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मच्छरों के कारण रातभर सो नहीं पाते रांची हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस

झारखंड के लोगों को मच्छरों से निजात दिलाने के हाईकोर्ट आगे आया है। उसने मच्छरों और उसके कारण होने वाली बीमारियों को लेकर दायर जनहित याचिका का अविलंब संज्ञान लिया। साथ ही तल्ख टिप्पणी करते हुए...

मच्छरों के कारण रातभर सो नहीं पाते रांची हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 10 Mar 2017 07:36 PM
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झारखंड के लोगों को मच्छरों से निजात दिलाने के हाईकोर्ट आगे आया है। उसने मच्छरों और उसके कारण होने वाली बीमारियों को लेकर दायर जनहित याचिका का अविलंब संज्ञान लिया। साथ ही तल्ख टिप्पणी करते हुए कार्यवाहक मुख्यन्यायाधीश पीके मोहंती ने यहां तक कह दिया कि, मच्छरों के कारण मैं रातभर सो नहीं पाता। पूरा रांची मच्छरों से परेशान है। पता नहीं शहर में फोगिंग होती भी है या नहीं।

हाईकोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई शुरू होते ही अधिवक्ता राजीव कुमार ने एक जनहित याचिका का हवाला दिया और इसकी जल्द सुनवाई करने का आग्रह किया। न्यायाधीश पीके मोहंती और जस्टिस आनंद सेन की अदालत ने पूछा कि ऐसा कौन सा केस है जो इतना अर्जेंट हो गया है। राजीव कुमार ने अदालत को बताया गया कि शहर में मच्छरों का प्रकोप बढ़ गया है। शहर के लोग मच्छरों से परेशान हैं। रांची नगर निगम मच्छरों को मारने के लिए कोई कदम नहीं उठा रहा है। शहर में फोगिंग नहीं होती। कभी-कभी वीआईपी इलाकों में  फोगिंग की जाती है। नालियों में कीटनाशकों का छिड़काव नहीं होता। इस पर जस्टिस पीके मोहंती ने कहा कि वाकई यह गंभीर मामला है। मच्छर बहुत हो गए हैं। मच्छरों के कारण मैं भी रातभर नहीं सो पाता  हूं। अदालत ने आग्रह स्वीकर करते हुए 24 मार्च को सुनवाई निर्धारित की। याचिका दीवान इंद्रनील सिन्हा ने दायर की है। 

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नक्सलियों से नहीं मच्छर से डरते हैं सीआरपीएफ जवान

नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में तैनात सीआरपीएफ के जवानों को नक्सलियों से कहीं ज्यादा डर मच्छरों से लगता है, क्योंकि मच्छरों से काटने से होने वाली मलेरिया व अन्य बीमारियां उन्हें मौत के मुहाने तक ले जाती हैं। सरकारी आंकड़ों में इसका उल्लेख मिलता है कि झारखंड के साथ बिहार व छत्तीसगढ़ में मच्छर जवानों के दुश्मन बने हुए हैं। गृह मंत्रालय के अफसर भी इस पर चिंता जाहिर कर चुके हैं, किन्तु मच्छरों से बचाव का रास्ता नहीं खोजा जा सका है।
 
जनता का हाईकोर्ट ही एक आसरा
जनता से जुड़ी समस्याओं के लिए अब लोगों के पास हाईकोर्ट का ही आसरा बचा है। अधिकारी सुनते नहीं है और नेताओं को चिंता नहीं होती। पिछले एक माह के भीतर झारखंड हाईकोर्ट ने लगभग आधा सैकड़ा ऐसी याचिकाओं पर सुनवाई की है, जो मूलभूत सुविधाओं (बिजली,पानी, सड़क, कानून व्यवस्था) से जुड़ी हुई हैं। न्यायविद भी मानते हैं कि संबंधित महकमों के सक्षम अधिकारियों की उदासीनता से यह चलन बढ़ा है। 

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