें पद-प्रतिष्ठा और पैसे के पैमाने पर खरा माना जाए। यह भी है कि आपका कोई काम दिल को छूता हो और आपके जाने के बाद भी छूता रहे। दिल के करीब रहने वाले सारे लोग आपकी छोटी-छोटी बातों के ही कद्रदान होते हैं। 

वांगारी मथाई की बातें याद करें। नोबेल मिल चुकने के बाद के दौर में उन्होंने कहा था कि मेरे लिए पुरस्कारों से बढ़कर वह खुशी है, जो मुझे पौधे लगाने से मिलती है, उसकी नई-नई कोंपलें फूटते देख मिलती है। मैं अभिभूत रहती हूं इस बात से कि मेरे जाने के बाद भी ये बचेंगी। प्रवीण कुमार

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