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ऑनलाइन होंगी सहकारी समितियां

जनपद में सहकारी समितियों से अब किसानों को शत प्रतिशत सरकारी योजनाओं का लाभ मिल सकेगा। ऐसा सहकारी समितियों के ऑनलाइन होने के बाद होगा। जल्द ही सहकारी समितियों को ऑनलाइन करने की तैयारी है। हालांकि अभी...

ऑनलाइन होंगी सहकारी समितियां
लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 25 Mar 2017 07:00 PM
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जनपद में सहकारी समितियों से अब किसानों को शत प्रतिशत सरकारी योजनाओं का लाभ मिल सकेगा। ऐसा सहकारी समितियों के ऑनलाइन होने के बाद होगा। जल्द ही सहकारी समितियों को ऑनलाइन करने की तैयारी है। हालांकि अभी बकायेदार किसानों के खाते तो खोले जा रहे हैं, लेकिन उन्हें सरकारी सुविधाएं तभी मिलेगी जब वे कर्ज मुक्त होंगे।

जनपद में सहकारी समितियों का जाल फैला हुआ है। 78 समितियां कार्य कर रही हैं। यहां से हजारों किसान खाद, बीज व अन्य सामान लेते रहे हैं। इन समितियों के माध्यम से किसानों को सरकारी योजनाओं का लाभ आधा-अधूरा दिया जाता रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर अब सहकारी समितियों को ऑनलाइन किया जाना शुरू कर दिया गया है। सहायक निबंधक सहकारी समितियां राघवेंद्र सिंह का कहना है कि केसीसीधारक करीब 45,263 किसानों को ऑनलाइन किया जा चुका है। इनके खाते सहकारी बैंकों में खोले जा चुके हैं। अभी 8009 किसानों की फीडिंग होनी बाकी है। हलांकि जिला कृषि विभाग में किसानों की संख्या पांच लाख के करीब है, लेकिन अधिकांश किसानों के पास केसीसी नहीं हैं। एआर राघवेंद्र सिंह का कहना है कि किसान क्रेडिट कार्ड बैंक में खाता खुलवाकर प्राप्त कर सकते हैं। सभी खाते आधार लिंक होंगे।

8500 किसान बकेदार की श्रेणी में शामिल

सहायक निबंधक सहकारी समितियां राघवेंद्र सिंह का कहना है कि अब तक सहकारी बैंकों में फीडिंग किए केसीसीधारक किसानों में करीब 8500 किसान बकायेदार की श्रेणी में हैं। इनको ऑनलाइन तो कर दिया गया है, लेकिन सरकारी योजनाओं का लाभ वे तभी ले सकेंगे, जब वे अपना बकाया निल कर देंगे। किसानों को रुपये कार्ड भी खरीद को दिए जाएंगे। उन्होंने बताया कि ऑनलाइन होने से किसानों को सस्ती ब्याज पर कर्ज भी आसानी से मिल सकेगा।

अब समितियों पर नहीं होगी धांधलेबाजी

सहकारी समितियों के ऑनलाइन होने से अब धांधलेबाजी पर लगाम लग जाएगी। समिति पर हर सरकारी योजना के तहत आयी सामग्री ऑनलाइन होगी। ऐसे में चहेते किसानों को लाभान्वित किया जाना संभव नहीं हो सकेगा। समितियां स्टॉक में माल होने के बाद भी किसानों को न देने का कोई बहाना नहीं कर सकेंगी। खाद, बीज व अन्य वस्तुएं अगर समिति पर उपलब्ध है तो उसे छिपाना या फिर बकाया राशि का गबन करना आसान नहीं होगा।

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