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पूर्वी सिंहभूम जिले के 18 हजार डोभा में सिर्फ 18 सौ में जमा है पानी

बरसात का पानी जमा करने और भूमिगत जलस्तर को बनाए रखने के उद्देश्य से ग्रामीण क्षेत्रों में डोभा निर्माण शुरू हुआ था। लेकिन, उचित स्थान पर डोभा नहीं बनने से किसानों को सिंचाई के लिए पानी नहीं मिल पा...

पूर्वी सिंहभूम जिले के 18 हजार डोभा में सिर्फ 18 सौ में जमा है पानी
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 27 Feb 2017 04:41 PM
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बरसात का पानी जमा करने और भूमिगत जलस्तर को बनाए रखने के उद्देश्य से ग्रामीण क्षेत्रों में डोभा निर्माण शुरू हुआ था। लेकिन, उचित स्थान पर डोभा नहीं बनने से किसानों को सिंचाई के लिए पानी नहीं मिल पा रहा है।

वहीं, पूर्वी सिंहभूम जिला कृषि पदाधिकारी कालीपद महतो ने बताया कि डोभा में कम से कम छह महीने तक पानी रहना चाहिए। लेकिन, अधिकतर डोभा ऊपरी भूमि पर होने के कारण जल्द ही पानी सूख जाता है। निचले हिस्से में जो डोभा बने हैं, उनमें अब भी पानी है। वैसे भी हर जगहों पर डोभा होना भी जरूरी है।

किसान परेशान : उपयुक्त स्थान पर डोभा नहीं बनने से बरसात से पहले ही पानी सूख जा रहा है। ऐसे में जिस उद्देश्य से गांवों में डोभा निर्माण किया जा रहा है, वह उद्देश्य पूरा नहीं हो पा रहा है। जिले में मनरेगा, कृषि और भूमि सर्वेक्षण विभाग सहित अन्य योजनाओं के तहत लगभग 18 हजार से अधिक डोभा का निर्माण किया गया है। इनमें सिर्फ मनरेगा के तहत 7100 डोभा का निर्माण किया गया है। जिले में लगभग 10 प्रतिशत डोभा में ही पानी बचा है, जिससे किसान फसलों की सिंचाई कर रहे हैं।

यह है डोभा निर्माण का प्रारूप : तालाब के सबसे छोटे रूप को डोभा कहते हैं। इसकी गहराई तालाब के बराबर होती है, लेकिन लंबाई-चौड़ाई कम होती है। वैसे तालाबों में सालभर पानी ठहरता है जो निचले या मध्य स्तर की भूमि पर बनते हैं। ऊपरी सतह की भूमि पर पानी नहीं ठहरता है।

ये फसल हैं खतों में : जिले की खेतों में मूंग, भिंडी, करेला, कद्दू, खीरा, धान सहित अन्य फसलें हैं, जिनकी सिंचाई अधिकतर जगहों पर डीप बोरिंग से हो रही है।

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