नार्वे जनसंहार के दोषी ने जेल में मानसिक यातना देने के खिलाफ सरकार पर किया मुकदमा
नार्वे में जनसंहार को अंजाम देने वाले एक सजायाफ्ता कैदी एंडर्स बेहरिंग ने सरकार के खिलाफ अपने मानवाधिकारों के उल्लंघन को लेकर मुकदमा किया है। उसका कहना है कि उसे जेल में सबसे अलग-थलग रखकर मानसिक...
नार्वे में जनसंहार को अंजाम देने वाले एक सजायाफ्ता कैदी एंडर्स बेहरिंग ने सरकार के खिलाफ अपने मानवाधिकारों के उल्लंघन को लेकर मुकदमा किया है। उसका कहना है कि उसे जेल में सबसे अलग-थलग रखकर मानसिक यातना दी जा रही है।
स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, बेहरिंग के वकील ओयिस्टीन स्टोरविक ने बताया कि इस संबंध में ओस्लो की जिला अदालत को कानूनी पत्र सौंपे गए हैं। उन्होंने कहा कि मुकदमे की मुख्य वजह बेहरिंग के साथ जेल में अमानवीय व्यवहार करना है।
बेहरिंग को नार्वे में अति सुरक्षा वाली जेल में रखा गया है, जहां वह जेल के किसी दूसरे कैदी के साथ संपर्क नहीं कर सकता। हालांकि,नार्वे की सरकार का कहना है कि उसे यूरोपीय कानूनों के मुताबिक ही जेल में रखा गया है।
बेहरिंग ने 22 जुलाई, 2011 को उटोया द्वीप पर अंधाधुंध गोलीबारी कर 69 लोगों को मार दिया था, जहां सत्तारूढ़ लेबर पार्टी के युवा सदस्य वार्षिक ग्रीष्मकालीन कैंप के लिए एकत्र हुए थे। ओस्लो की जिला अदालत ने वर्ष 2012 में उसे इस मामले में 21 साल कैद की सजा सुनाई थी।
गौरतबल है कि नार्वे के कानून में मृत्युदंड या आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान नहीं है। यहां अधिकतम सजा 21 साल कैद की दी जा सकती है, जो बेहरिंग को दी गई है। हालांकि, जिन कैदियों से समाज को खतरा हो सकता है, उन्हें अनिश्चितकाल तक जेल में रखे जाने का प्रावधान है।