ध्यान रहे! इन 5 कामों के बिना आपका करवा चौथ रह जाएगा अधूरा
क्यों है करवा चौथ इतना महत्वपूर्ण... करवा चौथ उत्तर भारतीय स्त्रियों के लिए एक बेहद ही ख़ास त्योहार है। भारत में इस व्रत को खासकर पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश और राजस्थान में सबसे
क्यों है करवा चौथ इतना महत्वपूर्ण...
करवा चौथ उत्तर भारतीय स्त्रियों के लिए एक बेहद ही ख़ास त्योहार है। भारत में इस व्रत को खासकर पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश और राजस्थान में सबसे ज्यादा तवज्जो दी जाती है। ये व्रत सिर्फ धार्मिक कारणों और मान्यताओं के लिए ही नहीं बल्कि पति-पत्नी के आपसी प्रेम और समर्पण का भी त्योहार है। करवा चौथ पति की लंबी आयु के लिए रखा जाने वाला व्रत है।
क्या है इस व्रत का महत्त्व
सब लोग ये तो जानते हैं कि इस व्रत को पत्नियां अपने पतियों की लंबी उम्र के लिए रखती हैं लेकिन क्या आप इसके महत्त्व के बारे में जानते हैं। मान्यताओं के मुताबिक और छांदोग्य उपनिषद के अनुसार करवा चौथ के दिन व्रत रखने वाली चंद्रमा में पुरुष रूपी ब्रह्मा की उपासना करने से सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। इससे जीवन के सभी तरह के कष्टों का निवारण तो होता ही है साथ ही लंबी उम्र भी प्राप्त होती है। करवा चौथ के व्रत में शिव, पार्वती, कार्तिकेय, गणोश तथा चंद्रमा का पूजन करना चाहिए। चंद्रोदय के बाद चंद्रमा को अघ्र्य देकर पूजा होती है। पूजा के बाद मिट्टी के करवे में चावल,उड़द की दाल, सुहाग की सामग्री रखकर सास अथवा सास के समकक्ष किसी सुहागिन के पांव छूकर सुहाग सामग्री भेंट करनी चाहिए।
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व्रत के बारे में महाभारत से संबंधित पौराणिक कथा के अनुसार पांडव पुत्र अर्जुन तपस्या करने नीलगिरी पर्वत पर चले गए। दूसरी ओर बाकी पांडवों पर कई प्रकार के संकट आन पड़ते हैं। अर्जुन की पत्नी द्रौपदी भगवान श्रीकृष्ण से उपाय पूछती हैं। तभी उनके सखा श्रीकृष्ण उन्हें कार्तिक कृष्ण चतुर्थी के दिन करवाचौथ का व्रत करने के बारे में बताते हैं, जिससे अर्जुन के सभी कष्ट दूर होगें। श्रीकृष्ण द्वारा बताए गए विधि विधान से द्रौपदी करवाचौथ का व्रत रखती हैं जिससे उनके समस्त कष्ट दूर हो जाते हैं। इस प्रकार की कथाओं से करवा चौथ का महत्त्व हम सबके सामने आ जाता है। यह व्रत यह कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है।
अगली स्लाइड में जानिए क्या हैं वो 5 काम जिनके बिना आपका करवा चौथ रह जाएगा अधूरा....
ध्यान रहे! इन 5 कामों के बिना आपका करवा चौथ रह जाएगा अधूरा
1. बहू को सरगी देना है बेहद ज़रूरी
ससुराल से मिलने वाली सरगी करवा चौथ के व्रत का सबसे ज़रूरी हिस्सा होती है। बता दें की व्रत शुरू होने से पहले हर सास अपनी बहू को कुछ मिठाइयां, कपड़े और श्रृंगार का सामान देती हैं, इसे ही सरगी कहा जाता है। करवा चौथ के दिन सूर्योदय होने से पहले सुबह लगभग चार बजे के आस-पास महिलाएं इसी सरगी को खाकर अपने व्रत की शुरुवात करती हैं।
ध्यान रहे! इन 5 कामों के बिना आपका करवा चौथ रह जाएगा अधूरा
2. बेटी के घर बाया भेजती हैं मां
बता दें कि जिस तरह तरह सास का अपनी बहू को देती है उसी तरह बाया, मां और बेटी से जुड़ी रस्म है। हर करवा चौथ पर शाम को चौथ माता की पूजा शुरू होने से पहले हर मां अपनी बेटी के घर कुछ मिठाइयां, तोहफे और ड्राई फ्रूट्स भेजती है। इसे बाया कहा जाता है। ध्यान रखें बाया पूजा शुरू होने से पहले ही पहुंचाया जाना शुभ होता है।
ध्यान रहे! इन 5 कामों के बिना आपका करवा चौथ रह जाएगा अधूरा
3. कथा सुनना भी है ज़रूरी
करवा चौथ में जितना महत्व व्रत और पूजा का है उतना ही महत्व करवा चौथ की कथा सुनने का भी है। अक्सर ये देखा जाता है कि कई महिलाओं को कथा सुनने में रुचि नहीं होती और इसी वजह से वे कथा में अपना ध्यान नहीं लगातीं। हालांकि बिना कथा सुने आपका इस व्रत को रखने का कोई फायदा नहीं है। इस त्योहार में जितना जरूरी व्रत और पूजा करना होता है, उतना ही जरूरी कथा सुनना भी होता है। इसलिए सभी महिलाओं को एकचित्त होकर कथा सुननी चाहिए और अगर कथा नहीं सुननी है तो व्रत से भी परहेज करना चाहिए।
ध्यान रहे! इन 5 कामों के बिना आपका करवा चौथ रह जाएगा अधूरा
करवा चौथ के गीत भी गाएं
करवा चौथ की पूजा के लिए आस-पास की सभी महिलाएं एक जगह मिलकर व्रत कथा सुनती हैं और पूजा करती हैं। ऐसे में पूजा के समय ही करवा चौथ के गीत और भजन गाए जाते हैं, इनमें हिस्सा लेना भी कथा सुनने के जितना ही महत्वपूर्ण है। ऐसा करने से वातावरण शुद्ध होता है और पूजा का पूरा फल प्राप्त होता है।
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लाल साड़ी या लहंगा ही पहनें
ये तो सभी जानते हैं कि करवा चौथ का व्रत महिलाओं के वैवाहिक जीवन से जुड़ा होता है। इसलिए ये कहा जाता है कि महिलाओं को इस दिन अपनी शादी का जोड़ा पहनना चाहिए। अगर किसी के पास शादी का जोड़ा नहीं है तो उसे लाल रंग की साड़ी या लहंगा पहनना चाहिए। असल में मान्यताओं के मुताबिक लाल रंग को प्रेम का प्रतीक माना जाता है। करवा चौथ के दिन जितना ज्यादा से ज्यादा हो सके इसी रंग का प्रयोग करना चाहिए।
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