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Hindi News100 मील दूर कंक्रीट की दीवार में छेद करेगी इलेक्ट्रो-मैग्नेटिक तोप 

100 मील दूर कंक्रीट की दीवार में छेद करेगी इलेक्ट्रो-मैग्नेटिक तोप 

आपने स्टार वार्स जैसी फिल्मों में खतरनाक हथियारों को आग उगलते देखा होगा। अब अमेरिकी नौसेना हकीकत में एक ऐसा ही हथियार पेश करने जा रही है। दरअसल अमेरिकी नौसेना ऐसी  इलेक्ट्रो-मैग्नेटिक तोप का...

100 मील दूर कंक्रीट की दीवार में छेद करेगी इलेक्ट्रो-मैग्नेटिक तोप 
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 24 Mar 2017 07:32 PM
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आपने स्टार वार्स जैसी फिल्मों में खतरनाक हथियारों को आग उगलते देखा होगा। अब अमेरिकी नौसेना हकीकत में एक ऐसा ही हथियार पेश करने जा रही है। दरअसल अमेरिकी नौसेना ऐसी 
इलेक्ट्रो-मैग्नेटिक तोप का परीक्षण कर रही है जो गोले को ध्वनि से भी छह गुना तेज गति से फायर करता है। यानी इस तोप से निकला गोला आवाज से छह गुना तेज गति से दुश्मन पर वार कर सकता है। 

लंबी दूरी तक मार करने में सक्षम
शोधकर्ताओं ने इस तोप की स्टार वार्स टेक्नोलॉजी से तुलना की है। यह तोप 4,500 मील प्रति घंटे यानी 7,242 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से गोले दागने में सक्षम है। इसकी ताकत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पिछली बार जब इस तोप का परीक्षण किया गया था तो इसने 100 मील यानी 160 किलोमीटर दूर स्थित कंक्रीट की दीवार में छेद कर दिया था। 

इसलिए सुरक्षित रहेंगे जहाज
अमेरिकी नौसेना के जहाजों और युद्धपोतों पर यह तोप तैनात होने के बाद ये जहाज अधिक सुरक्षित रहेंगे। फिलहाल इन युद्धपोतों और जहाजों पर मिसाइल तैनात की जाती हैं। इसके लिए जहाज पर भारी मात्रा में बारूद रखा जाता है। इससे इनमें विस्फोट होने का खतरा भी रहता है। हालांकि इस नई तोप में इलेक्ट्रो-मैग्नेटिक ऊर्जा का इस्तेमाल किया जाएगा। इसकी मार करने की क्षमता भी मिसाइलों से कम नहीं है और इसमें विस्फोट होने का खतरा भी न के बराबर है। यही वजह है कि अमेरिकी नौसेना इन तोपों को ज्यादा तवज्जो दे रही है। 

इतनी तेज गति कैसे पकड़ती है
इस खास तोप से निकला गोला सामान्य गोलों के मुकाबले कई गुना तेजी से दुश्मन के ठिकानों को निशाना बनाता है। इस तोप में गन पाउडर के स्थान पर बिजली का इस्तेमाल किया गया है। इसे विज्ञान की भाषा में लॉरेंज फोर्स कहा जाता है। पहले तो इस तोप से निकला गोला सामान्य गोलों की रफ्तार से निकलता है। बाद में यह दो नलियों के बीच पैदा की गई चुंबकीय विद्युत तक पहुंचता है। यहां पहुंते ही इसकी स्पीड ध्वनि की गति से भी छह या सात गुना तक बढ़ जाती है। इतनी गति से निकलने वाला गोला भयंकर नुकसान पहुंचा सकता है। 

2005 में शुरू हुआ था निर्माण 
इस खास तोप के निर्माण की शुरुआत साल 2005 में हो गई थी। अमेरिका के सेन डियागो की कंपनी जनरल एटॉमिक्स इलेक्ट्रोमैग्नेटिक्स सिस्टम ने अमेरिकी नौसेना के लिए ऐसे हथियार बनाने का प्रस्ताव रखा था जो 100 मील की दूरी पर स्थित लक्ष्य पर भी गोले बरसा सके।   

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