फोटो गैलरी

Hindi News ओपिनियनसबके लिए समान नहीं हैं हवाई यात्रा के सुख-दुख

सबके लिए समान नहीं हैं हवाई यात्रा के सुख-दुख

ऐलिफेंटाइसिस की बीमारी से जूझ रही विश्व की संभवत: सबसे वजनी मिस्र की 500 किलोग्राम वजन की महिला ईमान अहमद मुंबई के सैफी अस्पताल में ऑपरेशन के लिए पहुंच गई हैं। सामान्यत: किसी भी एयरलाइन के स्ट्रेचर...

सबके लिए समान नहीं हैं हवाई यात्रा के सुख-दुख
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 13 Feb 2017 11:09 PM
ऐप पर पढ़ें

ऐलिफेंटाइसिस की बीमारी से जूझ रही विश्व की संभवत: सबसे वजनी मिस्र की 500 किलोग्राम वजन की महिला ईमान अहमद मुंबई के सैफी अस्पताल में ऑपरेशन के लिए पहुंच गई हैं। सामान्यत: किसी भी एयरलाइन के स्ट्रेचर पर अधिक से अधिक 100 किलोग्राम के मरीज को ही ले जाया जा सकता है, पर ईमान को यहां लाने के लिए ईिजप्ट एयर के विमान में विशेष बिस्तर बनाया गया था, जिसे क्रेन की मदद से एयरपोर्ट पर उतारा गया। 

ईमान अहमद का मामला अलग है और उसके लिए विशेष इंतजाम भी किए गए, लेकिन मोटे लोगों के लिए विमान यात्रा आमतौर पर परेशान होनेवाला अनुभव होता है।आमतौर पर विमानों में इकोनॉमी सीट में औसत चौड़ाई ‘आर्म रेस्ट’ के बीच में 17 से 19 इंच होती है। यह थोड़े से भी बड़े आकार वाले लोगों के लिए समस्या खड़ी कर देती है। अमेरिका में यह मुद्दा काफी समय से उठाया जा रहा है, क्योंकि वहां हर तीन में एक वयस्क अब पहले की अपेक्षा अधिक मोटा होने लगा है। कुछ विमान सेवाएं कहती हैं कि यदि किसी यात्री को ‘आर्म रेस्ट’ गिरे होने की स्थिति में सीट पर बैठने में मुश्किल होती है, तो उसे बुकिंग के समय ही दो सीटें बुक करा लेनी चाहिए। कुछ में एक हद से अधिक वजन वाले लोगों को दो सीट लेना अनिवार्य कर दिया गया है। हालांकि हर विमान सेवा की नीति अलग-अलग है। कुछ एयरलाइन का कहना है कि मोटे लोगों को एक्जीक्यूटिव क्लास में सीट बुक करानी चाहिए, क्योंकि वह कहीं ज्यादा चौड़ी होती है। अमेरिका की साउथ वेस्ट एयरलाइंस में मोटे लोगों को बुकिंग के समय दो सीट बुक कराने पर बाद में एक सीट का पूरा किराया वापस कर दिया जाता है, भले ही हवाई जहाज फुल हो या नहीं। कुछ एयरलाइंस दूसरी सीट बुक कराने पर रियायत देती हैं।
इस समस्या को सुलझाने के लिए तीन विकल्प सुझाए गए हैं। एक विकल्प तो यही है कि यात्रियों से उनके वजन और सामान को मिलाकर प्रति किलोग्राम के हिसाब से किराया लिया जाए। इस विकल्प में सबसे अधिक लाभ बच्चों के साथ यात्रा करने वालों को होगा, क्योंकि अभी बच्चों के लिए पूरे टिकट का मूल्य देना होता है। उज्बेकिस्तान एयरलाइंस ने अगस्त, 2015 से यात्रियों का वजन करना शुरू कर दिया है और यह भी तय किया है कि व्यस्त सीजन व कम दूरी की फ्लाइट में वजनी लोगों को यात्रा करने से मना किया जा सकता है। एक सर्वे से पता चला है कि 58 प्रतिशत से अधिक यात्री इस पर आपत्ति नहीं करेंगे कि गेट पर तौलने की मशीनें रखी जाएं और अधिक वजन वाले लोगों से अधिक किराया लिया जाए। तर्क ये दिए जाते हैं कि जितना अधिक वजन होगा, उतना ही अधिक ईंधन खर्च होगा। कहा जाता है कि किसी भी एयरलाइंस के बजट में सबसे अधिक खर्च ईंधन का ही होता है। एयरलाइंस का यह कहना तो ठीक है कि प्लेन का वजन अधिक होने से अधिक ईंधन खर्च होता है, मगर जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ईंधन के दाम गिरते हैं, तो क्या वे टिकट के दाम कम करती हैं? दूसरा विकल्प यह है कि एक फिक्स किराया हो, मोटे लोग सरचार्ज दें और दुबले-पतले लोगों को रियायत मिले। तीसरे विकल्प में यात्रियों को तीन श्रेणियों में रखने की बात है- वजनी, सामान्य और हलके। इसी आधार पर किराया तय किया जाए। 

मोटापा सभी देशों में सभी उम्र और सभी आय वर्ग के लोगों की समस्या है। विकासशील देशों में ्त्रिरयां अधिक मोटी हैं, जबकि विकसित देशों में पुरुष। रहन-सहन के बेहतर होते स्तर और पौष्टिक खान-पान के कारण दुनिया भर में यह समस्या बढ़ती ही जा रही है। लोग 50 वर्ष पहले की अपेक्षा अधिक ऊंचे, चौड़े और बड़े होते जा रहे हैं। चिकित्सा पत्रिका लेन्सेट  में प्रकाशित एक सर्वे के अनुसार, दुनिया भर में 67 करोड़ 10 लाख लोग ‘मोटे’ लोगों की श्रेणी में आते हैं, जिनमें से सात करोड़ 80 लाख लोग केवल अमेरिका में हैं। इसके बाद दूसरे और तीसरे नंबर पर चीन और भारत हैं, जहां क्रमश: 4.6 करोड़ और 3 करोड़ मोटे लोग हैं। लोगों को इस मोटापे से मुक्त करना बहुत बड़ी चुनौती है। जाहिर है, यह एक अलग मुद्दा है, फिलहाल मसला यह है कि मोटे लोगों की विमान यात्रा को कैसे आसान बनाया जाए? वह भी उन पर ज्यादा आर्थिक भार डाले बिना।
(ये लेखक के अपने विचार हैं)

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें
अगला लेख पढ़ें