मुम्बई से फ्लाइट से गोरखपुर आता है ट्रेन का तत्काल टिकट
ट्रेन : अवध एक्सप्रेसयात्रा की तिथि : 10 मई वातानुकूलित कोच में बैठकर गोरखपुर से बांद्रा की यात्रा कर रहे एक यात्री के टिकट ने चौंका दिया। टिकट तत्काल कोटे से बुक था। टिकट मुम्बई से बना था। गोरखपुर...
ट्रेन : अवध एक्सप्रेस
यात्रा की तिथि : 10 मई
वातानुकूलित कोच में बैठकर गोरखपुर से बांद्रा की यात्रा कर रहे एक यात्री के टिकट ने चौंका दिया। टिकट तत्काल कोटे से बुक था। टिकट मुम्बई से बना था। गोरखपुर से मुंबई की यात्रा पूरी करने में 36 घंटे लगते हैं तो ट्रेन छूटने से महज एक दिन पहले आरक्षित तत्काल टिकट गोरखपुर कैसे पहुंच गया? इसका जवाब भी है। तत्काल टिकट बुक कराने और उसे पहुंचाने का एक रैकेट है। रैकेट में शामिल लोग मुंबई में तत्काल टिकट बुक कराते हैं और हवाई जहाज से जगह-जगह पहुंचाते हैं।
यात्री का आरक्षित टिकट और उसकी यात्रा की तिथि देखकर हतप्रभ टीटीई ने यह जान और मान लिया कि तत्काल आरक्षण में खेल चल रहा है लेकिन मन मसोसकर वह चुप रहा। कानूनन वह यात्री को रोक सकता था न ही उसके खिलाफ कोई कार्रवाई कर सकता था। टीटीई के चेहरे के बदलते भाव को यात्री ने भांप लिया और विजयी मुस्कान के साथ बैठा रहा।
35 सेकेंड में बर्थ खत्म
तत्काल टिकट के लिए गुरुवार की सुबह धर्मशाला स्थित आरक्षण केन्द्र पर आए देवेंद्र ने विंडो पर लगी लाइन में दूसरे नम्बर पर थे। इस भरोसे के साथ कि मुंबई का तत्काल टिकट उन्हें मिल जाएगा। 11 बजे तत्काल के लिए विंडो खुला। पहले यात्री को कन्फर्म बर्थ मिल गई लेकिन महज 35 सेकेंड में ही तत्काल के सभी बर्थ बुक हो गए और देवेंद्र को मायूसी हाथ लगी। देवेंद्र आक्रोशित होकर भला-बुरा कहते लौट गया। लगातार तीन दिन तक लाइन लगाने के बाद भी उसे टिकट नहीं मिला। उसके सामने दिक्कत कन्फर्म टिकट की है।
ऐसे होता है तत्काल का खेल
मुम्बई में पीआरएस (यात्री आरक्षण प्रणाली) 30 सेकेण्ड पहले ही खुल जाता है। वहां सक्रिय एजेंट मुम्बई और आसपास के सैकड़ों काउंटरों पर सुबह से ही जमे रहते हैं। तत्काल के लिए विंडो खुलते ही गोरखपुर से मुम्बई या अन्य सम्बंधित स्टेशनों से मुम्बई तक का टिकट बुक करा लेते हैं। आरक्षित टिकटों को फ्लाइट से लखनऊ भेज देते हैं। लखनऊ के उनके एजेंट सड़क मार्ग से अलग-अलग स्टेशनों पर जहां से डिमांड गई है वहां टिकट वितरित करते चले जाते हैं। उदाहरण के लिए अगर 12 मई को किसी यात्री को कुशीनगर एक्सप्रेस से मुम्बई तक यात्रा करनी है तो उसका टिकट 11 मई को मुम्बई में बुक हो जाएगा और उसी दिन फ्लाइट से लखनऊ और वहां सड़क मार्ग से यात्री के पास पहुंच जाएगा।
दो बार पकड़ा जा चुका है रैकेट
पूर्वोत्तर रेलवे की विजलेंस टीम तीन साल में दो बार इस तरह के रैकेट को पकड़ चुकी है लेकिन कोई प्रभावी कदम न उठाए जाने से यह खेल बदस्तूर जारी है। तत्काल टिकट बुकिंग के दुरुपयोग को रोकने के लिए उसी स्टेशन या आसपास के स्टेशनों से ही तत्काल की टिकट बुक होना चाहिए जहां से यात्रा करनी हो। संभव है इससे कुछ हद तक रोक लग सके।
एक टिकट के एक से डेढ़ हजार
गोरखपुर, खलीलाबाद, बस्ती और गोण्डा से मुम्बई जाने वाले यात्रियों की तत्काल कोटे की टिकट मुम्बई से फ्लाइट से आती है। गोरखपुर से मुम्बई तक सक्रिय दलाल यात्री से तत्काल बर्थ के लिए 1000 से 1500 रुपये वसूलते हैं। गर्मी में गोरखपुर व आसपास के क्षेत्रों से रोजाना अलग ट्रेनों की 200 से 250 टिकट मुम्बई से बुक होकर आता है।
आईडी कर देते हैं मेल
करीब-करीब हर स्टेशन पर सक्रिय एजेंट यात्रियों से सम्पर्क कर उन्हें कन्फर्म बर्थ दिलाने का वादा करते हैं। सहमति मिलने पर अग्रिम एडवांस और आईडी की फोटोकॉपी लेकर मुम्बई के एजेंट को मेल कर देते हैं।
मुम्बई जाने वाली लगभग सभी ट्रेनों में खासकर स्लीपर क्लास में जो यात्री तत्काल टिकट पर यात्रा करते हैं उनमें से 50 फीसदी टिकट मुम्बई पीआरएस से बने होते हैं। चूंकि इन पर कार्रवाई का प्रावधान नहीं है इसलिए ये बच जाते हैं। ऐसे मामले पहले भी पकड़े जा चुके हैं।
एसएम पाण्डेय, टीटीई, लखनऊ मण्डल