हिन्दुस्तान एक्सक्लूसिव: राज्यों के मुकाबले 500% तक महंगी दवा खरीद रहा केंद्र
केंद्र और राज्य सरकारें दवाएं अलग अलग दामों में खरीद रही हैं। इसमें भी केंद्र सरकार राज्यों के मुकाबले करीब 500% तक महंगी दवाएं खरीद रही है।
केंद्र सरकार राज्यों के मुकाबले करीब 500% तक महंगी दवाएं खरीद रही
केंद्र और राज्य सरकारें दवाएं अलग अलग दामों में खरीद रही हैं। इसमें भी केंद्र सरकार राज्यों के मुकाबले करीब 500% तक महंगी दवाएं खरीद रही है। एक केंद्रीय आयोग के 14 सामान्य दवाओं की खरीद पर किए अध्ययन में यह खुलासा हुआ है। तमिलनाडु ने एंटी बायोटिक ‘सेफोपेराजोन सोडियम’ दवा को 13.45 रुपये/यूनिट की दर पर खरीदा। वहीं, केंद्र की स्वास्थ्य योजना (सीजीएचएस) के तहत उसे 48.96 रुपये में खरीदा गया। जबकि केंद्र की पूर्व सैनिक अंशदायी स्वास्थ्य योजना (ईसीएचएस) ने इस दवा को 63.40 रुपये (471% महंगी) में खरीदा।
ऐसे ही यूपी ने ‘डाइक्लोफेनेक’ दवा को 1.32 रुपये की दर से खरीदा। वहीं, ईसीएचएस के तहत इसे 3.7 रुपये और सीजीएचएस के तहत 3.87 रुपये प्रति यूनिट (राज्य से 280% महंगी) की दर से खरीदा गया।
रक्त चाप, मधुमेह, बुखार, हाइपरटेंशन, पेट के संक्रमण से लेकर विटामिन तक की खरीद में यह अंतर सामने आया है। अध्ययन को 14 दवाओं तक इसलिए सीमित रखा गया क्योंकि केंद्र और राज्यों की सूची में ये दवाएं ही समान हैं। इसलिए इनकी तुलना संभव है। राज्यों में तमिलनाडु की खरीद सबसे बेहतर रही है।
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दवा एक दाम अलग : ओआरएस दवा केंद्र ने यूपी से तिगुनी महंगी खरीदी
दवा |
ईसीएचएस (पूर्व सैनिक अंशदायी स्वास्थ्य योजना) |
सीजीएचएस (केंद्र की स्वास्थ्य योजना) |
राजस्थान | छत्तीसगढ़ | यूपी | तमिलनाडु |
-पैरासिटामॉल सिरप (125 एमजी 60एमल, |
9.84 रुपए | 10.95 रुपए | 4.62रुपए | 5.86 रुपए | 5.51रुपए | 5.55 रुपए |
सेफोपेराजोन सोडियम एंड इंजेक्शन (एंटीबायोटिक) | 63.4 रुपए | 48.96 रुपए | 20.15 | 14.45रुपए | 16.64रुपए | 13.45रुपए |
ओआरएस (शरीर में पानी की कमी को पूरा करने वाला पाउडर) | 2.25रुपए | 5.82 रुपए | 2.4रुपए | 1.17रुपए | 1.97रुपए | 1.86रुपए |
डाइक्लोफेनेक (25 एमजी आईपी 3एम इंजेक्शन दर्द की दवा) |
3.7रुपए | 3.87रुपए | 1.16 रुपए | 1.18रुपए | 1.32रुपए | 1.39रुपए |
एम्लोडाइपिन बिसीलेट 5 एमजी (बीपी दवा) | 0.22रुपए | 0.19रुपए | 0.08रुपए | 0.42रुपए | 0.12रुपए |
0.07रुपए |
आप पर ऐसे असर
सीधे तो आप पर असर नहीं पड़ता। मगर जनता द्वारा चुकाए प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष कर से एकत्र हुए कोष से सरकारी खरीद की जाती है। ऐसे में पीछे से आपकी जेब कटती है।
सवाल-जवाब
- दवाओं की खरीद कैसे की जाती है?
इसके लिए सरकार टेंडर जारी करती है।
- केंद्र सरकार महंगे दाम क्यों चुका रही?
टेंडर व्यवस्था दुरुस्त न होना बड़ा कारण।
- क्या सस्ती दवा की गुणवत्ता कम होती है?
संभव है पर जरूरी नहीं राज्यों की प्रक्रिया बेहतर।
- केंद्र सरकार इसे आखिर कैसे रोकेगी?
औषध मंत्रालय के नेतृत्व में समिति तीन मुद्दों गुणवत्ता, प्रभाव और दाम पर अपने सुझाव जल्द ही केंद्र सरकार को देगी।