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मैच फिक्सिंग में पहली सजा 200 साल पहले

पाक क्रिकेटर बट व आसिफ भले ही अब स्पाट फिक्सिंग के दोषी करार दिये गये हों, लेकिन भद्रजनों के खेल में मैच फिक्सिंग की शुरुआत लगभग 200 साल पहले हो गयी...

मैच फिक्सिंग में पहली सजा 200 साल पहले
Wed, 02 Nov 2011 01:32 PM
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पाकिस्तानी क्रिकेटरों सलमान बट और मोहम्मद आसिफ भले ही अब स्पाट फिक्सिंग के दोषी करार दिये गये हों, लेकिन भद्रजनों के खेल में मैच फिक्सिंग की शुरुआत लगभग 200 साल पहले हो गयी थी और तब एक क्रिकेटर पर आजीवन प्रतिबंध भी लगा था।

लंदन के साउथवर्क क्राउन कोर्ट ने मंगलवार को बट और आसिफ को गलत तरीके से राशि स्वीकार करने का षडयंत्र रचने और धोखाधड़ी की साजिश रचने का दोषी पाया। इस साजिश में शामिल तीसरे आरोपी मोहम्मद आमिर के खिलाफ मुकदमा नहीं चलाया गया क्योंकि उन्होंने अपना गुनाह स्वीकार कर लिया था।

दिलचस्प तथ्य यह है कि क्रिकेट में फिक्सिंग की शुरुआत तब हो गयी थी जबकि टेस्ट क्रिकेट भी नहीं खेला जाता था। सबसे पहले 1817 से 1820 के आसपास इस खेल की अखंडता खतरे में पड़ती नजर आयी थी।

इसी दौरान विलियम लैंबार्ट नामक बल्लेबाज पर मैच फिक्सिंग के लिये प्रतिबंध लगाया गया था जिसके बाद वह फिर कभी क्रिकेट नहीं खेल पाए थे। यह वह जमाना था जब सिंगल विकेट क्रिकेट खेली जाती थी और तब इस तरह के मैचों पर सट्टा लगाना आसान होता था।

इतिहासविद डेविड अंडरडाउन ने अपनी किताब स्टार्ट आफ प्ले क्रिकेट एंड कल्चर इन एटीन्थ सेंचुरी इंग्लैंड में लिखा है कि असल में सिंगल विकेट क्रिकेट में पूरे 11 खिलाड़ी नहीं होते थे और इसलिए उन्हें फिक्स करना आसान था। अंडरडाउन के अनुसार,  लोग हमेशा क्रिकेट पर सट्टा लगाते थे विशेषकर डयूक, राजा और लाडर्स जो देश चलाते थे, लेकिन धोखाधड़ी या किसी हद तक मैच फिक्सिंग के कुछ आरोप भी लगे थे।

मैच फिक्सिंग के पहले वाकये का जिक्र 1817 में मिलता है। अंडरडाउन के अनुसार, उस साल इंग्लैंड और नाटिंघम के बीच खेले गये मैच में कुछ खिला़ड़ियों ने जानबूक्षकर लचर प्रदर्शन किया था। इनमें विलियम लैंबार्ट भी शामिल थे जिन्हें उस समय का सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज माना जाता था।

नाटिंघम की तरफ से खेलने वाले लैंबार्ट पर आरोप लगा था कि उन्होंने उस मैच में जान-बूझकर अच्छा प्रदर्शन नहीं किया। लैंबार्ट के ही साथी फ्रेडरिक बियुक्लर्क ने इसकी शिकायत एमसीसी से की जिसने लैंबार्ट को लाडर्स में खेलने से प्रतिबंधित कर दिया था। इस तरह से लैंबार्ट दुनिया के पहले ऐसे क्रिकेटर थे जिन पर मैच फिक्सिंग के लिये प्रतिबंध लगा था।

लैंबार्ट बेहतरीन बल्लेबाज थे। वह पहले ऐसे बल्लेबाज भी थे जिन्होंने पहली बार एक मैच की दोनों पारियों में शतक जमाया था। मई 1817 में बनाया गया उनका यह रिकार्ड 76 साल तक उनके नाम पर रहा था। उन्होंने अपने कैरियर में कुल 64 प्रथम श्रेणी मैच खेले जिनमें उन्होंने 3013 रन बनाये।

इंग्लैंड और नाटिंघम के बीच फिक्स हुए उस मैच के बारे में कहा जाता है कि दोनों टीमों के कुछ खिलाड़ियों ने जानबूक्षकर अपने विकेट गंवाये, कैच टपकाये और यहां तक कि ओवरथ्रो से रन दिये। इसी तरह के एक ओवरथ्रो को बचाने के प्रयास में बियुक्लर्क की उंगली चोटिल हो गयी थी। एमसीसी ने इसके बाद मैच फिक्सिंग को लेकर कुछ कड़े कदम उठाये थे और 1820 में लाडर्स में सटोरियों के आने पर प्रतिबंध लगा दिया था।

इस घटना के बाद मैच फिक्सिंग की अगली घटना का जिक्र 1873 में मिलता है जब र्से के खिलाड़ी टेड पूली ने यार्कशर से हारने के लिये 50 पौंड लिये थे। र्से ने पूली को तब निलंबित कर दिया था।
लैंबार्ट के जमाने के दिग्गज बल्लेबाजों में विलियम बेलडैम (सिल्वर बिली) भी शामिल थे। उनसे लंदन में तब एक सटोरिये ने कहा था, यदि आप मेरी बात मानोगे तो बड़ा पैसा बना सकते हो।  बाद में बिली ने इस पर कहा था कि वह तो क्षांसे में नहीं आये लेकिन कई अन्य थे जो इन लोगों (सटोरियों)  की बात मान लेते थे।

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