अजीब त्योहार : यहां चंद पैसों के लिए दांत से काटते बैंलों की पूंछ
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इंडोनेशिया में परंपरा के नाम पर मनाए जाने वाले त्योहार पाकु जावी में बेजुबान जानवरों के साथ अत्याचार की कुछ तस्वीरें सामने आई हैं जो हैरान करने वाली हैं।
इंडोनेशिया का यह त्योहार 'पाकु जावी' कर्नाटक के उत्सव कम्बाला जैसा ही होता है।
पाकु जावी त्योहार के जरिए कुछ पैसे बनाने के लिए लोग दांत से बैलों की पूछ तक काट लेते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, इस उत्सव में कीचड़ वाले एक ट्रैक में किसान अपने बैलों की रेस कराते हैं। रेस में उनके बैल और ज्यादा तेजी से भागें इसके लिए वह बैलों की पूंछ मरोड़ते हैं। कई बार तो लोग दांत से बैलों की पूंछ काट लेते हैं।
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चंद पैसों के लिए करते हैं क्रूरता
पाकु जावी में होने वाली बैलों की अजीब रेस में किसान केवल रेस जीतने के लिए बैलों से क्रूरता नहीं करते, बल्कि इसके पीछे चंद पैसों का लालच है।
जानकारी अनुसार, रेस में जिस किसान की जोड़ी जीतती है उसकी कीमत सबसे ज्यादा हो जाती है। यानी जब वह अपने बैलों को बाजार में या दूसरे किसान को बेचता है तो उसे बाकी बैलों के मुकाबले दोगुनी रकम मिलती है। किसानों का मानते हैं रेस जीतने वाले बैंलों की जोड़ी सबसे ज्यादा ताकतवर होती है।
इंडोनेशिया में पाकु जावी मनाए जाने की परंपरा करीब 400 साल पुरानी है।
आगे पढ़ें भारत के उत्सव कम्बाला के बारे में-
अजीब त्योहार : यहां चंद पैसों के लिए दांत से काटते बैंलों की पूंछ
भारत में प्रतिबंधित है कर्नाटक का कम्बाला
कीचड़ व पानी से भरे ट्रैक या खेत में जानवरों को दौड़ाने का उत्सव पहले हमारे देश के कर्नाटक में भी मनाया जाता था लेकिन अब यह प्रतिबंधित है।
कंबाला जैसे ही त्योहार जल्ली कट्टू को कानून मान्यता के लिए जब तमिलनाडु सरकार ने कानून बनाया तो कंबाला प्रेमियों ने भी इसे कानूनी किए जाने की मांग की थी।
उल्लेखनीय है कि हमारे यहां मनाए जाने वाले त्योहार में बैल या गाय की बजाए भैंसों को दौड़ाया जाता है। इस रेस को जीतने के लिए ईनाम का ऐलान किया जाता है जिसके लिए किसान जान की परवाह किए बिना अपनी भैंसों को दौड़ाते हैं।
रोमांच का यह खेल बेहद खतरनाक होता है।
अजीब त्योहार : यहां चंद पैसों के लिए दांत से काटते बैंलों की पूंछ