एंटीबायोटिक्स का दुरुपयोग
केंद्र सरकार सरकारी अस्पतालों में दवा-पर्चियों के ऑडिट की तैयारी कर रही है। यह ऑडिट एंटीबायोटिक्स के गलत और गैर-जरूरी इस्तेमाल पर अंकुश लगाने के लिए किया जा रहा है। ऐसा किया जाना इसलिए जरूरी है,...
केंद्र सरकार सरकारी अस्पतालों में दवा-पर्चियों के ऑडिट की तैयारी कर रही है। यह ऑडिट एंटीबायोटिक्स के गलत और गैर-जरूरी इस्तेमाल पर अंकुश लगाने के लिए किया जा रहा है। ऐसा किया जाना इसलिए जरूरी है, क्योंकि भारत एंटीबायोटिक्स के बेवजह इस्तेमाल की समस्या से जूझ रहा है। मेरा यह भी मानना है कि सरकारी डॉक्टरों के साथ-साथ निजी डॉक्टरों की दवा-पर्चियों का भी ऑडिट हो। इससे काफी फायदा मिलेगा। एंटीबायोटिक्स के अंधाधुंध दुरुपयोग से जीवाणुओं में प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाती है, जिस कारण आज रोग व प्रतिजीवी दवाओं की स्थिति ‘तू डाल-डाल, मैं पात-पात’ जैसी हो गई है। ऐसे में, निश्चय ही यह ऑडिट देश, समाज व गरीबों के हित में साबित होगा। मनोज कुमार शर्मा, स्याना
यह भेदभाव क्यों
उत्तर प्रदेश में तीसरे चरण के मतदान के बीच फतेहपुर में एक चुनावी सभा को संबोधित करने पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अखिलेश सरकार पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि लोगों के साथ धर्म और जाति के नाम पर किसी भी योजना में भेदभाव नहीं होना चाहिए, यदि किसी गांव में कब्रिस्तान बनता है, तो श्मशान भी बनना चाहिए, रमजान में बिजली आती है, तो दिवाली में भी आनी चाहिए। प्रधानमंत्री मोदी के मन की बातें सुनने में बहुत सुंदर लगती हैं, पर अफसोस प्रधानमंत्री की कथनी और करनी में खूब फर्क दिखता है। यदि प्रधानमंत्री की सोच यह है कि देश में धर्म या जाति के आधार पर भेदभाव नहीं होना चाहिए, तो उनकी पार्टी भाजपा ने मुसलमानों को विधानसभा चुनावों में उचित हिस्सेदारी क्यों नहीं दी? यदि वह भेदभाव से इतनी ही नफरत करते हैं, तो जाति या धर्म आधारित सभी प्रकार के आरक्षण को खत्म करने की हिम्मत क्यों नहीं दिखाते? अगर इतना ही ‘सबका साथ, सबका विकास’ वह चाहते हैं, तो आर्थिक आधार पर आरक्षण की पहल क्यों नही करते?- रियाज अब्बास आब्दी
जागो जनता
भारतीय लोकतंत्र की चमक अब कई रूपों में सत्ता-स्वार्थ और सरकार बनाने के गोरखधंधे के रूप में बदलती जा रही है। आज हर तरफ सिर्फ सत्ता पर काबिज होने की लालसा नजर आ रही है। हमारे नेतागण इसी गुणा-भाग में लगे रहते हैं। ऐसे में, अब यह जनता को सोचना होगा कि वह विकास के लिए वोट करना चाहती है या हमेशा की तरह चुपचाप सहन करने वाले परिदृश्य का हिस्सा बने रहना चाहती है। मुश्किल यह है कि जनता न तो अपनी भूमिका समझ पा रही है, और न ही मुखौटे के पीछे वाली नेताओं की भूमिका को भांप पा रही है।- राणा चेतन प्रताप, झारखंड
जाति आधारित राजनीति
कहने के लिए कोई भी व्यक्ति वोट डालते समय धर्म, जाति, रंग, नस्ल आदि के आधार पर कोई भेदभाव नहीं करता, लेकिन सच्चाई कुछ और ही होती है। खासतौर से उत्तर प्रदेश में चुनावी समीकरण जातियों के आधार पर ही तय हो रहे हैं। मतदाताओं को यह समझना चाहिए कि अगर वे जाति और धर्म के आधार पर उम्मीदवारों को वोट देते हैं, तो इसमें जीत उनकी नहीं, बल्कि पार्टी की होती है। इससे देश को काफी नुकसान पहुंचता है। लिहाजा मतदाता जागरूक बनें और सभी राजनीतिक दलों को उनके घोषणापत्रों के आधार पर परखें। तभी एक लोकतांत्रिक सरकार का गठन हो सकेगा।- राजेश खरवार, चंदौली, उत्तर प्रदेश
चेत जाए पाकिस्तान
पाकिस्तान में फिर से विस्फोट होना बताता है कि आतंकवाद को पालने-पोसने वाला यह देश अब खुद इन आग की लपटों में जल रहा है। अगर अब भी उसने इस पर लगाम न लगाई, तो वह दिन दूर नहीं, जब वह खुद की लगाई आग में खाक हो जाएगा।
दीपक सेमवाल, देहरादून