फोटो गैलरी

Hindi Newsmaha shivaratri lord shiva rudrabhishek pujavidhi

पारद के शिवलिंग का अभिषेक देता है चमत्कारिक परिणाम, पढ़ें पूरी जानकारी

भगवान शंकर कल्याणकारी हैं। उनकी पूजा, अराधना समस्त मनोरथ को पूर्ण करती है। हिंदू धर्मशास्त्रों के मुताबिक भगवान सदाशिव का विभिन्न प्रकार से पूजन करने से विशिष्ठ लाभ की प्राप्ति होती हैं। महाशिव

लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 22 Feb 2017 07:55 AM

भगवान शंकर कल्याणकारी हैं। उनकी पूजा, अराधना समस्त मनोरथ को पूर्ण करती है। हिंदू धर्मशास्त्रों के मुताबिक भगवान सदाशिव का विभिन्न प्रकार से पूजन करने से विशिष्ठ लाभ की प्राप्ति होती हैं। महाशिव रात्रि के दिन रुद्राभिषेक का अक्षय महत्त्व है। यजुर्वेद में बताए गए विधि से रुद्राभिषेक करना बहुत लाभप्रद माना गया है। लेकिन जो व्यक्ति इस पूर्ण विधि-विधान से पूजन को करने में असमर्थ हैं अथवा इस विधान से परिचित नहीं हैं वे लोग केवल भगवान सदाशिव के षडाक्षरी मंत्र--" ॐ नम:शिवाय " का जप करते हुए रुद्राभिषेक तथा शिव-पूजन कर सकते हैं, जो बिल्कुल ही आसान है।

महाशिवरात्रि पर शिव-आराधना करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है। अधिकांश शिव भक्त इस दिन शिवजी का अभिषेक करते हैं। लेकिन बहुत कम ऐसे लोग है जो जानते हैं कि शिव का अभिषेक क्यों करते हैं? अभिषेक शब्द का शाब्दिक अर्थ है स्नान करना या कराना। रुद्राभिषेक का मतलब है भगवान रुद्र का अभिषेक यानि कि शिवलिंग पर रुद्रमंत्रों के द्वारा अभिषेक करना। यह पवित्र-स्नान भगवान मृत्युंजय शिव को कराया जाता है। अभिषेक को आजकल रुद्राभिषेक के रुप में ही ज्यादातर जाना जाता है। अभिषेक के कई प्रकार तथा रुप होते हैं। रुद्राभिषेक करना शिव आराधना का सर्वश्रेष्ठ तरीका माना गया है। शास्त्रों में भगवान शिव को जलधाराप्रिय माना जाता है। रुद्राभिषेक मंत्रों का वर्णन ऋग्वेद, यजुर्वेद और सामवेद में किया गया है।

पारद के शिवलिंग का अभिषेक देता है चमत्कारिक परिणाम, पढ़ें पूरी जानकारी1 / 5

पारद के शिवलिंग का अभिषेक देता है चमत्कारिक परिणाम, पढ़ें पूरी जानकारी

रुद्राष्टाध्यायी में अन्य मंत्रों के साथ इस मंत्र का भी उल्लेख मिलता है। शिव और रुद्र परस्पर एक दूसरे के पर्यायवाची हैं। शिव को ही रुद्र कहा जाता है क्योंकि- "रुतम्-दु:खम्, द्रावयति-नाशयतीतिरुद्र:"यानि की भोले सभी दु:खों को नष्ट कर देते हैं। हमारे धर्मग्रंथों के अनुसार हमारे द्वारा किए गए पाप ही हमारे दु:खों के कारण हैं। रुद्रार्चन और रुद्राभिषेक से हमारे पटक-से पातक कर्म भी जलकर भस्म हो जाते हैं और साधक में शिवत्व का उदय होता है तथा भगवान शिव का शुभाशीर्वाद भक्त को प्राप्त होता है और उनके सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं। ऐसा कहा जाता है कि एकमात्र सदाशिव रुद्र के पूजन से सभी देवताओं की पूजा स्वत: हो जाती है। रूद्रहृदयोपनिषद में शिव के बारे में कहा गया है कि- "सर्वदेवात्मको रुद्र: सर्वे देवा: शिवात्मका:" अर्थात् सभी देवताओं की आत्मा में रूद्र उपस्थित हैं और सभी देवता रूद्र की आत्मा हैं।

ऐसे तो अभिषेक साधारण रूप से जल से ही होता है। परन्तु विशेष अवसर पर या सोमवार, प्रदोष और शिवरात्रि आदि पर्व के दिनों मंत्र गोदुग्ध या अन्य दूध मिला कर अथवा केवल दूध से भी अभिषेक किया जाता है। विशेष पूजा में दूध, दही, घृत, शहद और चीनी से अलग-अलग अथवा सब को मिला कर पंचामृत से भी अभिषेक किया जाता है। तंत्रों में रोग निवारण हेतु अन्य अलग-अलग चीजों से भी अभिषेक करने का विधान है। 

पारद के शिवलिंग का अभिषेक देता है चमत्कारिक परिणाम, पढ़ें पूरी जानकारी2 / 5

पारद के शिवलिंग का अभिषेक देता है चमत्कारिक परिणाम, पढ़ें पूरी जानकारी

पारद के शिवलिंग का अभिषेक देता है चमत्कारिक परिणाम, पढ़ें पूरी जानकारी3 / 5

पारद के शिवलिंग का अभिषेक देता है चमत्कारिक परिणाम, पढ़ें पूरी जानकारी

इस प्रकार विविध द्रव्यों से शिवलिंग का विधिवत् अभिषेक करने पर अभीष्ट कामना की पूर्ति होती है। इसमें कोई संदेह नहीं कि किसी भी पुराने नियमित रूप से पूजे जाने वाले शिवलिंग का अभिषेक बहुत ही उत्तम फल देता है। लेकिन अगर पारद के शिवलिंग का अभिषेक किया जाए तो बहुत ही शीघ्र चमत्कारिक शुभ परिणाम मिलता है। रुद्राभिषेक का फल बहुत ही शीघ्र प्राप्त होता है। 

वेदों और पुराणों में रुद्राभिषेक के बारे में तो बताया गया है कि रावण ने अपने दसों सिरों को काट कर उसके रक्त से शिवलिंग का अभिषेक किया था तथा सिरों को हवन की अग्नि को अर्पित कर दिया था। जिससे वो त्रिलोकजयी हो गया। भष्मासुर ने शिव लिंग का अभिषेक अपनी आंखों के आंसुओ से किया तो वह भी भगवान के वरदान का पात्र बन गया। पं त्रिपाठी कहते है कि ज्योर्तिलिंग-क्षेत्र एवं तीर्थस्थान में तथा शिवरात्रि-प्रदोष, श्रावण के सोमवार आदि पर्वो में शिव-वास का विचार किए बिना भी रुद्राभिषेक किया जाता है।
किसी खास मनोरथ की पूर्ति के लिये तदनुसार पूजन सामग्री और विधि से रुद्राभिषेक किया जाता है। रुद्राभिषेक के विभिन्न पूजन के लाभ इस प्रकार हैं-

पारद के शिवलिंग का अभिषेक देता है चमत्कारिक परिणाम, पढ़ें पूरी जानकारी4 / 5

पारद के शिवलिंग का अभिषेक देता है चमत्कारिक परिणाम, पढ़ें पूरी जानकारी


जल से अभिषेक करने पर वर्षा होती है।
असाध्य रोगों को शांत करने के लिए कुशोदक से रुद्राभिषेक करें।
भवन-वाहन के लिए दही से रुद्राभिषेक करें।
लक्ष्मी प्राप्ति के लिये गन्ने के रस से रुद्राभिषेक करें।
धन-वृद्धि के लिए शहद एवं घी से अभिषेक करें।
तीर्थ के जल से अभिषेक करने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है।
इत्र मिले जल से अभिषेक करने से बीमारी नष्ट होती है ।
पुत्र प्राप्ति के लिए दुग्ध से और यदि संतान उत्पन्न होकर मृत पैदा हो तो गोदुग्ध से रुद्राभिषेक करें।
रुद्राभिषेक से योग्य तथा विद्वान संतान की प्राप्ति होती है।
 ज्वर की शांति हेतु शीतल जल/गंगाजल से रुद्राभिषेक करें।
सहस्रनाम-मंत्रों का उच्चारण करते हुए घृत की धारा से रुद्राभिषेक करने पर वंश का विस्तार होता है।
 प्रमेह रोग की शांति भी दुग्धाभिषेक से हो जाती है।
शक्कर मिले दूध से अभिषेक करने पर जडबुद्धि वाला भी विद्वान हो जाता है।
 सरसों के तेल से अभिषेक करने पर शत्रु पराजित होता है।
 शहद के द्वारा अभिषेक करने पर यक्ष्मा (तपेदिक) दूर हो जाती है।
 पातकों को नष्ट करने की कामना होने पर भी शहद से रुद्राभिषेक करें।
गो दुग्ध से तथा शुद्ध घी द्वारा अभिषेक करने से आरोग्यता प्राप्त होती है।
 पुत्र की कामनावाले व्यक्ति शक्कर मिश्रित जल से अभिषेक करें।

भूलकर भी शिव जी की पूजा करते हुए न करें ये गलती

भगवान शिव को चावल चढ़ाने से प्राप्त होता है धन, पढ़ें और भी बातें

इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।

पारद के शिवलिंग का अभिषेक देता है चमत्कारिक परिणाम, पढ़ें पूरी जानकारी5 / 5

पारद के शिवलिंग का अभिषेक देता है चमत्कारिक परिणाम, पढ़ें पूरी जानकारी