पीड़ित पति भी ले सकते हैं पत्नी से खर्चा
आगरा। हिन्दुस्तान संवाद। पति पत्नी तलाक मामले में अगर पत्नी सरकारी नौकरी में है और पति बेरोजगार है तो ऐसे में वह पत्नी से खर्चे का दांवा कर सकता है। हिन्दू मैरेज एक्ट सेक्शन 24 के तहत ऐसा प्रावधान...
आगरा। हिन्दुस्तान संवाद। पति पत्नी तलाक मामले में अगर पत्नी सरकारी नौकरी में है और पति बेरोजगार है तो ऐसे में वह पत्नी से खर्चे का दांवा कर सकता है। हिन्दू मैरेज एक्ट सेक्शन 24 के तहत ऐसा प्रावधान है। इस एक्ट के आधार पर ऐसा ही एक मामला प्रकाश में आया है। जिसमें पत्नी पति को ढाई हजार रुपये खर्चे के लिए देगी। जब तक कोर्ट में केस चलेगा। यह मामला है रोहतक कोर्ट का। इसमें सबसे बड़ी बात यह है कि पत्नी सरकारी नौकरी में है जबकि पति का व्यवसाय है।
इस मामले में अधविक्ता नमीता गर्ग का कहना है कि रोहतक कोर्ट का यह अनोखा फैसला है। समाज के लिए उदाहरण है। आगरा के फैमिली कोर्ट में कई ऐसे मामले आते हैं जिसमें पत्नी सरकारी नौकरी में है और पति बेरोजगार। ऐसे में हमारी कोशशि रहती है कि पत्नी द्वारा पति को खर्चा दिया जाए। लेकिन यहां की फैमिली कोर्ट में ऐसे मामलों को अनदेखा कर दिया जाता है। पति पर ही खर्चे की जिम्मेदारी डाल दी जाती है। जबकि दिल्ली और हाइकोर्ट में कई ऐसे फैसले आ चुके हैं जिसमें पत्नी पति को खर्चे के लिए पैसे देती है, जब तक कोर्ट में केस चलता है।
आगरा में भी ऐसा होना चाहिए। ऐसा फैसला महिलाओं के लिए एक सबक है। जरुरी नहीं की हमेशा पुरुष ही गलत हो। ऐसे मामलों में 60 प्रतिशत महिलाएं भी जिम्मेदार पाई गई हैं। यह है आकड़ाफैमिली कोर्ट में प्रति माह दर्ज होते हैं 200 से अधिक मामले तलाक के। यह है शर्तपत्नी की हो सरकारी नौकरी और पति हो बेरोजगार।