गोपनीयता भंग हुई तो नहीं देंगे जानकारी : स्विट्जरलैंड
स्विट्जरलैंड ने कालेधन की जानकारी देने के लिए हुए करार में गोपनीयता की शर्त को अहम बताया है। उसने कहा कि कालेधन की सूचनाओं के स्वत: आदान-प्रदान की प्रस्तावित व्यवस्था के तहत गोपनीयता की भी शर्त है और...
स्विट्जरलैंड ने कालेधन की जानकारी देने के लिए हुए करार में गोपनीयता की शर्त को अहम बताया है। उसने कहा कि कालेधन की सूचनाओं के स्वत: आदान-प्रदान की प्रस्तावित व्यवस्था के तहत गोपनीयता की भी शर्त है और अगर यह भंग होती है तो वह सूचनाएं देना रोक देगा। अगर ऐसा हुआ तो भारतीयों द्वारा विदेशों जमा कराए गए कालेधन के खिलाफ केंद्र की मुहिम को झटका लग सकता है।
स्विट्जरलैंड के अंतरराष्ट्रीय वित्तीय मामलों के विभाग (एसआईएफ) ने एक बयान में कहा, घरेलू वित्तीय संस्थाएं पहली बार इस साल आंकड़े एकत्रित कर रही हैं। स्विट्जरलैंड के कर अधिकारी भागीदार देशों के साथ सूचनाओं का आदान-प्रदान 2018 में करेंगे।
एसआईएफ ने अपनी त्रैमासिक समाचार पत्रिका के ताजा अंक में लिखा है, यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सूचनाएं गलत हाथों में न पड़ें या उनका दुरुपयोग न हो। विभाग ने कहा, स्विट्जरलैंड उन सभी देशों और क्षेत्रों के साथ कर-संबंधी सूचनाओं का आदान-प्रदान करने को सैद्धांतिक रूप से तैयार है, जो संबंधित शर्तों को पूरा करते हैं। इस द़ृष्टि से इस अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में सूचनाओं की गोपनीयता और सुरक्षा महत्वपूर्ण बात है।
कालेधन के खतरों से निपटने की एक अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धता के तहत स्विट्जरलैंड ने 1 जनवरी 2017 से सूचनाओं के स्वत: आदान—प्रदान के नियमों को प्रभावी बना दिया है। इसके तहत सूचनाओं का पहला आदान-प्रदान कुछ देशों के साथ अगले साल किया जाएगा, जिनमें भारत भी शामिल है।
गौरतलब है स्विस बैंक अपने ग्राहकों की गोपनीयता की प्रति प्रतिबद्धता के लिए जाने जाते हैं। यही वजह है कि दुनिया के अधिकतर लोग अपने-अपने देशों में कर से बचने के लिए बड़ी मात्रा में राशि स्विस बैंकों में जमा कराते हैं। लेकिन कालेधन के खिलाफ वैश्विक मुहिम और अमेरिका यूरोप जैसे देशों के दबाव के बाद स्विट्जरलैंड खाताधारकों की जानकारी संबंधित देशों को देने पर सहमति जताई है।