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EXCLUSIVE: जब पूरा देश मेरे साथ है तो फिर मैं क्यों डरूं- नाहिदा

वह महज 16 साल की हैं। उनकी सुरीली आवाज उन्हें असम, पूरे हिन्दुस्तान, बल्कि दुनिया भर के हिंदी संगीत के मुरीदों के बीच ले गई है। इंडियन आइडल  की उप-विजेता रहीं नाहिद आफरीन के खिलाफ 40 से अधिक...

EXCLUSIVE: जब पूरा देश मेरे साथ है तो फिर मैं क्यों डरूं- नाहिदा
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 20 Mar 2017 07:53 AM
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वह महज 16 साल की हैं। उनकी सुरीली आवाज उन्हें असम, पूरे हिन्दुस्तान, बल्कि दुनिया भर के हिंदी संगीत के मुरीदों के बीच ले गई है। इंडियन आइडल  की उप-विजेता रहीं नाहिद आफरीन के खिलाफ 40 से अधिक मौलवियों ने मिलकर यह फतवा जारी कर दिया कि उनका स्टेज शो करना शरीयत के खिलाफ है। मगर असम  की यह जांबाज बच्ची बेखौफ सवाल पूछ रही है कि मुझे क्यों डरना चाहिए? जब मैंने कोई गुनाह ही नहीं किया,  तो क्यों अपनी गायिकी छोड़ दूं? नाहिद से हिन्दुस्तान की वरिष्ठ पत्रकार मीना त्रिवेदी ने बात की:

इतने सारे मौलवियों ने मिलकर आपके स्टेज पर गाने के खिलाफ फतवा दिया है, क्या आपको डर लग रहा है?
नहीं, मुझे कोई डर नहीं लग रहा। मैं तो पहले की तरह ही अपने स्कूल जा रही हूं। अपनी पढ़ाई कर रही हूं। मैं किसी से क्यों डरूं, जब पूरे देश के लोग मेरे साथ हैं। सब मुझसे इतना प्यार करते हैं। सबने मेरा हौसला बढ़ाया है। सच कहूं, तो फतवे से मुझे डर बिल्कुल नहीं लगा, हां दुख जरूर हुआ है।

फतवे के बारे में आपको कब और कैसे पता चला?
मेरे खिलाफ कोई फतवा जारी किया गया है, यह खबर मुझे टीवी से पता चली। खबर देखकर हम सब हैरान रह गए। मैं कभी सोच भी नहीं सकती थी कि मेरे खिलाफ कहीं कोई फतवा जारी हो सकता है। भला मैंने कौन सा गलत काम कर दिया है? मेरा गुनाह क्या है? पहले तो मुझे यह खबर कुछ खास बड़ी नहीं लगी, लेकिन जब लोग मुझे फोन करने लगे, तो मैं कुछ घबरा गई। मेरे नाते-रिश्तेदार, पड़ोसी, मीडिया और फिल्म इंडस्ट्री के लोग पूछने लगे कि क्या हुआ? ये किसने फतवा दिया है तुम्हारे खिलाफ? तब जाकर हमें लगा कि वाकई यह बड़ी घटना है। एकबारगी तो मैंने सोचना शुरू कर दिया कि कहीं मुझे गाना छोड़ना तो नहीं पड़ेगा। डर कम था, पर बुरा ज्यादा लग रहा था। जब पता लगा कि पूरी दुनिया के तमाम लोग मेरे सााथ हैं, तो सारी परेशानियां खत्म हो गईं।

फतवे के बाद स्कूल में कैसा रहा आपका पहला दिन?
मैं बिल्कुल सामान्य दिनों की तरह ही पढ़ने गई। पापा हमेशा की तरह मुझे स्कूल छोड़ने गए। क्लास में मैंने मन लगाकर अपनी पढ़ाई की। इस साल मेरी दसवीं की परीक्षा है। फिलहाल मैं अपनी पढ़ाई पर ही फोकस करना चाहती हूं। टीचर्स और दोस्तों ने मेरा हौसला बढ़ाया। सबने कहा कि डरो मत, तुम बहुत अच्छा गाती हो। तुम गाना मत छोड़ना। हम सब तुम्हारे साथ हैं। जब सबने मुझे इतना प्यार दिया, तो उनका अपनापन देखकर मेरा दुख कम हो गया।

इस फतवे के बाद से क्या कुछ बदला है आपकी जिंदगी में?
मेरी पूरी जिंदगी वैसी ही है, इसमें कुछ खास नहीं बदला है। अलबत्ता, देश में सब लोग मेरे बारे में चर्चा कर रहे हैं। शायद यही बदला है। फतवा जारी होने के बाद मुझे और मेरे परिवार को सुरक्षा देने की बात हुई थी। मुख्यमंत्री का भी फोन आया और उन्होंने भी सुरक्षा का आश्वासन दिया। मगर पापा को नहीं लगता कि हमें सुरक्षा की कोई खास जरूरत है। मैं पहले की तरह पूरी आजादी से जी रही हूं। मेरा पूरा ध्यान अपनी पढ़ाई और संगीत पर है। पहले की तरह ही मेरा रियाज भी जारी है और पढ़ाई भी। मुझे खुदा ने गाने का यह हुनर बख्शा है, फिर मैं क्यों खुदा की इस देन को छोड़ दूं? मैं कभी गाना नहीं छोड़ूंगी।

असम में 25 मार्च को आपका कार्यक्रम है, क्या आप अब भी जाएंगी वहां पर?
हां, क्यों नहीं? मैं जरूर जाऊंगी। वहां शायद दो घंटे का शो होगा मेरा। हमेशा की तरह वहां मम्मी-पापा मेरे साथ जाएंगे। मैं अपनी तरफ से उस कार्यक्रम के लिए पूरी तरह तैयार हूं। आयोजकों ने मुझे बताया है कि मेरा कार्यक्रम पहले से तय तारीख और वक्त पर होगा। इसमें कोई बदलाव नहीं किया जा रहा है। मैं असम की ही रहने वाली हूं। अक्सर यहां मेरे प्रोग्राम होते रहते हैं। इसलिए मेरे मन में किसी तरह का कोई तनाव या घबराहट नहीं है। मैं शो में जरूर गाऊंगी।

आपने कब से गाना शुरू किया और किसने आपको इसके लिए प्रेरित किया?
जब मैं पहली कक्षा में थी, तभी से मैंने गाना शुरू कर दिया था। दरअसल, स्कूल में मेरी एक टीचर हुआ करती थीं, जो मेरी दूर की रिश्तेदार भी हैं। उनकी सलाह पर मम्मी ने मुझे सांस्कृतिक कार्यक्रमों में हिस्सा लेने के लिए प्रेरित किया। उसी साल पहली बार मैंने स्कूल के कार्यक्रम में स्टेज पर खडे़ होकर एक गाना गाया। मुझे इसके लिए पुरस्कार भी मिला था। तभी से मैं संगीत सीखने लगी। स्कूल से लौटने के बाद शाम को मैं म्यूजिक टीचर के घर पर गाना सीखने जाया करती थी। पढ़ाई के साथ ही मेरी संगीत की शिक्षा भी चलती रही।

स्कूल के मंच पर गाना गाते-गाते आप इंडियन आइडल जूनियर तक कैसे पहुंच गईं?
मेरे गायन का अब तक का सफर बड़ा ही दिलचस्प है। मैं बचपन से स्कूल की गायन प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेती थी। उनमें मैंने ढेर सारे पुरस्कार भी जीते। इसके बाद मैंने जिला स्तर और फिर राज्य स्तर की गायन प्रतियोगिताएं जीतीं। मम्मी-पापा ने मुझे हमेशा इस बात के लिए प्रेरित किया। पूरे असम में मैं अपनी गायिकी से मशहूर हो गई थी। मुझे हर जगह तारीफ मिलती थी, सब मेरी प्रशंसा करते थे। साल 2013 में पहली बार मैंने दिल्ली में राष्ट्रीय गायन प्रतियोगिता में हिस्सा लिया। इस प्रतियोगिता के बाद मेरा हौसला बढ़ गया। जहां सबने यह कहकर मुझे सराहा कि यह लड़की आगे चलकर बड़ी गायिका बनेगी। मम्मी-पापा भी मेरी तारीफ सुनकर खुश होते थे। उन्हीं के प्रोत्साहन की वजह से मैं लगातार आगे बढ़ती रही। साल 2015 में इंडियन आइडल जूनियर में पहुंची। उसमें मैं फर्स्ट रनर-अप रही।

इस दौरान आपने किसी को अपना आदर्श भी बनाया? वह कौन सा गायक है, जिसकी तरह आप बनना चाहेंगी?
निश्चित रूप से भूपेन हजारिका। वह असम के सबसे बड़े गायक रहे हैं। असम का हर शख्स उन्हें प्यार करता है, उनका सम्मान करता है। मैं उनके गीत सुन-सुनकर ही बड़ी हुई हूं। उनकी आवाज अक्सर मेरे कानों में गूंजती रहती है। मैं अपने ज्यादातर कार्यक्रमों की शुरुआत भूपेन दा के गानों से ही करती हूं। कार्यक्रम अगर असम में हो, तब तो वह निश्चित ही भूपेन हजारिका जी के गानों से ही शुरू होता है और कई बार तो उन्हीं के गीत के साथ खत्म भी होता है।

इंडियन आइडल प्रतियोगिता के बीच कुछ लोगों ने आपको बांग्लादेशी लड़की कहा था?
इस कार्यक्रम के दौरान करीब चार महीनेे तक हम मुंबई में ही थे। मम्मी-पापा भी मेरे साथ-साथ वहां रहे। तब हम टीवी की खबरों से बहुत दूर थे। उस दौरान बाहर के लोगों से हमारा कोई मेल-जोल नहीं था। हमें पता भी नहीं था कि असम में या बाकी दुनिया में क्या चल रहा है। लेकिन शो खत्म होने के बाद जब हम वापस असम पहुंचे, तो यहां आकर पता चला कि सोशल मीडिया में मेरे बारे में इस तरह की अफवाहें उड़ाई गई थीं। लेकिन ऐसी झूठी बातों से ज्यादा फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि जो सच है, वह छिपता नहीं। इसलिए धीरे-धीरे वे सारी अफवाहें खत्म हो गईं।

आपने तो एक फिल्म में भी गाना गाया है। आखिर कैसे मिला वह ऑफर आपको? 
इंडियन आइडल  शो के दौरान मुझे काफी शोहरत मिली। हमारे शो में आए सलमान खान और सोनाक्षी सिन्हा जैसे बडे़ बॉलीवुड स्टार ने मेरा गाना सुना। उन्होंने खूब सारी तारीफें कीं। उन लोगों को मेरी आवाज बहुत पसंद आई। तभी सोनाक्षी मैम ने मुझे बताया कि मैं उनकी फिल्म अकीरा  में गाना गाऊंगी। यह सुनकर मेरी खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा। मैंने कभी नहीं सोचा था कि इतनी जल्दी मुझे किसी फिल्म में गाने का मौका भी मिलेगा। फिल्म के लिए प्लेबैक सिंगिंग का वह अनुभव बहुत अच्छा रहा। इससे मुझे फिल्मी गायन के बारे में काफी कुछ नया सीखने को मिला।

आपके लंबे बालों का क्या राज है, कैसे संवारती हो इन्हें?
हां, मेरे बाल बहुत लंबे हैं। इनको संवारने की जिम्मेदारी मम्मी की है। वही मेरे बालों का ख्याल रखती हैं। बाल धोने से लेकर, उनकी तेल मालिश करने तक वही इन सब बातों का ध्यान रखती हैैं। मुझे लंबे बाल बहुत पसंद हैं। मुझे लगता है कि लंबे बाल किसी भी भारतीय लड़की की पहचान हैं। लंबे बालों में मैं खुद को भारतीय महसूस करती हूं। इनकी वजह से ही हर लड़की की तरह मैं भी खुद को राजकुमारी समझती हूं। एक परी जैसी, जो उड़कर आसमान में पहुंच जाती है।

भविष्य का सपना क्या है? क्या बनना चाहती हैं आप?
ईमानदारी से कह रही हूं, मैं एक प्लेबैक सिंगर बनना चाहती हूं। शायद भविष्य मैं मैं मुंबई जाना पसंद करूंगी। मेरा अगला पड़ाव वही है। लेकिन फिलहाल मेरा पूरा ध्यान पढ़ाई पर है। दसवीं के रिजल्ट देखने के बाद मैं आगे के बारे में फैसला करूंगी। अभी तो मैं असम में ही रहूंगी। मेरे मम्मी-पापा भी यही चाहते हैं कि मैं अपनी पढ़ाई पर फोकस करूं।

आप अपने परिवार के बारे में कुछ बताइए, आपके परिवार में कौन-कौन लोग हैं?
परिवार में मम्मी-पापा और मेरा एक छोटा भाई है। वह अभी पांच साल का ही है। मेरे पापा सरकारी नौकरी में हैं। घर में सबको गाने सुनने का शौक है। हालांकि घर में कोई प्रोफेशनल गायक नहीं है, फिर भी यह शौक है, जो शायद कई पीढ़ियों से हमारे परिवार में चला आ रहा है। पापा बताते हैं कि मेरे दादाजी को भी गाना बहुत पंसद था। परिवार या रिश्तेदारी में किसी को मेरे गाने पर कोई आपत्ति नहीं रही।

आप इतनी बड़ी हो गई हैं, इतना नाम भी कमा लिया है, फिर भी अपने पास मोबाइल फोन नहीं रखतीं, क्यों?
मैं अभी पढ़ रही हूं। स्कूल मोबाइल लेकर नहीं जा सकती। इसलिए मोबाइल मेरे पापा के पास ही रहता है। लोग उन्हीं से संपर्क करते हैं। जब मैं स्कूल से वापस आती हूं, तो मेरी बात हो जाती है।

जिन्होंने आपके खिलाफ फतवा जारी किया है, उनसे क्या कहना चाहेंगी आप?
मुझे किसी से कोई शिकायत नहीं है। लेकिन ऐसे लोगों से मैं यही कहना चाहती हूं कि आपने ही विवाद शुरू किया है, अब आप ही इसे खत्म कीजिए। मैं चाहती हूं कि किसी बच्चे के लिए किसी तरह के डर का माहौल नहीं होना चाहिए। इस देश में मेरे जैसे तमाम बच्चे हैं, जिनमें संगीत के प्रति ललक है। कई तरह के खेलों के प्रति ललक है। उनमें आगे बढ़ने का जज्बा भी है और प्रतिभा भी। ऐसे बच्चों का मनोबल नहीं टूटना चाहिए। मैं चाहती हूं कि फतवा देने वाले इस फतवे को वापस लें, ताकि यह विवाद खत्म हो जाए।  

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