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प्रबंध समिति पर भी हो कार्रवाई : डॉ. अनिल यादव

करीब पौने 34 लाख रुपये के वित्तीय अनियमित्ता का आरोप लगा प्रबंध समिति ने एक पक्षीय कार्रवाई करते हुए प्राचार्य पद से हटा दिया। मेरा पक्ष तक नहीं सुना गया। यह सरासर अन्याय है। जबकि उस समय बैंकों ने...

प्रबंध समिति पर भी हो कार्रवाई : डॉ. अनिल यादव
लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 29 Apr 2017 05:30 PM
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करीब पौने 34 लाख रुपये के वित्तीय अनियमित्ता का आरोप लगा प्रबंध समिति ने एक पक्षीय कार्रवाई करते हुए प्राचार्य पद से हटा दिया। मेरा पक्ष तक नहीं सुना गया। यह सरासर अन्याय है। जबकि उस समय बैंकों ने महाविद्यालय के खातों का संचालन रोक दिया था। तत्कालीन प्रबंधक स्व. शिवशंकर तिवारी के मौखिक निर्देश पर महाविद्यालय की धनराशि को लेखाकार स्व. समरेंंद्रनाथ दत्ता के पास जमा कर खर्च किया गया। उक्त बातें शनिवार को मीडिया से वार्ता में लाल बहादुर शास्त्री पीजी कॉलेज के तत्कालीन प्राचार्य डॉ. अनिल यादव ने कही।

उन्होंने कहा कि वर्ष 2006-07 में कार्यवाहक प्राचार्य डॉ. सालिक तिवारी को निलंबित कर दिया गया था। उन्होंने कई खातों से चेक के माध्यम से पैसे निकाले थे। तत्कालीन प्रबंधक स्व. शिवशंकर तिवारी ने बैंक का विरोध किया, तो बैंकों ने खातों का संचालन बंद कर दिया। खाता संचालन के लिए कई दिनों तक कॉलेज गेट के बाहर आमरण अनशन किया गया। कॉलेज का कार्य जब प्रभावित होने लगा, तो प्रबंधक शिवशंकर तिवारी के मौखिक निर्देश पर कॉलेज के पैसों से नगद खर्च किया गया। उन्होंने बताया कि जिस पौने 34 लाख रुपये के अनियमितता का आरोप लगाया जा रहा है। उस रकम से पूर्वांचल विश्वविद्यालय, जौनपुर में परीक्षा ड्राप्ट करीब 17 लाख रुपये का बनवाया। आयकर का 3 लाख रुपये भुगतान किया। अन्य खर्चो का भी ब्यौरा ऑडिट विभाग को सौप दिया है। बताया कि बीते 29 अप्रैल 2006 में गबन के आरोप में डॉ. सालिक तिवारी को निलंबित किये जाने के बाद मुझे कार्यवाहक प्राचार्य बनाया गया। उसके दस वर्ष बाद जुलाई 2017 में एक बार पुन: प्राचार्य का कार्यभार दिया गया। उन्होंने कहा कि यदि वित्तीय अनियमितता का आरोप है, तो प्रबंध समिति भी जिम्मेदार है।

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