चाचा के अपमान का बदला लेने राजनीति में उतरे थे नीरज सिंह
2009 में झारखंड में हुए विधानसभा चुनाव ने धनबाद को एक नया नेता दिया था। नीरज सिंह के चाचा पूर्व मंत्री बच्चा सिंह धनबाद से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ना चाहते थे। लेकिन उनकी जगह राज सिन्हा को टिकट...
2009 में झारखंड में हुए विधानसभा चुनाव ने धनबाद को एक नया नेता दिया था। नीरज सिंह के चाचा पूर्व मंत्री बच्चा सिंह धनबाद से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ना चाहते थे। लेकिन उनकी जगह राज सिन्हा को टिकट दिया गया। चाचा को टिकट नहीं देने से नाराज नीरज सिंह निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरे। चुनाव में 17 हजार वोट लाकर वह भाजपा के हार का कारण तो बने ही साथ ही अपनी अलग पहचान भी बना ली। महज आठ साल का राजनीतिक कैरियर मंगलवार को समाप्त हो गया।
आगरा के हिन्दुस्तान इंजीनियरिंग ऑफ कॉलेज से बीई (मैकेनिकल) की डिग्री लेने के बाद नीरज सिंह रांची में रहकर कंस्ट्रक्शन का बिजनस संभालते थे। 2009 में बच्चा सिंह को टिकट नहीं मिला तो वह चुनाव मैदान में उतरे। पहली बार लोगों ने जाना कि रघुकूल का कोई सदस्य इंजीनियर भी है। इस चुनाव में मिली पहचान का फायदा नीरज को नगर निगम चुनाव में हुआ। 2010 में हुए नगर निगम चुनाव में जीत दर्ज कर नीरज सिंह डिप्टी मेयर बने। डिप्टी मेयर बनते ही नीरज सिंह पूरे कोयलांचल में सक्रिय हो गए। नगर निगम का क्षेत्र पांच विधानसभा में पड़ता है। इसी का लाभ उठाते हुए वह हर क्षेत्र में अपनी सक्रियता बढ़ा दी।