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ड्राई आइज़ सिंड्रोम: सर्दियों में जल रहीं हैं आंखें, इससे मिलेगा आराम

ये है ड्राई आइज़ सिंड्रोम... दिसंबर शुरू हो गया है और उत्तर भारत समेत पूरे देश में कड़ाके की सर्दी पड़नी शुरू हो गयी है। सर्दियों में ड्राई स्किन समस्या से निपटने के लिए आप मॉइश्चारइज़ का इस्तेम

लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 10 Dec 2016 09:52 AM

ये है ड्राई आइज़ सिंड्रोम...

दिसंबर शुरू हो गया है और उत्तर भारत समेत पूरे देश में कड़ाके की सर्दी पड़नी शुरू हो गयी है। सर्दियों में ड्राई स्किन समस्या से निपटने के लिए आप मॉइश्चारइज़ का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन क्या इन दिनों आपकी आंखें भी बार-बार ड्राई हो रही हैं और उनमें जलन भी हो रही है? अगर ऐसा हो रहा है तो इसे हलके में न लें ये ड्राई आइज़ सिंड्रोम के लक्षण हैं। यह समस्या वैसे तो सामान्य है, लेकिन इसे लगातार नजरअंदाज़ करने पर आंखों को नुकसान पहुंच सकता है।

क्या है ड्राई आइज़ सिंड्रोम
ड्राई आइज़ रहने के कई कारण हो सकते हैं। ख़ासकर सर्दियों में लोग इससे ज़्यादा परेशान रहते हैं। सुबह में जब आप उठते हैं, तो अपनी आंखों को ड्राई पाते हैं। तेज सर्दियों में लोगों में ये परेशानियां तेजी से फैलती हैं, लेकिन सामान्य समस्या न होकर वास्तव में ये परेशानियां ड्राई-आई सिंड्रोम नामक बीमारी के लक्षण हैं। रूह कंपाने वाले इस मौसम में हम पूरे शरीर को तो अच्छी तरह से ढक लेते हैं, पर शरीर का एक हिस्सा इन दिनों चलने वाली बर्फीली हवाओं से सर्वाधिक प्रभावित होता है, और वह है हमारी आंखें। 

लोगों को सर्दियों में कम प्यास लगती है, जिसकी वज़ह से वे पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं पी पाते हैं। आंखों को सही ढंग से नमी नहीं मिल पाती है, जो ड्राई आइज़ रहने का एक कारण हो सकता है। नमी की कमी आंखों के लिए काफी हानिकारक होता है। रूह कंपाने वाले इस मौसम में हम पूरे शरीर को तो अच्छी तरह से ढक लेते हैं, पर शरीर का एक हिस्सा इन दिनों चलने वाली बर्फीली हवाओं से सर्वाधिक प्रभावित होता है, और वह है हमारी आंखें।

लक्षण
आंखों में खुजली रहना, जलन होना, संवेदनशीलता, लाली, आंखों की नमी का अचानक कम हो जाना आदि इसके कुछ सामान्य लक्षण हैं।


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ये हैं इस बीमारी के सामान्य कारण

मौसम के अलावा आंखों के ड्राई होने के और भी कई कारण हो सकते हैं। विटामिन सी की कमी, महिलाओं में मेनोपॉज के बाद, कुछ दवाओं जैसे सल्फा ग्रुप इत्यादि के एलर्जी रीएक्शन के कारण, एलर्जी की समस्या से ग्रसित होने पर, थॉयरायड जैसी समस्या होने पर, लंबे समय तक बिना पलक झपकाए कंप्यूटर पर काम करते रहने से, अधिक देर तक टीवी देखने व उच्च स्तर के प्रदूषण के कारण।

स्मॉगः आई टेक विजन सेंटर की नेत्र चिकित्सक डॉ। अंशिमा ने बताया कि “आंखों से संबंधित समस्याओं के लिए अगर हम कहें की सर्दियां सबसे बुरा मौसम है, तो यह गलत नहीं होगा, क्योंकि इस दौरान वातावरण में स्मॉग (फॉग और धुएं का मिश्रण) बहुत बढ़ जाता है। इसकी वज़ह से आंखें ड्राई रहने लगती हैं। ऐसा नहीं है कि केवल स्मॉग ही ड्राइ आइज़ का कारण है, लेकिन, वहीं हम इस बात से भी इनकार नहीं कर सकते कि यह ड्राइ आइज़ या एलर्जी जैसी समस्याओं को बढ़ाता है”।

सर्जरीः कई बार ऐसा भी देखा गया है कि किसी भी प्रकार की आंखों की सर्जरी के बाद कुछ समय तक आखें ड्राई रहती हैं।

हॉर्मोन संबंधी समस्याएं: ड्राई आइज़ की समस्या पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं को अधिक होती है, जिसका कारण प्रेग्नेंसी या गर्भनिरोधक गोलियों के सेवन की वज़ह से महिलाओं के हार्मोन में आया परिवर्तन हो सकता है।

मेकअपः हेवी आई मेकअप से कई बार ऐसा होता है कि आखों के ऑयल ग्लैंड्स में ब्लॉकेज हो जाता है, जिसके कारण भी ड्राई आइज़ की समस्या उत्पन्न होती है।

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कैसे बचें इस समस्या से

1. आंखों को सीधी हवा के संपर्क में न आने दें। 
2. इससे बचने के लिए चश्मे का इस्तेमाल करें।
3. कंप्यूटर पर काम करने के दौरान बीच-बीच में पलक झपकाना नहीं भूलें।
4. यदि कॉन्टेक्ट लेंस का इस्तेमाल कर रहे हैं तो एक बार अपने आंखों के डॉक्टर के पास जाएं।
5. हेयर ड्रायर, कार हीटर, एसी ब्लोअर और पंखे से आंख को दूर रखें।
6. धूप में जाने से पहले आंखों को कवर करना न भूलें।
7. सर्दी में कमरे को गर्म रखने वाले उपकरणों से आंखों को बचाएं।
8. इसके लिए हीटर के पास एक मग पानी रख दें, ताकि रूम में नमी बनी रहे।
9. कुछ लोग विशेष प्रकार के डिजायन किए गए ग्लास का उपयोग करते हैं। यह आंखों के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है।
10. आंखों में जलन या खुजली महसूस होने पर इसे रगडम्ने के बजाय आंखों पर ठंडे पानी से छींटें मारें।
11. फौरन किसी अच्छे नेत्र चिकित्सक से संपर्क करें तथा बिना उनकी सलाह के किसी भी प्रकार की दवा या फिर आइड्रॉप का प्रयोग न करें। 
12. अधिक से अधिक पानी पिएं और विटामिन ए, सी, ई और ओमेगा फैटी ऐसिड युक्त खाद्य पदार्थों को अपनी डाइट में शामिल करना न भूलें। 
13. बिना चिकित्सक की सलाह के कॉन्टैक्ट लेंस का उपयोग न करें।

क्या है समाधान
ड्राई आई की बढ़ती समस्याओं को देखते हुए उपचार के तौर पर अभी तक केवल आंखों में चिकनाई उत्पन्न करने वाला ड्रॉप बना है। लेकिन इस दिशा में और भी कुछ नए संभावित विकल्प सामने आए हैं। साइक्लो स्पोरिन ड्रॉप भी एक विकल्प है, जो रोगी के इमेन्यू सिस्टम के साथ काम करता है। रोगियों में कनेक्टिव-टिशू डिसऑर्डर होने पर उनको वायरायड पैबोलॉजी करानी चाहिए। यह 40-50 प्रतिशत मामलों में मददगार हो रहा है। यह आंखों में चिकनाई लाने वाली आई ड्राप्स की आवश्यकता को कम करता है। 

एक अन्य विकल्प पंकटल प्लग है। यह काफी छोटी प्लग होती है, जो आंसू के श्राव को बंद कर देती है। यह मुलायम सिमीकन की बनी होती है, इसे आसानी से लगाया जा सकता है। यह आंसुओं को रोकने में मदद करती है, ताकि नमी बरकरार रहे। हवा को नम रखने वाले उपकरण की मदद से अपने घर में पर्याप्त मात्रा में नमी को बनाये रखें। यह आपकी आंखों में तरल को वाष्पीकृत होने से रोकेगा और आंखों में जलन और खुजली शुरू होने से पहले ही इन पर काबू पा लेगा।

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