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खुशियों की तलाश

हम सब बस एक चीज की तलाश में लगे हैं- खुशियों की। इसी के लिए गिरते हैं, उठते हैं, लड़ते हैं, प्यार करते हैं। क्या कभी ऐसा होता है कि यह लगे, हमारी तलाश पूरी हो गई है? कुछ बला के संतोषी लोगों को छोड़...

खुशियों की तलाश
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 16 Mar 2017 09:54 PM
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हम सब बस एक चीज की तलाश में लगे हैं- खुशियों की। इसी के लिए गिरते हैं, उठते हैं, लड़ते हैं, प्यार करते हैं। क्या कभी ऐसा होता है कि यह लगे, हमारी तलाश पूरी हो गई है? कुछ बला के संतोषी लोगों को छोड़ दें, तो यह तलाश कभी मुकम्मल नहीं होती। होनी भी नहीं चाहिए, वरना हम पूरे हो जाएंगे। हमारी तलाश अधूरी रहनी चाहिए, लेकिन अधूरापन ऐसा हो, जो संतोष दे। लेकिन हमें अपनी खोज जारी रखनी चाहिए और यही जिंदगी है।

एक कविता है- इस भरपूर जीवन में/ मृत्यु के ठीक पहले भी मैं/ एक नई कविता शुरू कर सकता हूं/ मृत्यु के बहुत पहले की कविता की तरह/ जीवन की अपनी पहली कविता की तरह/ किसी नए अधूरे को अंतिम न माना जाए।  इन पंक्तियों की सीख बस इतनी है कि आप अपनी खुशियों की तलाश कहीं से भी शुरू कर सकते हैं, बगैर यह सोचे कि अब बचा ही क्या है? जिंदगी के मुकम्मल सफर का मतलब ही है कि वह खुशियों की तलाश में जारी रहे, बिना यह सोचे कि हालात कैसे हैं? 

विचारक ऑस्कर पुजोल कहते हैं कि ज्यादातर लोग अनुकूल स्थितियों में वासंती हवा की तरह बहते रहते हैं और फिर प्रतिकूल स्थिति आते ही गड्ढे में जमे पानी की तरह हो जाते हैं। वह चेताते हैं कि पद-प्रतिष्ठा और पैसे की दौड़ में शामिल मानव, अंतिम लेखा-जोखा में यह सब शेष नहीं रहेगा। आपकी कुलजमा खुशी ही यह बताएगी कि आपकी जिंदगी कितनी सार्थक रही? पुजोल ही नहीं, दुनिया के तमाम मनीषियों का यह कहना है कि जब भी आपको मौका मिले, तो खुद को खुशियों से सराबोर कर लें। एक के बाद दूसरे की तलाश में निकलें। और दूसरे  के बाद तीसरे की। 

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