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सामूहिक विवाह समारोह में 21 जोड़े परिणय सूत्र में बंधे

तिकोना पार्क स्थित महारानी वैष्णो देवी मंदिर में रविवार को पांचवा सामूहिक विवाह समारोह आयोजित किया गया। इसमें जरूरतमंद 21 जोड़े परिणय सूत्र में बंध गए। पूरे दिन कन्या पक्ष और वर पक्ष की ओर से विवाह की...

सामूहिक विवाह समारोह में 21 जोड़े परिणय सूत्र में बंधे
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 26 Feb 2017 10:05 PM
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तिकोना पार्क स्थित महारानी वैष्णो देवी मंदिर में रविवार को पांचवा सामूहिक विवाह समारोह आयोजित किया गया। इसमें जरूरतमंद 21 जोड़े परिणय सूत्र में बंध गए। पूरे दिन कन्या पक्ष और वर पक्ष की ओर से विवाह की रस्म अदायगी की गई। सामूहिक रूप से 21 दुल्हों की बैंड़ बाजों के साथ बारात निकली और दोपहर बाद मंदिर में 21 जोड़ों के फेरे पंडित ओमप्रकाश के नेतृत्व में आचार्यों ने कराए। 

मंदिर कमेटी के प्रधान जगदीश भाटिया के आह्वान पर शहर के गणमान्य व्यक्तियों ने इस शादी समारोह में यथासंभव कन्यादान किया। मंदिर कमेटी ने सभी 21 जोड़ों को नया जीवन शुरू करने के लिए जरूरत का सामान बतौर उपहार देकर विदा किया। मंदिर परिसर में रविवार को सुबह से ही कमेटी के सदस्य विवाह के आयोजन में जुटे थे।  करीब नौ बजे ही वर पक्ष और कन्या पक्ष के लोग पहुंचने लगे। दोंनों पक्षों के लिए अलग-अलग हॉल में ठहरने का इंतजाम किया गया। फिर दोनों पक्ष अपनी बची हुई विवाह की रस्म अदायगी करने में जुट गए।

नाश्ते के बाद 21 दुल्हों की बारात बैंड-बाजों के साथ निकली। बारात का स्वागत कमेटी के सदस्य और कन्या पक्ष के लोगों ने किया। मंदिर के सामने लगाए गए शामियाने में सामुहिक रूप से जयमाला हुई। भोजन के बाद फेरों का कार्यक्रम आयोजित किया गया। शादी में शामिल वर पक्ष और कन्या पक्ष के लोगों का उत्साह भी खूब झलका। इस मौके पर मंदिर कमेटी के प्रधान जगदीश भाटिया, भाजपा नेता रूपसिंह नागर, गुलशन भाटिया, रमेश सहगल, प्रताप भाटिया, इंद्रजीत सब्बरवाल, बसंत कालड़ा, मनोज शर्मा, राहुल मक्कड़, खेमचंद, आहुजा, अमित शर्मा, धीरज पुंजानी, नेतराम डागर, अमित बब्बर, ललित व अनिल भाटिया आदि मोजूद रहे।

दिव्यांग नीतू का सहारा बनकर लूटी वाहवाही 
यूं तो वैष्णो देवी मंदिर में पांचवा सामुहिक विवाह समारोह आयोजित किया गया। लेकिन यह समारोह बीते चार आयोजनों से खास इसलिए रहा कि इन 21 जोड़ों में एक जोड़ा सभी की वाहवाही लूटता दिखाई दिया। मूल रूप से मथुरा निवासी संतोष पाठक ने दिव्यांग नीतू से शादी की। संतोष एक निजी कंपनी में काम करता है और नीतू के मौहल्ले में ही रहता है। संतोष ने नीतू के साथ शादी करने की इच्छा व्यक्त की तो नीतू की मां ने अन्य रिश्तेदारों के साथ बातचीत के बाद शादी का निर्णय लिया। संतोष पाठक ने फेरों के समय भी पैरों से लाचार लक्ष्मी को गोद में उठाकर फेरे लिए। संतोष जब नीतू का जिंदगी भर का सहारा बना तो सम्मेलन में मौजूद सभी लोगों की आंखें भर आई। 
परिणय सूत्र में ये बंधे 
नीतू संग संतोष पाठक,  कविता संग विनोद, पूजा संग होशियार, सुमन संग शेर सिंह, कीर्ति संग प्रशांत, वर्षा संग सोहन, पिंकी संग रामाधार, सरदा संग सुरेश, रीना संग संजय, पूजा संग अमीचंद, पूनम संग टेकचंद,
प्रतीती संग कपिल, गीता संग गोविंदा, राखी संग नरेश, पूजा संग रोहित, राखी संग दीपक, पूजा संग प्रेमचंद, राजेश संग मनीष, सुलोचना संग राममोहन, प्रीति संग अनिल, ऋतिका संग विजय ओझा।   
जीवन शुरू करने के लिए सभी जोड़ों को दिए गए ये उपहार 
-दोहरा पलंग, दो गद्दे, दो तकिया एवं कवर, बिस्तर की चादरें, कंबर, अलमारी, 51 बर्तन, पंखा, आटे का बर्तन, अटैची, 7 साड़ी, दुल्हे के लिए कोट, पेंट व कमीज आदि।

जगदीश भाटिया, प्रधान, मंदिर कमेटी: सरकारों की भेदभाव वाली नीतियों के चलते समाज में अमीरी-गरीबी की असमानता तेजी से बढ़ रही है। ऐसे में बहुत से परिवार अपने बच्चों की शादी का खर्च वहन में करने में असक्षम हैं। इसलिए मंदिर कमेटी ने यह जिम्मा उठाया है। यहां पहले परिचय सम्मेल होता है, जिसमें रिश्ते तय होते हैं और फिर शुभ मुर्हत पर सामूहिक विवाह करा दिया जाता है। 
 

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