मंदी से 6 करोड़ एशियाई गरीबी रेखा के नीचे
एशियाई विकास बैंक के अध्यक्ष हारुहिको कुरोदा ने कहा कि मंदी से एशियाई देशों की गरीबी में उल्लेखनीय वृद्धि हो सकती है। उन्होंने कहा कि मंदी से खासकर गरीबों का जीवन काफी प्रभावित हुआ है। कुरोदा...
एशियाई विकास बैंक के अध्यक्ष हारुहिको कुरोदा ने कहा कि मंदी से एशियाई देशों की गरीबी में उल्लेखनीय वृद्धि हो सकती है। उन्होंने कहा कि मंदी से खासकर गरीबों का जीवन काफी प्रभावित हुआ है।
कुरोदा ने सिंगापुर में कहा, ‘‘गरीबी कम होने के बजाए हमें लगता है कि एशिया के विकासशील देशों के छह करोड़ लोग वर्ष 2009 में गरीबी रेखा के नीचे चले जाएंगे।’’ प्रतिदिन 1.25 डॉलर से कम कमाने वाले व्यक्ति को गरीब माना जाता है।
बैंक को आशा है कि 3.4 प्रतिशत विकास दर के अनुमान के विपरीत एशिया की विकास दर गिरकर तीन प्रतिशत पर आ सकती है, जो 1997-98 के वित्तीय संकट के बाद सबसे कम है।
कुरोदा ने निर्यात आधारित विकास मॉडल बनाने वाली एशियाई अर्थव्यवस्थाओं से वैश्विक मंदी को एक संभावना के रूप में देखने को कहा।
उन्होंने कहा, ‘‘क्षेत्र को वैश्वीकरण से पीछे हटे बिना विकास को घरेलू और क्षेत्रीय मांग पर आधारित करने में संतुलन स्थापित करना होगा। इसके लिए अधिक क्षेत्रीय सहयोग की आवश्यकता है।’’
उन्होंने कहा कि वैश्विक वित्तीय संकट के दौर में क्षेत्रीय सहयोग का बहुत महत्व है। क्षेत्र को नए वैश्विक वित्तीय ढांचे के लिए मजबूत आवाज उठानी चाहिए।
कुरोदा ने कहा कि दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों के संगठन आसियान के 10 सदस्यों के साथ जापान, दक्षिण कोरिया और चीन संकट के दौर में विश्व समुदाय के साथ काम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने में सक्षम हैं।
कुरोदा सिंगापुर स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ साउथ ईस्ट एशिया स्टडीज के एक सम्मेलन में बोल रहे थे।