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स्थानीय भाषा से घृणा न करें : प्रो पीटर ऑस्टिन

‘लुप्तप्राय एवं कम-प्रचलित भाषाओं‘ पर सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ झारखंड (सीयूजे) में दो-दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार की शुरुआत 25 फरवरी को हो रही है। सीयूजे के आदिवासी लोकगीत, भाषा एवं साहित्य केन्द्र...

स्थानीय भाषा से घृणा न करें : प्रो पीटर ऑस्टिन
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 24 Feb 2017 08:00 PM
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‘लुप्तप्राय एवं कम-प्रचलित भाषाओं‘ पर सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ झारखंड (सीयूजे) में दो-दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार की शुरुआत 25 फरवरी को हो रही है। सीयूजे के आदिवासी लोकगीत, भाषा एवं साहित्य केन्द्र की ओर से इसका आयोजन किया जा रहा है। उद्घाटन राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू करेगीं। सेमिनार में देश-विदेश के 150 प्रतिभागी शामिल हो रहे हैं। इसमें 50 से अधिक शोधपत्र प्रस्तुत किए जाएंगे।

यहां मुख्य वक्ता के रूप में जेएनयू के प्रो प्रमोद पाण्डेय, वेल्फेल्ड विश्वविद्यालय के प्रो गिब्बन, सोएस विश्वविद्यालय के प्रो. पीटर के आस्टिन आदि उपस्थित रहेंगे। इससे पहले शुक्रवार को सीयूजे में कार्यशाला का आयोजन किया गया। विश्व की भाषा एवं संस्कृति पर पैनी नजर रखनेवाले प्रो. पीटर के ऑस्टिन ने कहा कि वह भारत की लुप्त हो रही भाषाओं से अनजान नहीं हैं। झारखंड की भाषाओं में विविधता है। आज लोग केवल हिन्दी या अंग्रेजी पर ध्यान दे रहे हैं, आनेवाली पीढ़ी स्थानीय भाषाओं को छोड़ती जा रही है। इससे देशज चीजों का विकास प्रभावित होता है। कई बात तो यह भाषा के साथ समाप्त भी हो जाती है। विवि के जनसंचार विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ देवव्रत सिंह ने कहा कि भाषा के संवर्धन एवं प्रसार में मीडिया की अहम भूमिका है। लुप्त होती भाषाओं के दस्तावेजीकरण के लिए भी सभी प्रकार के मीडिया का उपयोग किया जाना चाहिए। उन्होंने रेखांकित किया कि डिजिटल मीडिया में लुप्त होती भाषाओं के फॉंट एवं की-बोर्ड का विकास सरकार को करना चाहिए। मौके पर डॉ सुचेता सेनगुप्ता, कॉन्फ्रेंस के संयोजक डा रविन्द्र शर्मा एवं डॉ सुधांशु शेखर एवं विश्वविद्यालय के शोधार्थी एवं छात्र मौजूद रहे।

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