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हड़ताल : आगरा की बैंकों में ताले, गरजे बैंककर्मी

यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस के आह्वान पर मंगलवार को देश भर में बैंकों की हड़ताल की गई। आगरा में भी बैंकों में सुबह से ही ताले डाल दिए गए थे। बैंक कर्मचारियों के विभिन्न संगठन संजय प्लेस स्थित एलआईसी...

हड़ताल : आगरा की बैंकों में ताले, गरजे बैंककर्मी
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 28 Feb 2017 12:56 PM
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यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस के आह्वान पर मंगलवार को देश भर में बैंकों की हड़ताल की गई। आगरा में भी बैंकों में सुबह से ही ताले डाल दिए गए थे। बैंक कर्मचारियों के विभिन्न संगठन संजय प्लेस स्थित एलआईसी बिल्डिंग के सामने इकट्ठे हुए और जमकर प्रदर्शन किया। इसके बाद बैंक कर्मियों ने रैली निकाली।

ये हैं हड़ताल के मुद्दे

- कर्मियों को विमुद्रीकरण कार्य करने के दौरान अतिरिक्त घंटों में किए गए काम की न्यायसंगत प्रतिपूर्ति

- उपदान की सीमा को हटाया जाना और अवकाश नकदीकरण के सेवानिवृत्ति के अवसर पर आयकर से छूट

- कर्मकार/अधिकारी निदेशकों की सभी बैंक में तुरंत नियुक्ति, अगले वेतन पुनरीक्षण प्रक्रिया को जल्द शूरू करने

- केन्द्रीय कर्मियों की तर्ज पर पेंशन योजना में सुधार, 25 मई के समझौते के रिकार्ड नोट पर जल्द कार्यवाही

- केन्द्र की योजना के अनुरूप अनुकंपा आधार पर नियुक्ति योजना को लागू करना और सभी को फायदा दिलाना

- सभी संवर्गों में पर्याप्त भर्ती, बैंकों को विमुद्रीकरण के मूल्य की प्रतिपूर्ति, पांच दिनों की बैंकिंग पद्धत्ति लागू करना

- खराब ऋणों की वसूली के लिए कठोर उपाय करना। जानबूझ कर चूक करने वालों के खिलाफ फौजदारी में मुकदमा

संघ समर्थित यूनियन हड़ताल में शामिल नहीं

संघ समर्थित बैंक यूनियनों ने हड़ताल से दूरी बनाने का ऐलान करते हुए वामपंथियों को सबक सिखाने की घोषणा की है। नेशनल ऑर्गनाइजेशन ऑफ बैंक ऑफिसर्स के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वीके गोयल के अनुसार एनओबीओ और एनओबीडब्ल्यू हड़ताल में शामिल नहीं हैं। इस लिहाज से यह हड़ताल यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस की नहीं मानी जा सकती। क्योंकि यह दोनों संगठन भी फोरम के अहम साझीदार हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि मौजूदा हड़ताल के लिए आह्वान करने वाले कहां थे, जब नोटबंदी में 12-18 घंटे काम करने वाले कर्मी बदनाम किए जा रहे थे। आज एनपीए का शोर किया जा रहा है, जब यह जारी हुए थे, तब किसी ने विरोध क्यों नहीं किया। इसी के साथ कहा कि पांच दिन की बैंकिंग की बात पहले ही मान ली गई थी, लेकिन वामपंथी विचारधारा के कारण अमल में नहीं आ सकी।

दिन भर रही भीड़ (फोटो है)

तीन दिन बाद सोमवार को जनपद की बैंक खुली। एक साथ भीड़ टूट पड़ी। बड़ी संख्या में लोगों ने चेक आदि जमा कराए। वहीं कइयों ने बड़ी राशियों की जमा-निकासी की। लोन आवेदन, लॉकर देखना, पास बुक प्रविष्टि जैसे ढेरों काम के लिए लिए लोग लाइन में लगे।

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