कानूनी प्रक्रिया से बच्चे को गोद लेना आसान
लावारिस हालत में पाये गये बच्चे को ममता की छांव में जीवन दान देना मानवीय संवेदना का परिचायक है। ऐसे व्यक्ति बालक के जीवन दायक होते हैं। लेकिन कई ऐसी मां जो बच्चे को जन्म देकर सड़कों पर लावारिस...
लावारिस हालत में पाये गये बच्चे को ममता की छांव में जीवन दान देना मानवीय संवेदना का परिचायक है। ऐसे व्यक्ति बालक के जीवन दायक होते हैं। लेकिन कई ऐसी मां जो बच्चे को जन्म देकर सड़कों पर लावारिस छोड़ देती हैं वह मां शब्द के लिए कलंक के समान होती हैं।
ऐसे लोग जो गैरकानूनी ही सही किंतु ऐसे परित्यक्त बच्चे के जीवन की रक्षा करते हैं जब उन्हें कानूनी बंधन के कारण उस कलेजे के टुकड़े को दूर करती हैं तो कलेजा तार तार हो जाता है।
खून से सींचकर जन्म देने वाली मां से ऊंचा स्थान उस पालक मां का हो जाता है जो अपनी सम्पूर्ण ममता उड़ेल कर उसे अपना लेती है।
ऐसी ही एक हृदय विदारक घटना चार माह पूर्व सदर अस्पताल के पास ठिठुरती ठंड में झाड़ी में एक नवजात जीवन मौत से जुझता हुआ बच्चा महादलित टोला की ज्योति को मिला।
ज्योति ने उसे ममता के आंचल में समेट तो लिया लेकिन नवजात की नाजुक हालत को देखते हुए उसने परिचित संजू देवी के माध्यम से कानपुर के नि:संतान व्यवसायी दंपति को सौंप दिया। व्यवसायी दंपति ने नवजात की जान बचाने के लिए लाखों रुपये खर्च किया और बच्चे के स्वस्थ होने के बाद उसे अपने पास रख लिया। लेकिन सरकार के द्वारा परित्यक्त बच्चे के लिए बनाये गये कानून के आगे उसे विवश हो कर अपने कलेजे पर पत्थर रखकर बच्चे को अलग करना पड़ा।
बाल कल्याण समिति व बाल संरक्षण ईकाई के पहल से ज्योति देवी व संजू देवी को नोटिस जारी कर नवजात बच्चे को दत्तक ग्रहण संस्थान में संरक्षित करा दिया गया।
क्या है कानून
लावारिस बच्चे के कानूनी हक के कानून बनने से पूर्व ऐसे लावारिस बच्चों का दुरुपयोग किया जाता था। परिवार में रहकर भी उसे कानूनी अधिकार नहीं मिल पाता था। लावारिस बच्चा माता-पिता के संपत्ति में कानूनी रूप से दावेदार नहीं हो पाता था। पालक माता-पिता के मृत्यु के बाद परिवार के लोग उसे घर से बाहर निकाल देते थे। तब किशोर न्याय अधिनियम 2005 बनाया गया जिसमें कहा गया कि कोई भी व्यक्ति ऐसे नवजात की सुचना बाल कल्याण समिति, बाल संरक्षण ईकाई, पुलिस, चाइल्ड लाइन को देकर तत्काल नवजात का रक्षक बन सकता है। उसके बाद नवजात के कानूनी अधिकार कि प्रक्रिया शुरू की जाती है।
इस अधिनियम की धारा 32 के अनुसार अवैध रूप से बिना किसी सुचना के यदि कोई व्यक्ति ऐसे परित्यक्त बच्चे को अपने पास रख लेता है उसे छह माह कारावास तथा दस हजार रुपये अर्थदंड का प्रावधान है।
बच्चा गोद लेना हुआ आसान सरकार द्वारा पूरे देश में दत्तक ग्रहण संस्थान चलाये जा रहे हैं। उस संस्थान में ऐसे परित्यक्त बच्चों को रखा जाता है जहां उनके खान पान दवा आदि की व्यवस्था की जाती है।
इस संस्थान में कोई भी व्यक्ति रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं और जरूरी कागजात को जमाकर मनपसंद बच्चे को गोद ले सकते हैं।
बाल कल्याण समिति एवं दत्तक ग्रहण संस्थान द्वारा बच्चे के कानूनी अधिकारों के लिए प्रक्रिया की जाती है और उसे सामाजिक, परिवारिक व कानूनी अधिकार प्राप्त हो जाता है।