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छठ मइया की पूजा

लोक पर्व हर प्रदेश की क्षेत्रीय सांस्कृतिक विरासत का आईना होता है। बिहार के लोक पर्वों में से एक है छठ जिसमें पवित्रता, आस्था और श्रद्धा अपनी पराकाष्ठा पर होती है। प्रत्येक वर्ष कार्तिक और चैत्र मास...

छठ मइया की पूजा
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 29 Oct 2014 12:26 AM
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लोक पर्व हर प्रदेश की क्षेत्रीय सांस्कृतिक विरासत का आईना होता है। बिहार के लोक पर्वों में से एक है छठ जिसमें पवित्रता, आस्था और श्रद्धा अपनी पराकाष्ठा पर होती है। प्रत्येक वर्ष कार्तिक और चैत्र मास में, शुक्ल पक्ष की षष्ठी को की जाने वाली सूर्यपूजा छठ नाम से लोक प्रचलित है। सूर्य और छठ में क्या समरूपता है? सूर्यपूजा को छठ पूजा क्यों कहते हैं? इस संदर्भ में पुराणों और उपनिषदों में कई कथाएं वर्णित हैं। ये कथाएं भिन्न-भिन्न काल के देवपुरुषों से संबंधित हैं। इनमें एकरूपता नहीं होने के कारण इस निष्कर्ष पर पहुंचना कठिन है कि कौन सी कथा काल्पनिक है और कौन सत्य।

कौन हैं छठी मइया
पंडित भाष्कर मिश्र के मुताबिक छठ षष्ठी का अपभ्रंश है। छठी मइया कौन हैं, इस संदर्भ में यह कथा चर्चित है। राजा प्रियबंद को कोई संतान नहीं थी। एक महर्षि ने राजा के लिए पुत्रेष्टि यज्ञ कराया। यज्ञाहुति की खीर राजा की पत्नी मालिनी को दी। खीर खाने के बाद मालिनी को पुत्र हुआ, लेकिन वह मृत था। पुत्रयोग में वह प्राण त्यागने लगे। उसी समय मानस कन्या देवसेना प्रकट हुईं। उन्होंने राजा से कहा- सृष्टि की मूल प्रवृत्ति के छठे अंश से उत्पन्न होने के कारण मैं षष्ठी कहलाती हूं। इसलिए राजन तुम मेरा पूजन करो और लोगों को भी मेरी पूजा के लिए प्रेरित करो। राजा ने ऐसा ही किया और कार्तिक महीने की षष्ठी तिथि को उनकी पूजा होने लगी। उनकी आराधना को ही छठ पूजा कहा जाने लगा।

छठ महापर्व में हम सूर्य की आराधना करते हैं, तो फिर क्या कारण है कि लोक प्रचलन में सूर्य षष्ठी को मातृशक्ति के रूप में पूजते हैं। ऐतिहासिक दृष्टि से सूर्यपूजा की परंपरा नवप्रस्तर युग अर्थात ईसा पूर्व 8000-9000 में भी प्रचलित थी। उपासना की यह प्रेरणा भारत से पश्चिम एशिया, मिस्र, ग्रीस और रोम को मिली। सूर्य तेजोमयी शक्ति के महापुंज हैं, जिनके बिना सृष्टि की परिकल्पना ही असंभव है। शास्त्रों में सूर्य देवता को विष दूर करने का श्रेय दिया जाता है। सूर्य की स्तुति से मानसिक रोग, कुष्ठरोग, अंधता निवारण की भी चर्चा उपनिषदों और संस्कृत साहित्य में मिलती है।

 

 

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