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ब्लैक होल का राज खोलने में जुटा भारतीय वैज्ञानिक

असम के एक वैज्ञानिक के नेतृत्व में कैंब्रिज स्थित एमआईटी में शोधकर्ताओं का एक दल ब्लैक होल का अध्ययन कर रहा है। उन्होंने पता लगाया है कि आकाशगंगा के विराट ब्लैक होल ने 60 लाख साल पहले गैस के एक विशाल...

ब्लैक होल का राज खोलने में जुटा भारतीय वैज्ञानिक
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 09 Apr 2017 10:31 PM
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असम के एक वैज्ञानिक के नेतृत्व में कैंब्रिज स्थित एमआईटी में शोधकर्ताओं का एक दल ब्लैक होल का अध्ययन कर रहा है। उन्होंने पता लगाया है कि आकाशगंगा के विराट ब्लैक होल ने 60 लाख साल पहले गैस के एक विशाल गुबार को निगल लिया था। इसके बाद लाखों सूर्यों जितना वजनी एक विशाल बुलबुला पैदा हुआ था। इस बुलबुले के अध्ययन से हमारी आकाशगंगा के भविष्य का अनुमान लगाने में मदद मिलेगी। 

हब्बल टेलीस्कोप की मदद : 
रोंगमन बोरदोलोई की अगुआई में शोधकर्ताओं ने नासा के हब्बल स्पेस टेलीस्कोप की मदद से पता लगाया कि आकाशगंगा के गहरे ब्लैक होल से निकले गैसों के बुलबुले (फर्मी बबल) के उत्तरी अर्धांश से सुदूर अंतरिक्ष स्थित कई क्वासर देखे जा सकते हैं। क्वासर तारों के समान खगोलीय पिंड हैं, जिनसे रेडियो तरंगें निकलती हैं। इनसे काफी मात्रा में ऊर्जा निकलती है। 

ब्लैक होल क्या है
यह अंतरिक्ष का एक सघन और ठोस गुरुत्वीय क्षेत्र है। इसमें इतना तीव्र गुरुत्वाकर्षण होता है कि कोई भी पदार्थ या प्रकाश इससे बच नहीं सकता। हमारे तारामंडल के केंद्र में स्थित विराट ब्लैक होल ने सूर्य जैसे 45 लाख तारों के द्रव्यमान को काफी दबाकर एक बेहद छोटे क्षेत्र में तब्दील कर दिया है।

ब्लैक होल का अंतिम निवाला :
हब्बल स्पेस टेलीस्कोप ने क्वासर की रोशनी की जांच की ताकि बुलबुले के गैस की गति का पता लगाकर यह जाना जा सके कि गैस पृथ्वी के पास आ रही है या दूर जा रही है। पदार्थ की गति के आधार पर शोधकर्ताओं ने यह आकलन किया कि गैस के ये बुलबुले 60 लाख से 90 लाख साल पहले बने थे। बारदोलई ने कहा, हमें 60 से 90 लाख साल एक बड़ी अवधि लग सकती है। लेकिन अंतरिक्ष के लिए यह पलक झपकने भर है। ब्रह्मांड 13.7 अरब साल पुराना है। डायनासोर 6.6 करोड़ साल पहले लुप्त हो गए थे। इस हिसाब से आकाशगंगा के ब्लैक होल ने अंतिम निवाला डायनासोरों के विलुप्त होने के बाद निगला था।

अगले निवाले का पता नहीं :  
उन्होंने कहा, हमने पहली बार इनमें से एक बुलबुले में ठंडी गैस की गति का पता लगाया है। इससे हम उसके वेग को माप कर यह गणना कर सके कि बुलबुले कब बने थे। यह बेहद शक्तिशाली और ऊजार्वान घटना थी। उसके बाद से ही ब्लैक होल चीजें निगल रहा है। ब्लैक होल अगली बार कब अपना निवाला निगलेगा, इस सवाल पर बारदोलई ने कहा कि हाल में एक तारा जी2 ब्लैक होल में गिरने के कगार पर पहुंच गया था। लेकिन किसी तरह वह बच गया।

आकाशगंगा का भविष्य :
बारदोलई के अनुसार, तारामंडल के अंदर और बाहर होने वाले गैस प्रवाह का अध्ययन हमें आकाशगंगा के भविष्य की थाह दे सकता है। इससे यह अनुमान लगाया जा सकेगा कि हमारी आकाशगंगा नए तारों को जन्म देती रहेगी या नहीं। यदि इसमें गैस की आपूर्ति खत्म हो जाएगी और यह एक मृत तारामंडल बन जाएगी। फिलहाल आकाशगंगा में किसी भी नए तारे का जन्म न के बराबर है।
 

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