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भारत एवं एशियाई देशों के बीच बौद्धिक सेतु बनेगा नालंदा विवि : कुलपति

भारत एवं एशियाई देशों के बीच बौद्धिक सेतु बनेगा नालंदा विवि : कुलपति नालंदा विवि बनेगा 21वीं सदी का आईकॉनएक साल के अंदर होगी कैम्पस के अंदर पढ़ाईफोटो:19राजगीर02-इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में शुक्रवार...

भारत एवं एशियाई देशों के बीच बौद्धिक सेतु बनेगा नालंदा विवि : कुलपति
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 19 May 2017 05:33 PM
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भारत एवं एशियाई देशों के बीच बौद्धिक सेतु बनेगा नालंदा विवि : कुलपति नालंदा विवि बनेगा 21वीं सदी का आईकॉनएक साल के अंदर होगी कैम्पस के अंदर पढ़ाईफोटो:19राजगीर02-इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में शुक्रवार को संवाददाता सम्मेलन करती कुलपति प्रोफेसर सुनैना सिंह 19राजगीर03-इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में शुक्रवार को संवाददाता सम्मेलन करती कुलपति प्रोफेसर सुनैना सिंह, साथ में पूर्व प्रभारी कुलपति प्रोफेसर पंकज मोहन राजगीर। निज संवाददातानालंदा विश्वविद्यालय भारत एवं एशिया के दूसरे देशों के बीच बौद्धिक सेतु के रूप में काम करेगा। सेतू के पुर्ननिर्माण की कल्पना के साथ काम करना है। नालंदा विश्वविद्यालय प्राचीन काल से ही ज्ञान का केन्द्र रहा था जिसमें एशियाई देशों के लोग आकर अध्ययन करते थे। नालंदा विश्वविद्यालय की संस्कृति के साथ एशिया और पश्चिम के देशों व पूरे विश्व को जोड़ना है। नालंदा विश्वविद्यालय को विश्व स्तर पर फैलाना है। यह ऐसा विश्वविद्यालय होगा जिसमें विश्व के लोग यहां आकर पढ़ें और यहां से ज्ञान पाकर नालंदा विवि की संस्कृति को नई दिशा दें। उक्त बातें नालंदा विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर सुनैना सिंह ने शुक्रवार को इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में संवाददाता सम्मेलन के दौरान कही। प्रोफेसर सिंह ने कहा कि 21वीं सदी एशियाई सदी है। इसमें नालंदा को एक आईकॉन बनाना है। नालंदा को एशिया के पुर्नजागरण के प्रतीक के रूप में स्थापित करना है। उन्होंने कहा कि 20वीं सदी यूरोप व अमेरिका का था। 21वीं सदी में अमेरिका कमजोर हो रहा है। ऐसी स्थिति में नालंदा को विश्व के लिए आईकॉन बनाना है। श्रीमती सिंह ने कहा कि काम से ही पहचान होती है। चुनौती को स्वीकार कर नालंदा विश्वविद्यालय को आगे बढ़ाना है। कुलपति ने कहा कि यहां से पढ़कर छात्र अपने देश में जाकर भारत के एम्बेसडर की तरह काम करेंगे। आने वाले दिनों में विश्वविद्यालय से अधिक से अधिक देशों को जोड़ना है। मौजूदा समय में 17 देशों का साथ मिल रहा है। वैदिक धर्म को भी शामिल किया जायेगा डिपार्टमेंट में:कुलपति प्रोफेसर सिंह ने कहा कि विश्व के देश भारत को समस्याओं का हल करने के केन्द्र के रूप में देखते है। भारत के लोगों में समय के साथ अपने आप को ढालने की कला है। उन्होंने कहा कि नालंदा विश्वविद्यालय में बुद्धिज्म के साथ वेदांतिक रिलिजन व संस्कृतिक रिलिजन को भी शामिल करना है। मौजूदा समय में यूनिवर्सिटी में तीन स्कूल चल रहे हैं। तीनों स्कूल में भी डिपार्टमेंट खोले जायेंगे। इसमें वेदिक धर्म को भी शामिल किया जायेगा। साथ ही साथ इंडियन नॉलेज सिस्टम को विकसित करना है। मन में ठान लें तो हर काम है आसान:कुलपति प्रोफेसर सिंह ने कहा कि आने वाले 10 से 20 सालों में नालंदा विश्वविद्यालय की एक अलग पहचान होगी। नालंदा विवि एशियन कंट्रीज के बीच नॉलेज ब्रीज के रूप में काम करेगा। रीढ़ की हड्डी होता है एडमिनिस्ट्रेशन:कुलपति ने कहा कि विवि के लिए प्रशासनिक व्यवस्था रीढ़ की हड्डी होती है। प्रशासनिक व्यवस्था को और मजबूत बनाना है। पूरी पारदर्शिता के साथ काम करना है। गलत करने वाले लोगों को तनिक भी सहन नहीं किया जायेगा। नियम व कानून का पालन करना होगा। हर समस्या का समाधान है। लोग अपने उत्तरदायित्व को समझें। उन्होंने बताया कि नालंदा विश्वविद्यालय बेहतर लाइब्रेरी का निर्माण, स्कूलों में डिपार्टमेंट का निर्माण, चुस्त प्रशासनिक व्यवस्था, निर्माण काम में तेजी, इंडियन नॉलेज सिस्टम का विकास सहित पांच दिशाओं को लेकर रोडमैप से काम करना है। विवि का लाइब्रेरी ई-रिसोर्स एवं डेटाबेस होगा। विवि परिसर में तेजी से चल रहा है निर्माण काम:कुलपति प्रोफेसर सिंह ने कहा कि विवि परिसर में काफी तेजी से निर्माण काम हो रहा है। सड़क बनाने का काम बरसात के पहले पूरा कर लिया जायेगा ताकि सामान ढोने में कोई परेशानी न हो सके। वहीं परिसर में भवन निर्माण के लिए ईंट बनाने का काम शुरू हो चुका है। पहले चरण के भवनों के लिए पाइलिंग का निर्माण काम हो रहा है। इस पर नजर रखने के लिए रिव्यु कमेटी बनायी जायेगी। कुलपति ने कहा कि एक साल के अंदर विवि परिसर में कुछ भवन बन जायेंगे जिसमें कि कैम्पस के अंदर ही पढ़ाई शुरू हो सके। इस साल 50 छात्रों को मिलेगी डिग्री:कुलपति प्रोफेसर सुनैना सिंह ने कहा कि पहले सत्र में 12 छात्रों को डिग्री मिली थी। दूसरे सत्र में इस बार 50 छात्रों को डिग्री दी जायेगी। आगे लैंग्वेज एंड लिटरेचर व इंटरैक्शन रिलेसन्स एंड पिस स्टडीज नाम स्कूल खोलने की तैयार चल रही है। कम आय वाले छात्रों को विवि में महल रही छात्रवृत्ति : पंकज मोहन पूर्व प्रभारी कुलपति प्रोफेसर पंकज मोहन ने कहा कि नये कुलपति संकल्प की भावना के साथ काम कर रही हैं। इनके कौशल का लाभ यूनिवर्सिटी को मिलेगा। कम आय वाले छात्रों को विवि में छात्रवृत्ति देने की योजना चल रही है। वहीं वैसे छात्र जो कम आय के हैं उनको वर्क स्टडीज प्लान के तहत पढ़ाई के साथ विवि में जॉब दिया जाता है। वे पढ़ाई के साथ जॉब भी करते हैं। इस मौके पर यूनिवर्सिटी के प्रभारी रजिस्ट्रार के चन्द्रमू्र्ति, कम्यूनिकेशन डायरेक्टर स्मिता पोलाइट भी मौजूद थे।

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