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आऊटसोर्सिंग के लिए बहता रहा है खून

कोयला खदानों के राष्ट्रीयकरण के साथ ही कोयले से कमाई के लिए कोयलांचल में गैंगवार शुरू हो गया था। कोयले के बल ही धनबाद में राजनीति चलती है। वर्चस्व के लिए खून की होली खेली जाती रही। नीरज सिंह समेत चार...

आऊटसोर्सिंग के लिए बहता रहा है खून
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 22 Mar 2017 02:41 AM
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कोयला खदानों के राष्ट्रीयकरण के साथ ही कोयले से कमाई के लिए कोयलांचल में गैंगवार शुरू हो गया था। कोयले के बल ही धनबाद में राजनीति चलती है। वर्चस्व के लिए खून की होली खेली जाती रही। नीरज सिंह समेत चार की हत्या को लेकर भी चर्चा में वर्चस्व की जंग को ही वजह मानी जा रही है। कोयले और सियासत में नीरज सिंह की सक्रियता से कई दुश्मन बन गए थे। नीरज सिंह उस परिवार से थे जो कोयला और झरिया कोयलांचल की राजनीति में सबसे ज्यादा सफल रहे। सिंह मेंशन एवं रघुकुल के बीच विवाद भी चर्चा में रहा। पहले लोडिंग प्वाइंट पर कब्जे के लिए खून बहता था। हर कोयला क्षेत्र में लोडिंग प्वाइंट पर मनी,मशल और मेनपावर वालों का कब्जा था। बदले माहौल में लोडिंग प्वाइंट से ज्यादा कमाई का जरिया आऊटसोर्सिंग हो गया है। आऊटसोर्सिंग पर वर्चस्व के लिए बात-बात पर खून बहना आम बात है। संगठित तरीके से मोटी कमाई होती है। कोई सियासी हनक तो कोई श्रमिक राजनीति के सहारे आऊटसोर्सिंग में सक्रिय है। हालत यह है कि आऊटसोर्सिंग का ठेका बीसीसीएल देती है लेकिन वर्क ऑर्डर यानी खनन के लिए आऊटसोर्सिंग कंपनियों को रंगदारों से एनओसी लेनी पड़ती है। जिनका क्षेत्र में जितना ज्यादा दबदबा है, वह आऊटसोर्सिंग में उतना ही ताकतवार है। यानी उसकी उतनी ही ज्यादा कमाई है।कोयले के रैक की रंगदारी का बात करें तो इसका अंतरप्रांतीय नेटवर्क है। इस मामले में कोयलांचल में बिहार, बंगाल एवं यूपी तक के माफियाओं का संबंध है। यूपी (पूर्वाचंल) के कई चर्चित माफिया कोयले के बल राज करते हैं। करोड़ों में कमिशन मिलता है और उनके गुर्गे कोयलांचल में सक्रिय रहते हैं।

गैंगवार और आर्थिक वर्चस्व के लिए हत्याएं

कोल कैपिटल में सुरक्षा शुरू से मुद्दा बनता आया है। हत्याओं का पुराना इतिहास रहा है। गैंगवार, आर्थिक अपराध और राजनीतिक प्रतिद्वंदिता ने कई जानें लीं हैं। कोयले से अवैध कमाई तथा वासेपुर गैंगवार कोयलांचल को अशांत करता रहा है। जीटी को लेकर धमकियां,अंडरवर्ल्ड से कनेक्शन भी कोयलांचल में अशांति की वजह रही है। यूपी, बंगाल और बिहार के अपराधियों का इस धरती से गहरा संबंध है। 1977 से शुरू हत्या का दौर अबतक जारी है।

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