जानें पवित्र नदी में क्यों करते है अस्थियों का विसर्जन
जब भी किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो उसका अंतिम संस्कार करके उसकी अस्थियां किसी भी पवित्र नदी में विसर्जित कर दी जाती हैं। लेकिन क्या आपको इसके पीछे का कारण पता है? इस बारे में कुर्म पुराण...
जब भी किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो उसका अंतिम संस्कार करके उसकी अस्थियां किसी भी पवित्र नदी में विसर्जित कर दी जाती हैं। लेकिन क्या आपको इसके पीछे का कारण पता है? इस बारे में कुर्म पुराण में कुछ बातें बताई गई है। पुराण के अनुसार जितने साल तक मृतक की अस्थियां किसी पवित्र नदी में रहती हैं, उतने हजारों साल तक उसकी पूजा स्वर्गलोक में की जाती हैं।
कहा जाता है कि मां गंगा सभी नदियों में से पवित्र हैं। इसके जल को छूने मात्र से सारे पाप धुल जाते है। लोग अपने पूर्वज की अस्थियों को गंगा जल में डाल देते है। जिससे उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। अस्थियों को पवित्र नदियों में ही विसर्जन करने के पीछे वैज्ञानिक कारण भी हैं। इसके अनुसार गंगा नदी एक ऐसी नदी है जिससे लाखों वर्ग मील भूमि को सींचकर उसे उपजाऊ बनाया जाता हैं।
जिससे गंगा की उपजाऊ शक्ति कम होती जाती है। इसलिए अस्थियों को गंगा में विसर्जन करने की परंपरा बनाई गई हैं, क्योंकि अस्थियों में फॉस्फोरस अधिक मात्रा में होता हैं। जो भूमि की उर्वरा शक्ति को बनाए रखता है। जिस भी धरातल को नदी का पानी छूता है वह स्थान उपजाऊ बन जाता है। इसका यह अर्थ है कि मरने के बाद भी इंसान की अस्थियां प्रकृति को एक नया जीवन देने के लिए लाभकारी सिद्ध होती हैं।
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इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।