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डीसी के आश्वासन के बावजूद पानी को तरस रहे चतरा शहरवासी

चतरा शहर में पेयजलापूर्ति की किल्लत यथावत बनी हुई है। लोग पेयजल के लिए आज भी इधर-उधर भटक रहे हैं। यहां का हेरू डैम लगभग सूखने के कगार पर पहुंचे चुका है। पेयजल विभाग आज भी इसी हेरू डैम में चुंआ खोदकर...

डीसी के आश्वासन के बावजूद पानी को तरस रहे चतरा शहरवासी
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 09 Apr 2017 08:22 PM
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चतरा शहर में पेयजलापूर्ति की किल्लत यथावत बनी हुई है। लोग पेयजल के लिए आज भी इधर-उधर भटक रहे हैं। यहां का हेरू डैम लगभग सूखने के कगार पर पहुंचे चुका है। पेयजल विभाग आज भी इसी हेरू डैम में चुंआ खोदकर शहर में पेयजल आपूर्ति कर रहा है। पिछले वर्ष भी गर्मी में यही स्थिति थी। बीते साल भी शहर में पेयजल के लिए हाहाकार मचा हुआ था।

जिले के पदाधिकारी केवल शहरवासियों को आश्वासन का घूंट पिलाकर गर्मी को पार कर दिये। बरसात आने पर तीन माह तक शहर में जलापूर्ति ढंग से हुई। पिछले वर्ष की गर्मी के मौसम की तरह ही इस वर्ष भी वही हालात हैं। पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के ईई पिछले वर्ष भी जलापूर्ति करने के लिए भेड़ी फार्म से पर्याप्त बिजली नहीं मिलते का रोना रो रहे थे, इस बार भी वही रोना रो रहे हैं।

डीसी संदीप सिंह ने इस बार गर्मी में हो रही पानी की किल्लत को देखते हुए इसे गंभीरता से लेते हुए प्रेस कांफ्रेंस कर शीघ्र ही पेयजल की किल्लत को दूर करने की बात कही है। मालूम हो कि शहर की आबादी लगभग 75 हजार है। इतनी आबादी के लिए लगभग आठ लाख गैलन पेयजल की आवश्यकता है। जबकि इसके विरुद्ध अभी महज एक लाख गैलन पानी भी शहर को नहीं मिल रहा है। लक्षणपुर डैम में पर्याप्त पानी है। अगर यहां से सप्लाई शुरू कर दी जाए तो शहर में पेयजल की किल्लत दूर हो सकती है। परंतु पेयजल विभाग इस ओर पूरी तरह से लापरवाह बना हुआ है।

सिमरिया में सूख गए तालाब-पोखर, पानी की किल्लत शुरू

सिमरिया। अचानक गर्मी बढ़ जाने से सिमरिया के तालाब और पोखर सूखने के कगार पर आ गए हैं। ग्रामीण पानी को लेकर अभी चिंतित नजर आने लगे हैं। वही जानवरों को पानी के लिए भटकना पड़ रहा है। प्रखंड में स्थित नदी-नाले भी पूरी तरह से सूख चुके हैं। गावों के कुएं व चापानल का स्तर भी नीचे जाने लगा है। जनप्रतिनिधि हर बार पानी की किल्लत सुलझाने का दावा तो करते हैं पर इस पर ईमानदारी से अमल ही नहीं होता है। गर्मी आते ही जनप्रतिनिधियों की घोषणाएं बिखर जाती हैं। इस वर्ष भी गर्मी पड़ते ही पानी के किल्लत प्रारंभ हो गयी है। बताते चले की जलस्तर बरकरार रखने को लेकर सरकार द्वारा चलाये गए डोभा निर्माण से लोगों को रत्ती भर भी फायदा नहीं हो रहा है। उल्टे यह बच्चों की जान पर बन आई है। बहरहाल पानी का जलस्तर तेजी से घटने के कारण चापाकल खराब होने की शिकायतों की संख्या बढ़ गई है।

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