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छोटी सी शुरुआत करो, बड़ी उपलब्धि खुद मिलेगी : वशिष्ठ

खुद से ही एक छोटी सी शुरुआत करो, बड़ी उपलब्धि खुद मिलेगी। सफलता, ऊंचाइयां व लक्ष्य तक पहुंचने के लिए आत्मबल व त्याग आवश्यक है। चरित्र और सोच को हमेशा सकारात्मक रखना होगा। जीवन में ऊंचाई पाने के लिए...

छोटी सी शुरुआत करो, बड़ी उपलब्धि खुद मिलेगी  : वशिष्ठ
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 30 Mar 2017 05:33 PM
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खुद से ही एक छोटी सी शुरुआत करो, बड़ी उपलब्धि खुद मिलेगी। सफलता, ऊंचाइयां व लक्ष्य तक पहुंचने के लिए आत्मबल व त्याग आवश्यक है। चरित्र और सोच को हमेशा सकारात्मक रखना होगा। जीवन में ऊंचाई पाने के लिए कठोर परिश्रम करना होगा। इसके लिए रोज सुबह आइना में खुद को देखो और बस खुद से दिन भर अच्छा करने का वादा करो। यही राह लक्ष्य तक ले जाएगी। लक्ष्य चुनना आसान होता है। लेकिन वहां तक आत्मबल व दृढ़संकल्प के बिना नहीं पहुंचा जा सकता है। एनसीसी के डायरेक्टर जेनरल लेफ्टिनेंट जेनरल विनोद वशिष्ठ ने बिहारशरीफ अस्पताल चौक स्थित टाउन हॉल में मोटिवेशनल एंड इंसपायरेशनल टॉक कार्यक्रम में कैडेटस से ये बातें कहीं।

श्री वशिष्ठ ने चरित्र की महत्ता बताते हुए कहा कि माया गयी कुछ नहीं गया, स्वास्थ्य गया तो कुछ गया अगर चरित्र गया तो सब कुछ चला गया। उन्होंने कहा कि मानव के लिए चरित्र और विश्वास ही अपनी पूंजी है। दोनों ही एक-दूसरे के साथ चलते हैं। इसलिए जो सोचो वो कहो, जो कहो वो करो जैसे गुरुमंत्र पर बच्चों को चलने की अपील की। महात्मा गांधी, अब्राहम लिंकन, किंग ब्राउज व अन्य देश के सफल लोगों के सफल जीवन के राज भी बताए। देश का राष्ट्रीय प्रतिक अशोक स्तंभ के बारे में भी विस्तार से बताया। इस कार्यक्रम में लेफ्टिनेंट कर्नल देव, कर्नल राजिव मल्होत्रा, कमांडिंग ऑफिसर कर्नल एसके यादव, एडीजे मेजर शम्मी सब्रवाल, सुबेदार कुमार निलू, सुबेदार केके नायक, बलवंत कुमार, अमित आर्यन, प्रज्ञा, सुमन, राजीव कुमार, गणेश कुमार व अन्य मौजूद थे।

एनसीसी एक साइलेंट रिवोलुशन

एनसीसी एक साइलेंट रिवोलुशन है। जो भी छात्र इसमें शामिल हो चुके हैं उनमें यह क्रांति चुपचाप निरंतर चलती रहती है। यह निरंतरता ही उन्हें जीवन के हर क्षेत्र में सफल बनाती हैं। श्री वशिष्ठ ने कहा कि विकास के लिए बदलाव धुरी है। बिना बदलाव के कुछ भी नहीं हो सकता। लेकिन ये बदलाव तभी विकास कर पाएंगी, जब सोच में सकारात्मकता, त्याग, कठिन परिश्रम व दृढ़संकल्प शामिल होंगे। ये सभी गुण एनसीसी ड्रील के दौरान छात्रों में आ जाते हैं। अनुशासन जीवन को एक धारा देता है। लेकिन आगे बढ़ने के लिए आत्मबल व त्याग की भावना होनी चाहिए। तभी लक्ष्य मिलेगा।

जीवन सार्थकता के छह सोपान

जीवन एक मकसद है, एक अवसर है, एक चुनौती है, एक लक्ष्य है। इसे बेकार गंवाना मानवता के विरुद्ध है, देश के विपरीत है। इसे मानव सेवा, देश सेवा में लगाकर इसे सार्थक करें। श्री वशिष्ठ ने कहा कि जीवन के मकसद को पाने के छह सोपान हैं। चरित्र, दृढ़संकल्प, सकारात्मक सोच, नेतृत्व क्षमता, शिक्षा व व्यक्तित्व से ही समर्थ समाज व ताकतवर देश का निर्माण होगा। इसके लिए उन्होंने लोगों से अपने आत्मबल को जगाकर भविष्य में अच्छा करने के लिए दृढ़संकल्पित होने की अपील की।

सुबेदार कुमार निलू को डीजे ने दिया प्रशस्ति पत्र

एनसीसी बिहार 38 बटालियन के सुबेदार कुमार निलू को डीजे लेफ्टिनेंट जेनरल ने प्रशस्ति पत्र दिया। 38 बटालियन में उनके उत्कृष्ठ योगदान के लिए यह प्रशस्ति पत्र दिया गया। कंमांडिंग ऑफिसर कर्नल एसके यादव की अगुआई में नालंदा में एनसीसी ने काफी विकास किया है। ड्रील ग्राउंड में हाल ही बच्चों के लिए बाधा दौड़ ट्रैक भी बनायी गयी है। डीजे श्री वशिष्ठ ने हेडक्वार्टर जाकर परेड ग्राउंड व अन्य स्थलों का मुआयना किया। बाधा दौड़ अभ्यास के लिए बैंलेंस दौड़, 6 फीट ऊंची दिवाल पार करना व 30 फीट लंबी जिग जैग बाधा पार करने के लिए बने नये अभ्यास मैदान का भी जायजा लिया।

डीजे से बातचीत के प्रमुख अंश

फोटो:

डीजे: एनसीसी डीजे लेफ्टिनेंट जेनरल विनोद वशिष्ठ

प्रश्न- नालंदा में एनसीसी की स्थिति से क्या संतुष्ट हैं?

उत्तर- बिहार के कैडेटस बहुत मेहनती हैं। इनमें देश भक्ति का जज्बा कूट-कूट कर भरा है।

प्रश्न- शिक्षण संस्थानों में इनके लिए कोई विशेष व्यवस्था क्यों नहीं हो रही?

उत्तर- एनसीसी छात्रों को नामांकन में बहुत तरजीह दी जाती है। लेकिन इसे और बढ़ाने की जरुरत है।

प्रश्न- इसे जॉब ऑरिएंटेड बनाने के लिए क्या किया जा रहा है?

उत्तर- डिफेंस व सेना बहाली में इसे प्राथमिकता दी जाती है। लेकिन राज्य सरकार की नौकरियों में इसकी कोई विशेष व्यवस्था नहीं है। राज्य सरकार से इसके लिए बोनस मार्क्स देकर नौकरी में जगह देने पर बातचीत की जाएगी। फिलहाल इसका मकसद बच्चों का चहुंमुखी विकास व चरित्र का निर्माण करना है। इसके साथ ही इसे जॉब ऑरिएंटेड बनाने की रणनीति बनायी जाएगी।

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