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एक उत्तर-आधुनिक लोककथा का निष्कर्ष

वे दोनों लेखक थे। स्वभावत: खुंदक तो होनी ही थी। लगभग कवि थे। व्यसनानुसार कथाकार और कैरेक्टर वाइज लुगदी उपन्यासकार। कुंठित आलोचना उनकी दिनचर्या थी। उत्तर आधुनिकता का पल्लू पकड़े वे अक्सर कॉफी हाउस में...

एक उत्तर-आधुनिक लोककथा का निष्कर्ष
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 17 Apr 2015 09:35 PM
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वे दोनों लेखक थे। स्वभावत: खुंदक तो होनी ही थी। लगभग कवि थे। व्यसनानुसार कथाकार और कैरेक्टर वाइज लुगदी उपन्यासकार। कुंठित आलोचना उनकी दिनचर्या थी। उत्तर आधुनिकता का पल्लू पकड़े वे अक्सर कॉफी हाउस में कोई आसामी ढूंढ़ते। जिन मुहल्ला पत्रिकाओं में छप जाते, उन्हें घी लगाकर चाटते। जहां नहीं छप पाते, उन्हें व्यवसायिक पत्रिकाएं कहते। एक शादी में गए, तो कुछ ज्यादा ही टुन्न हो गए। एक बोला- परे हट, मैं जनवादी हूं। दूसरा बोला- परे हट, मैं प्रगतिशील हूं। अब आगे का संवाद इस प्रकार हैं। एक- खाक प्रगतिशील हो। परंपरागत देसी पीते हो। बातें करते हो पाब्लो नेरूदा की? दूसरा- तुम्हारा जनवाद भी तो मलिहाबाद तक है। पहले ने नींबू चाटा, फिर बोला- देखो बेटा, मैं यथार्थवादी हूं। दूसरा बोला- मैं रीजनेबल हूं। वास्तविकतावादी हूं। पहला- तुम्हारे सामाजिक सरोकार क्या हैं? दूसरा- तुम्हारी प्रासंगिकता क्या है? पहला- तुम प्रामाणिक नहीं हो। दूसरा- तुम भी विश्वसनीय नहीं हो। पहला- तुम बुजरुआ हो।

दूसरा- सूचना विभाग के अलावा तुम्हें छापता कौन है? पहला- तुम भी साहित्य के फर्जी सूरदास हो। दूसरा- तुमने  क्या कबीरदास से पूछकर उन्हें वामपंथी बनाया? पहला- तुम पूंजीवादी चमचे हो,अमेरिकी दलाल। दूसरा- तुम अस्वीकारवादी हो। एन्क्रोचमेंटी हो। पहला- तुम तो नगर निगम में टेंडर लिखते हो। दूसरा- तुम भी शादियों में सेहरा लिखते हो। अनकंटेंपररी कहीं के। पहला- मेरे पास एक्सप्रेशन है। दूसरा- मेरे पास इंटेंशन है। पहला- अबे ट्रांसलेटर, तुम घोर अनुवादी। दूसरा- और तुम सिर्फ विवादी। पहला- तुम कुंठित हो। दूसरा- तुम जलकुकड़े हो। पहला- तुम अपराध ग्रस्त हो, भिखमंगे हो। दूसरा- तुम रात के खाने के लिए शादियां ढूंढ़ते हो। पहला-  तुम भी तो सुबह-शाम लंगर में खाते हो। दूसरा- तुम्हें तो तुम्हारी बीवी मारती है। पहला- तुम्हें तो दूसरों की बीवियां मारती हैं। लोककथा का अंत यही है कि पहला बोला- मैं राष्ट्रीय मोदी। दूसरे ने दहला मारा- मैं स्थानीय केजरीवाल। इसके बाद सब दुख से रहने लगे।

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