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प्रकृति की प्रेरणा

जापानी गुरु, लेखक और विचारक रिहो ओकावा बांस से जीवन की प्रेरणा लेने की सीख देते हैं। अपनी किताब इनविन्सिबल थिंकिंग  में वह लिखते हैं कि साठ फीट लंबा बांस सीधे ऊपर की ओर बढ़ता जाता है। उसमें हर आठ...

प्रकृति की प्रेरणा
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 13 Apr 2017 12:48 AM
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जापानी गुरु, लेखक और विचारक रिहो ओकावा बांस से जीवन की प्रेरणा लेने की सीख देते हैं। अपनी किताब इनविन्सिबल थिंकिंग  में वह लिखते हैं कि साठ फीट लंबा बांस सीधे ऊपर की ओर बढ़ता जाता है। उसमें हर आठ या बारह इंच के बाद एक गांठ बनती है। उस गांठ पर बांस का विकास कुछ समय के लिए रुक जाता है। शायद यह रुकावट उसे पीड़ा या अवसाद देती हो या इसके आगे वह कई तरह के संघर्ष को झेलता हो। फिर भी, बांस निरंतर आगे बढ़ता जाता है। बांस की तरह ही प्रकृति में बहुत सी चीजें ऐसी हैं, जो जीवन की जटिलता को समझने में हमारी मदद करती हैं। बल्कि यूं कहें कि हमें जीना सिखाती हैं।

सुबह उठकर उगते सूरज, चिड़ियों को उड़ते हुए और पेड़ों की डालियों को हवा के झोंके के साथ हिलते हुए देखना अगर हमें बहुत प्रिय लगता है, तो हम इसके साथ ही इससे बहुत कुछ सीख सकते हैं। एक दिन भी आप आलस छोड़कर ऐसा करते हैं, तो आपको महसूस होगा कि जिंदगी की आपा-धापी में आप अपने से दूर हो रहे हैं। प्रकृति से सीखने के लिए बहुत कुछ है।

इसका एक उदाहरण हमें महात्मा गांधी से मिलता है। हमारी अर्थव्यवस्था विनिमय के मूल्य या कीमत पर आधारित है। गांधीजी चाहते थे कि कीमत के लिए कोई पूरक मूल्य हो। उदाहरण के लिए, वायु। वायु का कोई मूल्य नहीं है, लेकिन जीवन के लिए उसका बहुत महत्व है। इसका मूल्य और इसकी कीमत दो चीजें हैं। जिनको मूल्य की समझ है, उनके लिए प्रकृति, रिश्ते, हर चीज अनमोल और बेशकीमती है, इनको बाजार से कोई नहीं खरीद सकता। महत्व का यह पाठ उन्होंने भी प्रकृति से  ही सीखा।
                                                  शशिप्रभा तिवारी

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