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भारतीय, जिन्होंने अमेरिका की समृद्धि में योगदान दिया

इन दिनों भारतीय मूल के लोगों के खिलाफ अमेरिका में कुछ जगह नस्लभेदी हिंसा की घटनाएं हो रही हैं, जिनके कारण अमेरिका में रह रहे भारतीय मूल के लोगों के मन में तो रोष है ही, भारत की आम जनता भी बहुत...

भारतीय, जिन्होंने अमेरिका की समृद्धि में योगदान दिया
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 31 Mar 2017 06:33 PM
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इन दिनों भारतीय मूल के लोगों के खिलाफ अमेरिका में कुछ जगह नस्लभेदी हिंसा की घटनाएं हो रही हैं, जिनके कारण अमेरिका में रह रहे भारतीय मूल के लोगों के मन में तो रोष है ही, भारत की आम जनता भी बहुत उद्वेलित हो गई है। इस विषय पर हाल में भारतीय मूल के तीन विद्वानों ने काफी परिश्रम करके एक पुस्तक लिखी है, जिसका शीर्षक है द अदर वन पर्सेंट : इंडियंस इन अमेरिका।   संजय चक्रवर्ती, देवेश कपूर और निर्विकार सिंह ने गहन अध्ययन और शोध से लिखी इस पुस्तक में बताया है कि 20वीं सदी के शुरू में बहुत कम भारतीय अमेरिका जाते थे। तब पूरे अमेरिका में भारतीय मूल के मुश्किल से पांच हजार लोग थे। आज अमेरिका में भारत में पैदा हुए या भारतीय मूल के लोगों की संख्या लगभग 20 लाख है और वहां के अल्पसंख्यकों  में उनका स्थान सबसे महत्वपूर्ण है। अधिकतर भारतीय युवा हैं, अमीर हैं और उन्होंने उच्च शिक्षा प्राप्त कर रखी है। इस शोध के अनुसार अमेरिका के पश्चिमी तट पर भारतीय मूल के लोगों का बोलबाला है। सिलिकन वैली में वे अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। कहा यह जाता है कि अमेरिका में रह रहे भारतीय प्रवासियों का संख्या बल भले ही चीनी नागरिकों जितना नहीं है, लेकिन उनकी राजनीतिक प्रतिष्ठा काफी ज्यादा है, क्योंकि एक तो वे राजनीतिक रूप से काफी सक्रिय हैं और फिर राजनीतिक चंदा देने के मामले में भी वे सबसे आगे हैं।

पिछली सदी के साठ के दशक में अमेरिकी सरकार ने अपने वीजा नियमों में ढील दी थी, जिसके कारण पढ़े-लिखे भारतीय युवक बड़ी संख्या में अमेरिका गए थे। उन दिनों यह धारणा थी कि जो विद्यार्थी उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका जाएंगे, उन्हें वहां पार्ट टाइम नौकरी की भी सुविधा मिलेगी, जिससे वे अपनी पढ़ाई का खर्च निकाल सकते हैं। तकनीकी शिक्षा पाने वालों के लिए वहां नौकरी हासिल करना भी आसान था। 1990 के दशक में एक बार फिर भारी संख्या में भारतीय युवकों ने अमेरिका का रुख किया। इस शोध के अनुसार आज अमेरिका में  जितने भारतीय मूल के लोग रह रहे हैं, उनमें से तीन-चौथाई पिछले 25 वर्षों में अमेरिका पहुंचे हैं। भारत में आर्थिक उदारीकरण और सूचना तकनीक के आने के बाद यह सिलसिला बढ़ गया। 

हाल-फिलहाल तक अमेरिकी सरकार ने भारतीय मूल के युवकों को आकर्षित करने और उन्हें अमेरिका में उच्च शिक्षा दिलाने के लिए कई महत्वपूर्ण स्कॉलरशिप जैसे फुलब्राइट स्कॉलरशिप, फोर्ड फाउंडेशन स्कॉलरशिप और कई अन्य स्कॉलरशिप देनी शुरू की थी। कुछ भारतीय युवक, जो अमीर घरों से थे, खुद भी पढ़ाई का खर्च उठा अमेरिका में उच्च शिक्षा पाने के लिए जाते रहे। अमेरिका में प्राप्त शिक्षा को पूरी दुनिया में कहीं भी अच्छी नौकरी पाने की गारंटी माना जाने लगा था। इसलिए यह आकर्षण लगातार बढ़ता गया।

जो भारतीय अमेरिका गए, उन्होंने अमेरिका को समृद्ध तो किया ही, खुद भी समृद्ध हो गए। ये सब सिर्फ तकनीकी कंपनियों में काम करने वाले नहीं थे। वे गुजराती व्यापारी भी थे, जो अमेरिका में मोटेल चलाते हैं और पंजाबी व्यापारी भी, जो वहां के छोटे-बड़े शहरों-कस्बों में स्टोर चलाते हैं। इसके अलावा वहां के अस्पतालों में भी बड़ी संख्या में भारतीय डॉक्टर काम करते हैं। उन्हें काफी निपुण माना जाता है और उनकी प्रतिष्ठा बहुत अच्छी है। हाल तक बहुत बड़ी संख्या में प्रशिक्षित भारतीय युवक अमेरिका जाते रहे और उनके अमेरिका जाने में अमेरिकी सरकार ने कभी कोई रुकावट नहीं डाली।

राष्ट्रपति ओबामा के समय तक भारत और अमेरिका के संबंध अत्यंत मधुर थे, जिसके कारण भारतीय मूल के लोगों को वीजा मिलने और लंबी अवधि के लिए वहां रहने में कोई कठिनाई नहीं होती थी। विभिन्न शोधों से पता चला है कि 2014 में जितने प्रवासी अमेरिका गए, उनमें भारतीय मूल के लोगों की संख्या सबसे अधिक थी। पहले चीन और मैक्सिको से बड़ी संख्या में लोग अमेरिका जाते थे, पर 2014 में अमेरिका जाने वालों में भारतीयों की संख्या सबसे अधिक हो गई। यह सिलसिला बढ़ रहा था, पर जब से ट्रंप सरकार आई है, भारतीयों को लंबी अवधि के लिए वीजा मिलने में अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। 
(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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