उदासीनता के चलते बेकार पड़ी पानी की टंकी
विकास खण्ड क्षेत्र में शुद्ध व स्वच्छ पेयजल के लिए पानी की टंकी का निर्माण करोड़ों रुपये की लागत से कराया गया। जबकि विभागीय उदासीनता के चलते सरकार का मिशन आज तक अपने अंजाम पर नहीं पहुंच सका। इसकी वजह...
विकास खण्ड क्षेत्र में शुद्ध व स्वच्छ पेयजल के लिए पानी की टंकी का निर्माण करोड़ों रुपये की लागत से कराया गया। जबकि विभागीय उदासीनता के चलते सरकार का मिशन आज तक अपने अंजाम पर नहीं पहुंच सका। इसकी वजह से जगह-जगह स्थापित पानी की टंकियां निष्प्रयोज्य साबित हो रही है। जनता को इसका लाभ न मिलने से लोगों में काफी नाराजगी है।
ग्रामीण क्षेत्र की जनता को शुद्ध व स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के लिए प्रदेश सरकार कटिबद्ध है। तहबरपुर ब्लाक के भोर्रा मकबूलपुर गांव की दलित बस्ती के समीप वर्ष 2007 में 65 कि.ली. क्षमता की पानी टंकी का निर्माण कराया गया। उत्तर प्रदेश जल निगम द्वारा किए गए टंकी के निर्माण से क्षेत्रीय लोगों में आस जगी कि अब उन्हें शुद्ध व स्वच्छ जल के लिए भटकना नहीं पड़ेगा। जबकि टंकी से आज तक ग्रामीणों के घरों में पानी नहीं पहुंच सका। इसका कारण था कि जलापूर्ति के लिए लगाई गई भूमिगत पीबीसी पाईप कुछ दिन चलने के बाद जगह-जगह फट गयी और पूरी जलापूर्ति ठप हो गयी। इससे लोगों के घरों तक पानी नहीं पहुंच सका। ग्राम प्रधान अखिलेश यादव ने बताया कि पानी टंकी निर्माण में घटिया किस्म की पीबीसी पाइपों का इस्तेमाल किया गया है। जिससे ट्रायल के समय ही पाईपे ध्वस्त हो गयी और पूरी जलापूर्ति ठप हो गयी। शिकायत के बाद अधिकारी आये और चले गये और टंकी बद से बदतर हालत में पहंुच गयी। लोगों को पानी मिलना तो दूर ट्यूबवेल आपरेटर का भी दर्शन दुर्लभ हो गया है। प्रधान सहित ग्रामीणों ने विभागीय अधिकारियों का ध्यान इस ओर आकृष्ट कराते हुए अविलंब पानी की टंकी को चालू कराकर जलापूर्ति सुनिश्चित किये जाने की मांग किये हैं।