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भारतीय महिला के तीखे सवालों से तिलमिलाया ट्रंप का अधिकारी

अमेरिका में भारतीयों पर लगातार जानलेवा हमलों के बीच शनिवार को अमेरिकी राष्ट्रपति कार्यालय के अधिकारी सीन स्पाइसर को एक भारतीय महिला श्री चौहान के तीखे सवालों का सामना करना पड़ा। चौहान ने जब...

भारतीय महिला के तीखे सवालों से तिलमिलाया ट्रंप का अधिकारी
एजेंसीTue, 14 Mar 2017 06:15 PM
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अमेरिका में भारतीयों पर लगातार जानलेवा हमलों के बीच शनिवार को अमेरिकी राष्ट्रपति कार्यालय के अधिकारी सीन स्पाइसर को एक भारतीय महिला श्री चौहान के तीखे सवालों का सामना करना पड़ा। चौहान ने जब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का नाम लिए बगैर पूछा कि एक फासीवादी के साथ काम करना आपको कैसा लगता है तो स्पाइसर तिलमिला गए। 

32 साल की चौहान की शनिवार को एप्पल के एक स्टोर में स्पाइसर से मुलाकात हो गई। उन्होंने तुरंत सवाल दागा कि देश को बर्बाद करने के बारे में आप क्या सोचते हैं। इस पर खिसियाए स्पाइसर ने कहा कि अमेरिका एक महान देश है, जो आपको यहां रहने की अनुमति देता है। चौहान ने स्पाइसर की इस टिप्पणी को नस्लीय और धमकी भर बताया। उन्होंने इस वीडियो को ट्विटर और अन्य सोशल साइटों पर डाला। 

चौहान ने स्पाइसर से रूस के अमेरिकी रिश्तों पर भी सवाल पूछे और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर देशद्रोह करने का आरोप भी लगाया। महिला ने कहा कि वह अमेरिका में ही जन्मीं और पली-बढ़ी हैं और वह स्तब्ध हैं कि उनकी नागरिकता को छीनने की परोक्ष धमकी दी गई। स्पाइसर ने प्रेस कान्फ्रेंस में इस वाकये पर सफाई भी दी। 

उन्होंने कहा कि अमेरिका एक आजाद देश है और लोग अपनी मर्जी से जो करना चाहें, उन्हें वह करने का अधिकार है। जनता से बात करना अच्छा रहता है। इनमें वे लोग भी होते हैं, जो हमारी सोच, कार्यक्रम आदि से सहमत नहीं हो सकते। उन्होंने आरोप लगाया कि ट्रंप और उनके साथी कानून-संविधान और लोकतंत्र की खुले तौर पर धज्जियां उड़ा रहे हैं। महिला ने उम्मीद जताई कि यह संवाद लोगों को स्पष्टता से अपनी बात रखने की सीख देगा।

गुजराती मूल का शैक्षिक स्टार्टअप चलाती हैं चौहान
गुजराती मूल की चौहान एक शैक्षिक स्टार्टअप चलाती हैं, जो स्कूलों और समुदायों के बारे में सकारात्मक बदलावों के लिए अभिभावकों की मदद करता है। उन्होंने एक साल तक मियामी में अध्यापन कार्य किया था। वह लोक प्रशासन में परास्नातक हैं।

ज्यादा सवाल न पूछ पाने का अफसोस
श्री ने कहा कि पहले उन्हें लगा कि यह ठोस सवालों के जवाब पाने का कितना बड़ा अवसर है। लेकिन वह बहुत घबराई हुई थीं। लिहाजा वह ज्यादा सवाल पूछ नहीं पाईं।  
 

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