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इंजीनियरों की काली करतूतें

उत्तर प्रदेश में अफसरों के घपले-घोटाले कोई नई बात नहीं। कई आईएएस अधिकारी घोटालों के चक्कर में जेल काट चुके हैं। ब्यूरोक्रेट व टेक्नोक्रेट का शीतयुद्ध भले ही चलता रहा हो लेकिन कलंक में नाम जुड़ने के...

इंजीनियरों की काली करतूतें
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 28 Nov 2014 01:36 PM
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उत्तर प्रदेश में अफसरों के घपले-घोटाले कोई नई बात नहीं। कई आईएएस अधिकारी घोटालों के चक्कर में जेल काट चुके हैं। ब्यूरोक्रेट व टेक्नोक्रेट का शीतयुद्ध भले ही चलता रहा हो लेकिन कलंक में नाम जुड़ने के मामले में दोनों तबके एक-दूसरे से पीछे नहीं। नोएडा के एक मुख्य अभियंता की पत्नी और उनके कारोबारी साङोदारों के यहां गुरुवार को आयकर की टीम की दस्तक इसकी एक और मिसाल है। प्रदेश के इंजीनियरिंग विभाग कैसे भ्रष्टाचार की कालिख वाली कोठरी बनते जा रहे हैं यह उसकी भी एक और बानगी है। जिनके जिम्मे प्रदेश में विकास से जुड़े निमाण कायो का दारोमदार है उनमें से ज्यादातर की प्राथमिकता कमीशनखोरी और लूट है। पेश है हिन्दुस्तान का यह विशेष आयोजन :

 

लखनऊ विकास प्राधिकरण हो या फिर आवास विकास परिषद या फिर राजकीय निमाण निगम या फिर नगर निगम के छोटे-मोटे इंजीनियर.। इन महकमों में दजनों ऐसे बड़े महारथी रहे जिनके आगे बड़े-बड़े सलाम करते नजर आए। उन पर करोड़ों की काली कमाई के आरोप लगे। जांच में नाम आए फिर सरकारों की ढिलाई के चलते ये इंजीनियर खुद को पाक-साफ बताते हुए बच भी निकले।नाम एक नहीं अनेक हैं और करतूतें भी ऐसी की सीबीआई तक जांच करने में हिल गई। यूपीएसआईडीसी के इंजीनियर अरुण मिश्र पर करोड़ों की संपत्ति कमाने के आरोप लगे। सीबीआई ने बैंक घोटाले में जांच की और फंसे भी। दिल्ली में करोड़ों का बंगला सामने आया और ईडी ने जब्त भी किया।

कुछ ऐसे ही नामी गिरामी इंजीनियरों में अनिल गग का नाम रहा। गाजियाबाद विकास प्राधिकरण से लेकर कई विभागों में वह ऊंचे ओहदों पर रहे। फिर याचिका के बाद जांच हुई और शासन ने उन्हें गोरखपुर विकास प्राधिकरण में रहते निलंबित किया। जांच में उन पर भी अकूत संपत्ति बनाने के आरोप लगे।ऐसी ही शोहरत स्मारक घोटाले में फंसे इंजीनियरों ने कमाई। राजकीय निमाण निगम के एम.डी. रहे इंजीनियर सीपी सिंह पर भी तमाम आरोप लगे। लोकायुक्त की जांच के बाद यूपी की सतकता अधिष्ठान ने जांच की। पूछताछ हुई। आरोप करोड़ों कमाने के लगे लेकिन अब तक जांच एजेंसियों ने तफ्तीश में कोई ठोस तथ्य उजागर नहीं किया।बसपा सरकार में ऊंचे रसूख वाले टी. राम ने भी खूब नाम कमाया। स्मारक घोटाले में उनकी पहुंचे के खूब किस्से सामने आए। अव्वल तो सेवाविस्तार मिला फिर टिकट भी और बसपा विधायक बने। यहां तक की सत्ता के गलियारों में विरोधी दलों के नेताओं ने उनके कारनामोंे का खूब बखान किया।

ऐसे ही नामी इंजीनियरों में स्मारक निमाण में सहालकार बनाए गए एस.ए. फारुकी भी रहे। खनन से लेकर पत्थर सप्लाई के हर काम में उनकी दखलंदाजी के किस्से आज भी निमाण निगम में सुनने को मिलते हैं। स्मारक घोटाले में ही लखनऊ विकास प्राधिकरण के इंजीनियर एस.बी. मिश्र पर भी लोकायुक्त की जांच में अंगुलियां उठीं। चीफ इंजीनियर यादव सिंह के घर पर आयकर विभाग का छापा पड़ते ही हड़कंप मच गया। दिल्ली, नोएडा और गाजियाबाद में छापे की कारवाई दिन भर चली।

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