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फील्ड नहीं ऑफिस में रहने पर कर्मचारियों का जोर

सभी अफसर व कर्मचारी समय से दफ्तर पहुंचते हैं शासन की मंशा के अनुरूप सूबे के मंत्रियों और विधायकों के सरकारी दफ्तरों में छापेमारी का असर दिखने लगा है। सुबह 9.30 बजते-बजते सभी दफ्तरों में सफाई हो जाती...

फील्ड नहीं ऑफिस में रहने पर कर्मचारियों का जोर
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 27 Apr 2017 11:10 PM
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सभी अफसर व कर्मचारी समय से दफ्तर पहुंचते हैं

शासन की मंशा के अनुरूप सूबे के मंत्रियों और विधायकों के सरकारी दफ्तरों में छापेमारी का असर दिखने लगा है। सुबह 9.30 बजते-बजते सभी दफ्तरों में सफाई हो जाती है। अफसर व कर्मचारी समय से कार्यालय पहुंच जाते हैं। हिन्दुस्तान ने गुरुवार को कुछ प्रमुख दफ्तरों में बदलाव देखा।

दोपहर 12.30 बजे

उप कृषि निदेशक कार्यालय

भाजपा विधायक डॉ. हरेन्द्र प्रसाद सिंह के पिछले दिनों जिला कृषि विभाग में छापेमारी के बाद सबकुछ ठीक हो गया है। यही नहीं, इससे सटे प्रमुख कार्यालयों में भी इसका असर दिखने लगा है। उप कृषि निदेशक कार्यालय के मुख्य भवन की रंगाई-पुताई के अलावा खिड़कियों-दरवाजों पर नये परदे भी टंग गए हैं। शौचालय की सफाई के लिए फिनॉयल की व्यवस्था की गयी है। उपकृषि निदेशक के निजी सहायक अंजनी उपाध्याय अपने चैम्बर में उपस्थित रहे। अटेंडेंस के संबंध में उन्होंने बताया कि जीप चालक विजय शंकर यादव को छोड़कर सभी उपस्थित हैं।

दोपहर तीन बजे

जिला सेवायोजन कार्यालय

रासमंडल क्षेत्र में किराये के मकान में जिला सेवायोजन कार्यालय सूना पड़ा रहा। दरअसल, पूरे दफ्तर की सफाई और फर्श की धुलाई करायी गयी है। अधिकारी ने बताया कि रिहायशी इलाके में दफ्तर होने के कारण साफ-सफाई पर पहले से ही विशेष ध्यान दिया जाता रहा है। सारी व्यवस्था ऑनलाइन होने से अभ्यर्थियों की भीड़ में कमी आयी है। जिला सेवायोजन अधिकारी राजीव सिंह व उनके सहयोगी अपर सांख्यिकी अधिकारी गृजेश वैश्य 29 अप्रैल को कार्यालय में लगने वाले रोजगार मेले की तैयारी में जुटे हुए हैं। इसमें भारतीय जीवन बीमा निगम और शिवशक्ति ग्रुप ऑफ कम्पनी युवकों को रोजगार उपलब्ध करायेगी।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नए निर्देश से सरकारी दफ्तरों की कार्यसंस्कृति में काफी कुछ नया हो गया है। कर्मचारी नयी ऊर्जा और स्फूर्ति से भर गये हैं। कार्यालय आने वाले लोगों को उनकी जरूरत के अनुरूप प्रत्येक सूचना समय से दी जाती हैं।

राजीव सिंह, जिला सेवायोजन अधिकारी

देखिये बदलाव तो होना चाहिए। चाहे सरकारी दफ्तरों की कार्यसंस्कृति का मामला हो अथवा बेसिक शिक्षा विभाग के स्कूलों का। इन विद्यालयों में बच्चों की उपस्थिति और उन्हें दी जानी वाली शिक्षा की शैक्षिक गुणवत्ता पर हमें ध्यान देना ही पड़ेगा। इसके लिए हमें खुद संकल्प करना होगा ।

अंजनी उपाध्याय, निजी सहायक, डीडी कृषि

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