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दीपिका है अब भी स्पेशल फेंड्र: रणवीर

नई पीढ़ी के ऊर्जावान एक्टरों में रणवीर सिंह टॉप पर हैं। 19 साल की उम्र में उन्होंने अपने पापा से साफ कह दिया था कि मैं तो बस हीरो बनूंगा। रणवीर फिल्मों में आते ही छा गये। देखते ही देखते उनकी छवि एक...

दीपिका है अब भी स्पेशल फेंड्र: रणवीर
लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 23 May 2015 02:32 PM
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नई पीढ़ी के ऊर्जावान एक्टरों में रणवीर सिंह टॉप पर हैं। 19 साल की उम्र में उन्होंने अपने पापा से साफ कह दिया था कि मैं तो बस हीरो बनूंगा। रणवीर फिल्मों में आते ही छा गये। देखते ही देखते उनकी छवि एक खिलंदड़े, लेकिन ऊर्जा से भरपूर हीरो की बन गयी।

काफी कम समय में आपने नाम, शोहरत, पैसा काफी कुछ कमाया है। बड़े बैनरों और नामचीन निर्माता-निर्देशकों की आप पहली पसंद हैं। इतना भरोसा कैसे हासिल कर लिया?
मैं अपने काम के प्रति ईमानदार और पॉजिटिव एनर्जी से भरा हुआ इंसान हूं। मैं अपने किरदार को सौ प्रतिशत देने की कोशिश करता हूं। मैंने मेहनत से घबराना नहीं सीखा। मेरा मानना है कि ईमानदारी से ही भरोसा पैदा होता है। मैं अपने आपको बहुत भाग्यवान मानता हूं कि कई बड़े बैनर मुझे लगातार मौके दे रहे हैं।

‘दिल धड़कने दो’ में आप एक अमीर बाप के बिगड़ैल बेटे लग रहे हैं?   
अच्छा, हां मुझे कई लोगों ने ऐसा कहा। पर मेरा किरदार यहीं तक सीमित नहीं है। मैं कबीर मेहरा नामक युवा का किरदार निभा रहा हूं, जो दिल्ली के एक पंजाबी परिवार से ताल्लुक रखता है। कबीर, फराह अली के प्यार में पागल है। फराह का किरदार अनुष्का ने निभाया है। खास बात यह है कि इस फिल्म में अनिल कपूर और शेफाली शाह मेरे माता-पिता के रोल में हैं और प्रियंका चोपड़ा मेरी बहन बनी हुई हैं। सभी किरदार काफी दिलचस्प हैं। 

जोया के निर्देशन में काम करने के कैसे अनुभव रहे? वे दूसरे निर्देशकों से किस मायने में अलग हैं?
जोया अपने काम में बिल्कुल परफेक्ट हैं। मानवीय पहलुओं पर उनकी गहरी पकड़ है। उनकी स्क्रिप्ट में आपको किरदारों के बारे में काफी डिटेल मिलेगी। जब मैंने फिल्म की शूटिंग शुरू की थी, तब मैंने शानदार बॉडी बनाई थी, लेकिन जोया ने कहा कि कबीर का किरदार कोई रॉकी या रैंबो जैसा नहीं है। मुझे अपना वजन कम करना होगा और सामान्य युवक की तरह लगना होगा। फिर मुझे अपना काफी वजन घटाना पड़ा।

यह एक मल्टीस्टारर फिल्म है। इतने सारे किरदारों के बीच कहीं दर्शक आपको ढूंढ़ते तो नहीं रह जाएंगे?
यह महज इत्तेफाक है कि यह एक मल्टीस्टारर फिल्म है और मैं इसमें काम कर रहा हूं। लेकिन मेरी अगली फिल्म ‘बाजीराव मस्तानी’ में एक हीरो और दो हीरोइन हैं। सच यह है कि मैं स्क्रिप्ट पढ़ने के बाद ही निर्णय लेता हूं कि कौन सी फिल्म करनी है और कौन सी छोड़ देनी है। अगर मुझे स्क्रिप्ट पसंद आ गई तो मैं यह नहीं देखता हूं कि इसमें दूसरे कलाकार कौन हैं या कितने हैं।

स्क्रीन पर कभी आपकी जोड़ीदार रहीं अनुष्का शर्मा के बारे में क्या कहेंगे?
वो आज भी जोड़ीदार हैं। वैल, अनुष्का ने तेजी से अपनी जगह बनाई है। अब तो वह सफल निर्माता भी हैं। मुझे पता है कि वह अपने काम के प्रति जितनी ईमानदार हैं, उतना ही आपसी संबंधों को भी महत्व देती हैं। इस फिल्म की शूटिंग के दौरान हमारी पुरानी दोस्ती बहुत काम आई। जब मुझे जोया ने बताया था कि मेरे अपोजिट अनुष्का को लिया जा रहा है, तभी से मैं उनके साथ काम करने को बेचैन था।

आप गोविंदा के बहुत बड़े फैन हैं। आपके अभिनय पर भी उनका असर पड़ता है क्या?
मैं समझता हूं कि सीधे रूप से तो नहीं पड़ता, लेकिन हां, उनके टैलेंट का मैं कायल हूं। जब मैं छोटा था तो उनके गानों पर डांस करता था। जब कॉलेज जाने लगा तो उनकी एक्टिंग की भी नकल करने लगा। मुझे कॉलेज में लोग जूनियर गोविंदा कहा करते थे। उनकी कॉमिक टाइमिंग का जवाब नहीं। शायद उन्हें यह प्रतिभा ईश्वर की देन है। उनकी तुलना सिर्फ हॉलीवुड के एक्टर जिम कैरी से की जा सकती है। मैं अपने आपको उनका सबसे बड़ा फैन मानता हूं।

बहुत कम लोगों को संजय लीला भंसाली के साथ दोबारा काम करने का मौका मिलता है?
किसी भी अभिनेता को ऐसी फिल्म जीवन में एकाध बार ही मिलती है। मेरे लिए तो यह पूरे जीवन की कमाई जैसा किरदार है। बाजीराव की भूमिका में विविध रंग हैं। वह जितना बड़ा योद्धा था, उतना ही अच्छा पति भी था। जहां तक भंसाली सर के साथ काम करने के अनुभव की बात है तो मैं कह सकता हूं कि उनके जैसा कोई नहीं। और हां, मैं खुशकिस्मत हूं कि संजय लीला भंसाली के साथ फिर काम कर रहा हूं।

काफी कम उम्र में आपने अपने पिता से कह दिया था कि आप सिर्फ एक्टर बनना चाहते हैं और कुछ नहीं?
हां, मैंने उन्नीस साल की उम्र में पापा से कह दिया था कि मुझे अब एक्टर ही बनना है और कोई काम नहीं करना है। पापा ने मेरा जुनून देखा और मुझे पूरा सहयोग दिया। लेकिन मेरे परिवार में किसी का अभिनय की दुनिया से कोई ताल्लुक नहीं था, इसलिए मुझे संघर्ष भी करना पड़ा। संघर्ष के दौरान एक बार मेरे मन में आया कि एक्टर बनने से ज्यादा अच्छा राइटर बनना है। लेकिन इस बीच मुझे सहायक-निर्देशक बनने का चांस मिल गया। इसके बाद का किस्सा तो सभी को पता है कि कैसे मुझे यशराज जैसे बड़े बैनर की फिल्म में लीड भूमिका निभाने का ऑफर मिला।

शूटिंग के दौरान आप बार-बार चोटिल हो जाते हैं। क्या आप लापरवाह हैं?
मैं कुछ ज्यादा ही उत्साही हूं। अक्सर मैं अपने स्टंट खुद करने की कोशिश करता हूं। इस फिल्म की शूटिंग जयपुर में हो रही थी, तब घोड़े पर बैठकर मैं एक स्टंट सीन कर रहा था। घोड़ा बिदक गया और मैं गिर गया। चोट लग गयी। हाथ में गहरा जख्म हो गया और मुझे इसकी सर्जरी करवानी पड़ गई। 

‘किल दिल’ से आपको बहुत उम्मीदें थीं, लेकिन यह फिल्म दर्शकों को पसंद नहीं आई?
दर्शकों की पसंद को कोई चुनौती नहीं दी जा सकती, ऐसी परिस्थिति में भला क्या किया जा सकता है। अगर मुझ से पूछेंगे, तो यह मेरी फेवरेट फिल्म है।

दीपिका पादुकोण के साथ अपनी कैमिस्ट्री के बारे में क्या कहेंगे?
दीपिका मेरी स्पेशल फ्रेंड हैं। मैंने उनसे काफी प्रेरणा ली है। वे मेरी भावनाओं को अच्छी तरह समझती हैं। मेरे दिल में उनके लिए बहुत ज्यादा सम्मान है। उनकी मौजूदगी मुझ में एनर्जी भर देती है। उन्हें देखने भर से मैं खुशियों से भर उठता हूं।

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