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विश्व महिला दिवस: देश के लिए आदर्श बनीं इस राज्य की महिलाएं

संस्कृत का श्लोक ‘यस्य पूज्यंते नार्यस्तु तत्र रमन्ते देवता: यानी जहां नारी की पूजा होती है, वहां देवता निवास करते हैं। भारतीय संस्कृति और यहां की महिलाओं ने इस श्लोक को हमेशा से सार्थक सिद्ध...

विश्व महिला दिवस: देश के लिए आदर्श बनीं इस राज्य की महिलाएं
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 08 Mar 2017 12:36 PM
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संस्कृत का श्लोक ‘यस्य पूज्यंते नार्यस्तु तत्र रमन्ते देवता: यानी जहां नारी की पूजा होती है, वहां देवता निवास करते हैं। भारतीय संस्कृति और यहां की महिलाओं ने इस श्लोक को हमेशा से सार्थक सिद्ध किया है। कहीं-कहीं उपेक्षा, प्रताड़ना और कमजोर समझे जाने के बावजूद लड़िकयां हर क्षेत्र में बाजी मार रही हैं। परीक्षा की मेरिट लिस्ट में तेजी से आगे बढ़ रही हैं। साहसिक कार्य और खेलकूद में भी वे अग्रणी हैं।

अपनी मेहनत और मेधा शक्ति के बल पर हर क्षेत्र में महिलाएं और युवतियां प्रवीणता अर्जित कर रही हैं। जमशेदपुर की बेटियां बचेंद्री पाल, प्रेमलता अग्रवाल, पूर्णिमा महतो, अरुणा मिश्रा, तरुणा मिश्रा राज्य तथा देश के लिए आदर्श हैं।

अरुणा मिश्रा, अंरराष्ट्रीय मुक्केबाज

अंतरराष्ट्रीय महिला मुक्केबाज अरुणा मिश्र ने संघर्ष की प्रतिमूर्ति के रूप में अपनी पहचान बनाई है। पिताजी के देहावसान के बाद मां के उत्साहवर्द्धन ने हर पल उन्हें असाधारण प्रदर्शन के लिए प्रेरित किया। विश्व पुलिस गेम्स (न्यूयार्क-2011), विश्व मुक्केबाजी गेम्स (नार्वे-2005) में स्वर्ण पदक, विश्व चैंपियनशिप (नई दिल्ली-2007) में कांस्य पदक, एशियई चैंपियनशिप (हिसार-2004) में स्वर्ण पदक, एशियाई चैंपियनशिप (चीन-2006) में स्वर्ण पदक जीता है। 2002 से अब तक वे राष्ट्रीय मुक्केबाजी चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल पर कब्जा जमा रही हैं।

पूनम राय, अंतरराष्ट्रीय हैंडबॉल कोच

अंतरराष्ट्रीय स्तर की महिला हैंडबॉल कोच पूनम राय वर्तमान में संत मेरीज इंग्लिश स्कूल बिष्टूपुर में खेल शिक्षिका हैं। ग्वांझू एशियाई खेल 2011, एशियाई चैंपियनशिप बैंकाक-2008, पाटली कप स्वीडेन 2012 और साउथ एशियन गेम्स बांग्लादेश में भारतीय महिला हैंडबॉल टीम की कोच रहीं पूनम राय समाजसेवा में भी सक्रिय हैं। तीन बच्चों को गोद लेकर उन्हें शिक्षा और खेलकूद का प्रशिक्षण दे रही हैं। वे हमेशा नारी कल्याण, बच्चों की सेवा और जरूरतमंदों की मदद करती हैं।

बचेंद्री पाल, देश की पहली एवरेस्ट विजेता

टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन की चीफ पद्मश्री बचेंद्री पाल ने 1984 से अब तक दर्जनों पर्वतारोही अभियानों को मुकाम पर पहुंचाया है। भारत की पहली महिला एवरेस्ट विजेता पर्वतारोही बचेंद्री पाल ने दर्जनों युवतियों को ट्रैकिंग और पर्वतारोहण का प्रशिक्षण देकर संघर्ष की प्रतिमूर्ति बनाया।

दिव्यांग अरुणिमा सिन्हा, 48 वर्ष उम्र की प्रेमलता अग्रवाल और विनीता सोरेन को चुनकर बचेंद्री ने अपनी जौहरी की नजर को साबित किया। आपदा राहत और समाजसेवा में सक्रिय बचेंद्री गुजरात, ओडिशा, उत्तराखंड, नेपाल में राहत कार्य में अग्रणी रहीं। बचेंद्री पाल का सपना है कि झारखंड के सुदूर गांव से कोई ग्रामीण महिला या युवती एवरेस्ट फतह करे।

प्रेमलता अग्रवाल, एवरेस्ट विजेता

प्रेमलता अग्रवाल ने एवरेस्ट फतह कर देश का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रोशन किया है। वे भारत की सबसे उम्रदराज महिला पर्वतारोही हैं, जिन्होंने यह उपलब्धि हासिल की है। प्रेमलता ने देश की प्रथम महिला एवरेस्ट विजेता बचेंद्री पाल से प्रशिक्षण लेकर नया इतिहास रच डाला। प्रेमलता 2007 में बचेंद्री पाल के नेतृत्व में दो हजार किलोमीटर लंबे ‘थार अभियान (गुजरात के भुज से वाघा बॉर्डर तक) ऊंट की सवारी कर लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड का हिस्सा बनीं। प्रेमलता ने दुनिया के सात शिखर पर्वतों को भी फतह किया है।

संगीता कुमारी, आईपीएस अधिकारी

महिला आईपीएस अधिकारी संगीता कुमारी जैप-6 और इंडियन रिजर्व बटालियन की कमांडेंट हैं। साल 2012 में वे पुलिस की नौकरी में आईं। पहले जमशेदपुर में डीएसपी थीं। इसके बाद कई जगह एसपी भी रहीं। उन्होंने कहा कि यदि आप खुद को महिला समझती हैं तो सिर्फ मां, बहन, बेटी, पत्नी और अन्य रिश्तों को निभाने तक ही महिलाओं के दायरे को समझें। अन्यथा महिलाओं की क्षमता पुरुषों के बराबर ही होती है। हिम्मत हारें नहीं। यह समझ लें कि जीतना है तो जीत निश्चित ही मिलेगी। संस्कार गिरे नहीं, इसका ख्याल रखना है और किसी भी बात से डरने की जरूरत नहीं है।

डॉ. शुक्ला मोहंती, प्राचार्य, जमशेदपुर वीमेंस कॉलेज

चाईबासा महिला कॉलेज से कोल्हान में प्रिंसिपल पद पर करियर शुरू करने वाली जमशेदपुर वीमेंस कॉलेज की प्राचार्य डॉ. शुक्ला मोहंती दो दशक के भीतर तीन महिला कॉलेजों को शैक्षणिक क्षेत्र में बुलंदियों तक पहुंचा चुकी हैं। इसमें सबसे बड़ी उपलब्धि जमशेदपुर वीमेंस कॉलेज को विश्वविद्यालय का दर्जा दिलाना प्रमुख है। उनके प्रयासों से कोल्हान विश्वविद्यालय के अन्य कॉलेजों में भी शिक्षा का स्तर काफी ऊंचा उठा है।

डॉ. उषा शुक्ला, प्राचार्य, ग्रेजुएट कॉलेज

ग्रेजुएट कॉलेज की प्राचार्य डॉ. उषा शुक्ला शैक्षणिक माहौल सुधारने के लिए दिन-रात प्रयास कर रही हैं। कॉलेज की सारी गतिविधियों पर नजर रखने के साथ ही डॉ. उषा शुक्ला इस बात पर भी जोर देती हैं कि छात्राओं का शैक्षणिक विकास के साथ-साथ मानसिक और आध्यात्मिक विकास भी हो। वे छात्राओं की दिन-प्रतिदिन की मांग और विश्वविद्यालय प्रशासन के बीच सामन्जस्य बैठाकर चलती हैं।

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