समलैंगिकों का क्वियर प्राइड मार्च, धारा 377 खत्म करने की मांग की
रंगबिरंगें कपड़े, चेहरे पर विभिन्न प्रकार के मुखौटे और चश्मे बैंडबाजे की धुन ओर ढोलक की थाप पर नाचते लोग और देश-विदेश की मीडिया का हुजूम रविवार को दिल्ली के बारहखंभा से जंतरमंतर तक यह नजार देखकर...
रंगबिरंगें कपड़े, चेहरे पर विभिन्न प्रकार के मुखौटे और चश्मे बैंडबाजे की धुन ओर ढोलक की थाप पर नाचते लोग और देश-विदेश की मीडिया का हुजूम रविवार को दिल्ली के बारहखंभा से जंतरमंतर तक यह नजार देखकर लोग ठिठक गए और एक दूसरे से पूछते रहे यह क्या हो रहा है? यह जिंदगी के सतरंगी इंद्रधनुषी रंग विखेरने के लिए क्वियर प्राइड मार्च यानि की समलैंगिकों की सलाना परेड थी। जिसे दिल्ली क्वियर प्राइड 09! का नाम दिया गया था।
समलैंगिकता को अपराध मानने वाली धारा 377 को खत्म करने की मांग को लेकर दिल्ली में देश-विदेश से आए सैकड़ों समलैंगिक और उनके समर्थकों ने एक रैली निकाली। इस रैली में जोश से सराबोर, हाथों में गुब्बारे और झंडा बैनर लिए, समलैंगिक होने पर गर्व करो जैसे नारे लगाते समलैंगिक और इनके समर्थक काफी प्रसन्न दिख रहे थे। बैंड बाजों की धुनों पर नाचते हुए यह लोग समाज की मुख्यधारा में अपनी जगह बनाने की जद्दोजहद के बीच बिना किसी की परवाह किए अपनी खुशियों का इजहार कर रहे थे।
समलैंगिकों के इस रैली से देश के धार्मिक नेता खफा हैं और इसे समाज के लिए खतरनाक मानते हैं। तिरुवनंतपुरम में केंद्रीय कानून मंत्री वीरप्पा मोइली ने कहा कि वह धारा 377 को हटाने से पहले गिरिजघर जैसे धार्मिक समूहों सहित समाज के सभी वर्गों की चिंताओं का ध्यान रखा जाएगा। समलैंगिक अधिकार के समर्थकों ने इस पहल का स्वागत किया और इनमें से कुछ धारा हटाने के बजाए कानून में बदलाव चाहते हैं।
फैशन डिजइनर रोहित बल ने कहा कि यह काफी अंधकारमय क्षेत्र है़, मैं ऐसे नेताओं, मंत्रियों को जानता हूं जो समलैंगिक हैं । धारा 377 मायने नहीं रखती। इस पर कोई ध्यान नहीं देता। समलैंगिक अधिकार के हजारों समर्थकों ने रविवार को दिल्ली, बेंगलूर और चेन्नई में मार्च निकाला।
बेंगलुरु में समलैंगिक अधिकार समूह संगमा के संस्थापक मनोहर ने कहा कि इस तरह के कानून को खत्म कर दिया जाना चाहिए। हम काफी खुश हैं कि सरकार इस ओर पहल करती दिखाई दे रही है। चेन्नई में एक समलैंगिक विजय रेड्डी ने कहा, यौन हिंसा पर जब तक हमारे पास कोई विस्तृत कानून नहीं बन जाता तब तक धारा 377 की समीक्षा होनी चाहिए।
बहरहाल धार्मिक नेताओं ने इस कदम पर चिंता जताई है। मालाबार क्षेत्र के माथरेमा सीरियाई गिरिजाघर के प्रमुख रेव अब्राहम मार पाउलोस इपिसकोपा ने कहा कि समलैंगिकता किसी भी कीमत पर मंजूर करने योग्य नहीं है क्योंकि यह बाइबिल के सिद्धांत के खिलाफ है। जमीयत उलेमा ए हिंद के अनुसार धारा को हटाने से समाज में यौन अराजकता फैल जाएगी। विश्व हिंदू परिषद ने कहा कि समलैंगिकता भारत की संस्कृति और पारिवारिक व्यवस्था के खिलाफ है और इससे कई तरह के रोग फैलेंगे।
बहरहाल दिल्ली के समलैंगिकों एवं किन्नरों को उम्मीद है कि कानून को हटाने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय भी पहल करेगा। बेंगलुरु स्थित संगठन के लिए काम करने वाले समलैंगिक अधिकारों के समर्थक पोन्नी ने कहा, कानून और गृह मंत्रालय ने पहले ही सकारात्मक संकेत दिए हैं । हमें उम्मीद है कि स्वास्थ्य मंत्रालय भी ऐसा ही करेगा। दिल्ली में समलैंगिकों एवं किन्नरों ने धारा 377 खत्म करो और समलैंगिक होने पर गर्व है जैसे नारों के साथ मार्च किया।
दिल्ली में एक समलैंगिक ने कहा, हम यहां अपनी लैंगिकता का उत्सव मनाने के लिए जुटे हैं और इस बात का विरोध करने के लिए भी कि समलैंगिकता को अभी तक मान्यता नहीं मिली है। लेकिन यह उत्सव मनाने से ज्यादा है क्योंकि हम अपने आप से प्यार करते हैं।किन्नरों ने रविवार को बेंगलुरु में अपने अधिकारों एवं धारा 377 को हटाने की मांग को लेकर रैली निकाली।
उन्होंने बासवनगुडी से टाउनहाल इलाके तक रैली निकाली और अपनी मांगों के समर्थन में नारे लगाए। उन्होंने अपने हाथों में तख्तियां ले रखी थीं जिस पर लिखा था समलैंगिक हूं और खुश हूं एवं प्यार का अपराधीकरण मत करो।