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तितली आसन से बढ़ाएं इम्यूनिटी, गला खराब, बदन दर्द, बुखार रहेगा दूर

इस मौसम में गला खराब, बदन दर्द, बुखार आदि की समस्याएं बढ़ जाती हैं। ऐसी तमाम समस्याओं से खुद को बचाए रखने के लिए जरूरी है कि हम अपने शरीर की प्रतिरोधक क्षमता का ध्यान रखें। इस काम में आपकी सहायता...

तितली आसन से बढ़ाएं इम्यूनिटी, गला खराब, बदन दर्द, बुखार रहेगा दूर
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 21 Mar 2017 03:49 PM
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इस मौसम में गला खराब, बदन दर्द, बुखार आदि की समस्याएं बढ़ जाती हैं। ऐसी तमाम समस्याओं से खुद को बचाए रखने के लिए जरूरी है कि हम अपने शरीर की प्रतिरोधक क्षमता का ध्यान रखें। इस काम में आपकी सहायता करेगा तितली आसन।  यौगिक क्रियाओं के अभ्यास के साथ दिनचर्या और खानपान में सावधानी बरतें तो बदलते मौसम की मार से बच सकते हैं।

व्यायाम
किसी आसन, तख्त या कुर्सी पर बैठ जाएं। सबसे पहले गले को दायें, बायें, आगे, पीछे तथा गोल-गोल घड़ी की सुई की दिशा तथा उसकी उल्टी दिशा में चार-चार बार घुमाएं। दोनों हाथों को कंधों की ऊंचाई तक सामने की ओर फैलाएं। मुट्िठयों को चार-चार बार जोर से बंद करें तथा खोलें। मुट्ठी बन्द कर कलाइयों को क्लॉकवाइज तथा एंटी-क्लॉकवाइज चार-चार बार घुमाएं। अब कंधों को भी चार-चार बार क्लॉकवाइज तथा एंटी-क्लॉकवाइज घुमाएं। 

तितली आसन
दोनों पैरों को सामने की ओर फैलाकर उंगलियों को आगे की ओर तथा पीछे की ओर चार-चार बार दबाएं। अब पूरे पंजे को आगे तथा पीछे की ओर चार-चार बार दबाएं। इसके बाद टखनों को चार-चार बार क्लॉकवाइज तथा एंटी- क्लॉकवाइज गोल-गोल घुमाएं। अब दोनों पैरों को घुटनों से मोड़ कर पंजों एवं तलवों को आपस में जोड़ें। घुटनों को जमीन से ऊपर तथा नीचे 20 बार उठाएं तथा नीचे करें। तितली आसन में बैठकर आगे की ओर इतना झुकें कि माथा जमीन पर आ जाये। इस स्थिति में थोड़ी देर रुककर वापस पूर्व स्थिति में आ जाएं। 

प्राणायाम
शरीर के विषाक्त तत्वों को बाहर निकालने तथा पाचन अंगों को मजबूत करने में श्वास प्राणायाम बहुत अच्छा माना जाता है। 
विधि : पद्मासन, सिद्धासन या सुखासन में बैठ जाएं। रीढ़, गले व सिर को सीधा रखें। जीभ को मुंह से ज्यादा से ज्यादा बाहर निकालें। इसके बाद हर एक श्वास के साथ पेट को आगे-पीछे करते हुए जोर लगाकर मुख से 10 बार श्वास-प्रश्वास करें। श्वास अन्दर लेते हुए पेट बाहर की ओर तथा श्वास बाहर निकालते हुए पेट अंदर की ओर पिचकाएं। यह श्वास प्राणायाम का एक राउंड हुआ। धीरे-धीरे चार-पांच राउंड का अभ्यास करें।


ध्यान रखें

अस्वस्थ लोग विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें।

(योगाचार्य कौशल कुमार से की गई बातचीत पर आधारित)

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