सोनपुर मेले में रेत भी बोल उठी, छलक पड़ा सौंदर्य
पूर्वी चंपारण के युवा शिल्पी मधुरेन्द्र का सैंड आर्ट मेले के पर्यटन विभाग के परिसर में दर्शकों के आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है। उसने रेत से गज-ग्राह की युद्धरत प्रतिमा बनायी है और इसके जरिए अपनी...
पूर्वी चंपारण के युवा शिल्पी मधुरेन्द्र का सैंड आर्ट मेले के पर्यटन विभाग के परिसर में दर्शकों के आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है। उसने रेत से गज-ग्राह की युद्धरत प्रतिमा बनायी है और इसके जरिए अपनी मूर्तिकला की पहचान स्थापित की है। पर्यटन विभाग के सांस्कृतक पंडाल में प्रवेश करते ही दायीं ओर रेत से बनी यह भव्य कलाकृति दिखाई पड़ती है। मोहक इतना कि दर्शक उसकी फोटोग्राफी करना जरूरी समझ रहे हैं। इस कलाकृति का नाम इंटरनेशनल ग्रीन एंड क्लीन इंडिया रखा गया है। संदेश यह कि नदियां हमारी धरोहर हैं, उन्हें स्वच्छ रखना जीवन के लिए जरूरी है।
वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय से संबद्ध कला एवं शिल्प महाविद्यालय, भोजपुर में वह फाइन आर्ट संकाय में चौथे वर्ष का छात्र भी है। राज्य और राज्य के बाहर कई मेलों, महोत्सवों व सरकारी आयोजनों में सैंड आर्ट और पेंटिंग के नमूने प्रदर्शित कर चुका है। कला की बदौलत उसे कईपुरस्कार भी मिले पर उसकी सबसे बड़ी ट्रेजडी यह कि महोत्सवों और मेलों में उसे अपनी कला प्रदर्शित करने के लिए सरकारी स्तर पर कोई वित्तीय मदद नहीं की जाती। उसके समक्ष आर्थिक कठिनाइयां हैं फिर भी अपनी कोशिशों में वह कमजोर नहीं दिखता और पूरी बुलंदी के साथ अपनी साधना में रत है। कहता है- कोशिश करनेवालों की कभी हार नहीं होती। मंजिल मिलती है। आगामी 26 नवंबर से नेपाल के गढ़ी माई मेले में वह भारत -नेपाल के सांस्कतिक संबंधों पर आधारित बेटी-रोटी नामक कलाकृति प्रस्तुत करनेवाला है।
सैंड आर्ट में अब तक वह नशा का प्रभाव, मानव स्वास्थ्य, भारतीय नृत्य, देवी-देवताओं की प्रतिमाएं, नारी उत्पीड़न, घरेलू हिंसा, गरीबी, मजदूर, शोषण नामक कलाकृतियां बना चुका है। पटना आर्ट कालेज ने 2011 में उसे पुरस्कृत किया था। इसके अलावा 2012 में पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने उसकी सराहना की थी। उत्तरप्रदेश में भी वह पुरस्कृत हुआ। इसी वर्ष उसे बिहार गौरव अवार्ड मिला। उसके खाते में कई पुरस्कार हैं। भविष्य में ऊंचाई की सारी संभावनाएं लिए यह कलाकर अपने लक्ष्य की ओर बढता जा रहा है।