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बबुआ के दुश्मनों से मिले थे बच्चा बाबू : कुंती सिंह

पूर्व डिप्टी मेयर नीरज सिंह हत्याकांड में कुंती सिंह अपने देवर बच्चा सिंह के आरोपों से आहत हैं। बच्चा सिंह के लगातार हमले और आरोपों का जवाब देने के लिए वे शुक्रवार को सामने आयीं। अपने आवास सिंह मेंशन...

बबुआ के दुश्मनों से मिले थे बच्चा बाबू : कुंती सिंह
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 14 Apr 2017 09:02 PM
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पूर्व डिप्टी मेयर नीरज सिंह हत्याकांड में कुंती सिंह अपने देवर बच्चा सिंह के आरोपों से आहत हैं। बच्चा सिंह के लगातार हमले और आरोपों का जवाब देने के लिए वे शुक्रवार को सामने आयीं। अपने आवास सिंह मेंशन में प्रेस कांफ्रेंस कर बोलीं कि सिंह मेंशन के मान-सम्मान और परिवार को बच्चा बाबू ने तहस-नहस कर दिया। पद और पैसे के लालच में परिवार को तबाह कर दिया।

कुंती सिंह ने कहा कि बबुआ (राजीव रंजन) को वे शुरू से अपना प्रतिद्वंद्वी मानते थे। बबुआ हमेशा उनकी आंखों में खटकता था। वे बबुआ के दुश्मनों से मिल गए थे। बच्चा बाबू के मंत्री रहते बबुआ के साथ घटी घटना की उन्होंने सीबीआई जांच नहीं होने दी। अब संजीव पर उनकी नजर है। भावुक हो कुंती सिंह बोलीं-नीरज की हत्या की खबर सुन बहुत रोयी। कुछ ही देर बाद खबर मिली कि बच्चा बाबू ने आरोप लगाया है कि सबकुछ संजीव का किया हुआ है। सुनकर दंग रह गयीं। नीरज की हत्या से कितनी दुखी थीं, यह दिखाने का होता तो कलेजा फाड़ कर दिखा देती।

विधायकजी (सूर्यदेव सिंह) की मौत के बाद बच्चा बाबू एकदम से बदल गए। उनका वश चलता तो मेरे परिवार को उसी समय बर्बाद कर देते। जिस तरह विधायक जी ने परिवार को एकजुट रखा, मेहनत मजदूरी कर धनबाद में सबको स्थापित किया, भाइयों के परिवार और अपने परिवार में अंतर नहीं किया, उनकी मौत के बाद बच्चा बाबू सब भूल गए। विधायक जी की मृत्यु के बाद झरिया सीट पर उनकी नजर थी। आरएसपी कॉलेज में राजीव रंजन की रैली से नाराज थे। जबकि सच्चाई यह है कि बच्चा बाबू दो चुनाव हार चुके थे। राजीव रंजन ने हजारीबाग जेल में रहते हुए उन्हें एमएलए बनाया और मंत्री तक बनाने के लिए काफी कुछ किया। उस लड़के के प्रति इतनी कटुता उनमें थी कि बता नहीं सकती। एक बार बच्चा बाबू ने उंगली दिखाकर मेरी (कुंती सिंह) ओर इशारा करते हुए बोले कि-तुम जानती हो कि रंजन कहां है, उससे बात करती हो। यह सुन रोने लगी। विधायक जी की मौत हो चुकी थी। घर के मालिक थे लेकिन मेरी बेटी की शादी में सिर्फ दो लाख रुपए दिए। ऐसे हैं बच्चा बाबू। सोचती हूं आखिर पद और पैसे का इतना लालच उनमें किसके लिए है। बबुआ की खबर जब अखबारों में छपी थी तो बहू मेरे साथ सोयी थी। मैं बाथरूम गयी थी। खबर पढ़ वह रोने लगी। बाथरूम से निकली तो मैं भी दहाड़ मार रोने लगी। यह सब देख बच्चा बाबू एवं परिवार के कुछ और लोग गाड़ी में बैठ बाहर निकल गए। बच्चा बाबू के कारण एक वक्त ऐसा था कि खाने-पीने की भी परेशानी हो गयी थी। याद है गणेश मसाला वाले से तब साढ़े चार हजार रुपए का उधार समान मंगवाया था।

राजीव के लोगों को सस्पेंड करा दिए थे : हजारीबाग जेल से जब बबुआ बाहर निकला तो शिमला बहाल में उसका स्वागत किया गया था। बच्चा बाबू को यह पसंद नहीं आया। बबुआ के कई दोस्तों को उन्होंने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए सस्पेंड करा दिया था। ऐसे कई मौके आए, जब बच्चा बाबू का ईष्या भाव मेरे बच्चों के प्रति देखने को मिला।

पहनने को एक साड़ी, धौड़ा में रही : कुंती सिंह बोलते-बोलते यहां तक कह गयीं कि 14 साल की उम्र में शादी हुई थी। तब मजदूरों के साथ धौड़ा में रहती थी। गरीबी ऐसी थी कि एक ही साड़ी पहनने को थी। साड़ी धोने पर सूखने का इंतजार करती थी। उसी धौड़ा में बच्चा व राजन को खाना खिलायी। एक वह दिन था। समय बदला तो दुनिया की सब सुख-सुविधा मिली लेकिन बच्चा सिंह के कुचक्र से परिवार को समय-समय पर ग्रहण लगता रहा और एक टेबल पर खाना खाने वाला परिवार तितर-बितर हो गया।

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