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यूपीएससी में 83 बिहारियों ने लहराया परचम, जानिए सफलता की कहानी उनके जुबानी

संघ लोक सेवा आयोग की ओर से सिविल सेवा 2014 का फाइनल रिजल्ट शनिवार को जारी कर दिया गया। देशभर में 1236 परीक्षार्थियों को सफल घोषित किया गया है। इस बार बिहार से 83 परीक्षार्थियों को सफलता मिली है।...

यूपीएससी में 83 बिहारियों ने लहराया परचम, जानिए सफलता की कहानी उनके जुबानी
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 05 Jul 2015 07:23 PM
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संघ लोक सेवा आयोग की ओर से सिविल सेवा 2014 का फाइनल रिजल्ट शनिवार को जारी कर दिया गया। देशभर में 1236 परीक्षार्थियों को सफल घोषित किया गया है। इस बार बिहार से 83 परीक्षार्थियों को सफलता मिली है। शीर्ष सौ में सात अभ्यर्थी बिहार से हैं। बिहार के सुहर्ष भगत ने देशभर में पांचवा स्थान लाकर राज्य का नाम रौशन किया है। बिहार के रहने वाले भगत आईआईटी मुंबई से केमिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर चुके हैं।

उनके पिता डॉक्टर फलेंद्र भगत समस्तीपुर में कार्यरत हैं। सुहर्ष का 2011 में भारतीय लेखा परीक्षा एवं लेखा सेवा (आईएएएस) में चयन हुआ था। 2012 में दोबारा परीक्षा दी और उन्हें भारतीय सूचना सेवा में जगह मिली। 2013 में उन्हें आईआरएस  मिला। वह इस समय नागपुर में तैनात हैं। समस्तीपुर के रहने वाले भगत अपने रिजल्ट से काफी प्रसन्न हैं। इन्हें उम्मीद थी कि इस बार उनका रिजल्ट अच्छा होगा। पर टॉप फाइव में आ जाएंगे इसकी उम्मीद नहीं की थी।

मां के त्याग और पिता के मार्गदर्शन से मिली सफलताः सुहर्ष भगत
यूपीएससी की परीक्षा में देश में पांचवां स्थान लाकर सुहर्ष भगत ने जिले का नाम रोशन किया है। परिणाम की जानकारी मिलते ही इनके घर में खुशी की लहर दौड़ गई। सुहर्ष ने कहा कि पिता के कुशल मार्गदर्शन और मां के त्याग का ही परिणाम है कि मुझे यूपीएससी की परीक्षा में देश में पांचवां स्थान मिला है।

पिता डॉक्टर फुलेंद्र भगत ने बताया कि सुहर्ष की शुरुआती पढ़ाई शहर के धर्मपुर स्थित निजी स्कूल ग्रीनलैंड में हुई थी। दसवीं तक की पढ़ाई आरके मिशन, देवघर में हुई। वर्ष 2003 में सुहर्ष का दाखिला डीपीएस, आरकेपुरम, दिल्ली में कराया गया। वर्ष 2010 में सुहर्ष का सेलेक्शन आईआईटी मुंबई के लिए हुआ।

वहां उसने केमिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई शुरू की। इसी बीच पहली बार में ही यूपीएससी की परीक्षा पास कर ली। 2011 बैच में इंडियन ऑडिट एंड एकाउंट सर्विस में सात महीने तक शिमला में प्रशिक्षण लेने के बाद इस्तीफा दे दिया। फिर से यूपीएससी में उसका चुनाव हो गया और नागपुर में इनकम टैक्स का प्रशिक्षण ले रहे थे। इसी दौरान फिर से यूपीएससी का रिजल्ट आ गया, जिसमें पूरे देश में उन्हें पांचवां स्थान मिला।

तीन-तीन बार पास की यूपीएससी
सुहर्ष ने बताया कि वह इससे पहले दो बार यूपीएससी की परीक्षा पास कर चुके हैं। पिछले दो साल से परीक्षा का पैटर्न काफी बदल गया था। पर लगन और मेहनत के साथ नियमित तैयारी करने से ही सफलता मिलती है।

बच्चों की लगन देख पिता ने शहर में बसे
समस्तीपुर शहर के बहादुरपुर मोहल्ला स्थित वार्ड 27 के निवासी डॉक्टर फुलेंद्र भगत के दो बेटों में सुहर्ष बड़े हैं। परिवार के सभी सदस्य उच्च शिक्षा प्राप्त हैं। पिता चिकित्सक हैं, माता मधु भगत मनोविज्ञान से एमए हैं। छोटा भाई निकेत हर्ष दिल्ली स्थित मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज से एमएस कर रहा है। उनका पैतृक घर उजियारपुर थाना क्षेत्र के भगवानपुर देसुआ गांव में पड़ता है।

बच्चों की पढ़ाई लिखाई के लिए ही पिता ने शहर में मकान बनाकर रहना शुरू कर दिया था। माता मधु भगत पेपर मिल कैंपस में मां ज्ञान दीप पब्लिक स्कूल चला कर बच्चों में शिक्षा का अलख जगा रही हैं।

किसान के बेटे ने यूपीएससी की परीक्षा में मारी बाजी
बेगूसराय। एक प्रतिनिधि। मन में लगन हो और कठिन परिश्रम करने का जज्बा हो तो कोई भी लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है। बाघा में रहनेवाले सरोज कुमार ने यूपीएससी की परीक्षा में 984वां स्थान प्राप्त कर इसे साबित कर दिखाया है। वे वर्तमान में सीआरपीएफ में असिस्टेंट कमांडेंट के पद पर कार्यरत हैं। वैसे विद्यार्थी के लिए इनकी यह सफलता प्रेरणास्रोत है जो शुरुआत की परीक्षाओं में अच्छा रिजल्ट नहीं मिलने से विचलित हो जाते हैं।

सरोज मूल रूप से समस्तीपुर के पतेलिया निवासी शिवनंदन चौरसिया के पुत्र हैं। उनके पिता किसान हैं जबकि माता सरस्वती देवी गृहिणी हैं। उनकी प्रारंभिक पढ़ाई गांव में ही हुई। बिहार बोर्ड से ही उन्होंने वर्ष 2002 में मैट्रिक की परीक्षा दी। इसमें उन्हें 59 प्रतिशत अंक प्राप्त हुए। वहीं, वर्ष 2004 में इंटर में उन्हें 67 प्रतिशत अंक प्राप्त हुए। इसके बाद उन्होंने इग्नू से स्नातक व पीजी की पढ़ाई की।

उन्होंने बताया कि उनके चाचा बरौनी रिफाइनरी में इंजीनियर के पद पर कार्यरत हैं। इसलिए प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के लिए वे बेगूसराय आ गए। वर्ष 2004 में बेगूसराय पॉलिटेक्निक में उनका चयन हो गया। लेकिन, इसी दौरान बेगूसराय में ही सिविल सर्विसेस की तैयारी करने वाले कोचिंग संस्थान से वे जुड़ गए। इसके बाद उनमें प्रशासनिक सेवा में जाने की ललक जाग उठी। लेकिन, इस लक्ष्य तक पहुंचने में लंबा सफर तय करना पड़ा।

वर्ष 2006 में उनका चयन कॉमर्शियल क्लर्क के रूप में हुआ। बाद में उन्हें 2008 बैच के असिस्टेंट कमांडेंट के रूप में सफलता मिली। लेकिन, उनका अंतिम लक्ष्य सिविल सेवा में जाने का था। इसलिए दिल्ली में कुछ दिनों उन्होंने इसकी कोचिंग भी की। उन्होंने कहा कि बिहार बोर्ड के विद्यार्थी यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी करने से घबराते हैं। लेकिन, कठिन परिश्रम कर कुछ भी हासिल किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि दो साल तक आठ घंटे नियमित रूप से स्वाध्याय किया जाय तो कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।

व्यवसायी के बेटे ने यूपीएससी परीक्षा में मारी बाजी
बछवाड़ा (बेगूसराय)। फतेहा निवासी शैलेन्द्र चौधरी के पुत्र आलोक कृष्णा ने यूपीएससी परीक्षा में सफलता हासिल कर अपने समाज व इलाके का नाम रौशन किया है। उन्हें 538वां स्थान मिला है। उनके पिता दलसिंहसराय बाजार में हल्दी का कारोबार करते हैं। वहीं, माता विमल कुमारी चिरंजीवीपुर मध्य विद्यालय में प्रभारी प्रधानाध्यापिका हैं।

आलोक कृष्णा वर्ष 2003 संत जोसेफ दलसिंहसराय से मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की। 12वीं की पढ़ाई डीएवी श्यामली रांची से की। उन्होंने 2010 में बीआईटी मेसरा से बीटेक किया। 2010 से 2013 सेल वर्नपुर में इंजीनियर के रूप में जॉब किया। 2013 से अब तक वे ओएनजीसी सूरत में मेटेरियल मेंनटेंनेस इंजीनियर के पद पर कार्यरत हैं।

आलोक कृष्णा ने बताया कि बचपन से ही उन्हें सिविल सेवा में जाने की तमन्ना थी। उन्होंने बताया कि यह सफल उन्हें तीसरे प्रयास में मिली है। प्रथम प्रयास में वे पीटी में विफल रहे। वर्ष 2013 में द्वितीय प्रयास में पीटी में तो सफलता हासिल की किन्तु साक्षात्कार में छंट गए। 2014 के तीसरे प्रयास में उन्होंने मंजिल पाने में सफलता हासिल की। वे अपनी तीन बहनों में इकलौते भाई हैं।

आलोक कृष्णा ने बताया कि जॉब में रहते हुए यूपीएससी की तैयारी करना मुश्किल तो है किन्तु असंभव नहीं हैं। जो भी समय मिलता था उसका सदुपयोग कर उन्होंने परीक्षा की पूरी तैयारी की। उनके पिता शैलेन्द्र चौधरी, मां विमल कुमारी व परिवार के सदस्यों समेत पूरे गांव में उनकी इस सफलता से जश्न का माहौल है। उनके गांव वाले आलोक कृष्णा के सूरत से आने का इंतजार कर रहे हैं। ग्रामीणों ने बताया कि इस माटी का लाल ने आज फतेहा समेत इस सूबे का मान बढ़ाया है, इस बात से उन्हें फर्क है।

बुनकर का बेटे ने सिविल सर्विसेज में लाया 754वां रैंक
मानपुर। एक संवाददाता। जिले के पटवाटोली में छात्रों ने आइआइटी के बाद यूपीएससी में भी परचम लहराया है। गरीब बुनकर का बेटा पिताम्बर ने यूपीएससी की परीक्षा में 754वां रैक लाकर न केवल पटवा समाज को बल्कि पूरे जिले को गौरवान्वित किया है। इनके पिता भागीरथ प्रसाद पावरलूम चलाते है। वहीं माता ढालेश्वरी देवी गृहिणी है। पिताम्बर ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा ब्रिट्रिश इंगलिश स्कूल से पूरी की। इसके बाद जगजीवन कॉलेज से इंटर पास कर वर्ष 2005 में जेनरल कोटे से 811वीं रैंक से आईआईटी में सफलता हासिल की थी।

6.50 लाख की नौकरी ठुकरायी
आईआईटी मुम्बई से केमिकल इंजीनियरिंग में बीटेक करने के बाद साढ़े छह लाख के कोल इंडिया के पैकेज को ठुकरा कर यूपीएससी की तैयारी में जूट गया था। पांचवीं प्रयास में उसे यूपीएससी में सफलता मिली। इससे पहले तीन बार मेन्स परीक्षा दे चुका था। पिताम्बर ने बताया कि सफलता के लिए कठिन परिश्रम के साथ धैर्य रखना आवश्यक है।

कभी नहीं मानी हार, तब मिली सफलता
मुझे दूसरी बार में सफलता मिली है। पहली बार जब पीटी क्वालिफाई करने के बाद मुख्य परीक्षा में शामिल होना था उसी वक्त एनटीपीसी से कॉल आ गया। अगर नौकरी नहीं ज्वाइन करता तो दिक्कत थी। एक नौकरी मिल रही थी, दूसरी के लिए परीक्षा देना था। पर मुख्य परीक्षा में शामिल ही नहीं हुआ।

एनटीपीसी में नौकरी पकड़ ली। दूसरा मौका हाथ से नहीं जाने दिया। नौकरी करते हुए सिविल सेवा की तैयारी में लगा रहा। नौकरी के दरम्यान सिविल की तैयारी करना थोड़ा कठिन था। बावजूद तैयारी करता रहा। इसका फल मिला। मेरी सफलता में मेरे घरवालों का बड़ा योगदान है। मेरे प्रेरणास्रोत दादा जी शिववंश पांडेय थे। पापा शंभूनाथ पांडेय हमेशा आगे बढ़ने की प्रेरणा देते रहते थे।
अंकित पांडेय, रैंक 523 (पटना)

पहली बार में ही सफल होकर सत्यम ने बढ़ाया मान

पहले ही मौके में सफलता मिलेगी, ऐसा सोचा नहीं था। मेहनत जमकर की। साक्षात्कार भी बेहतर हुआ था। यूपीएससी की परीक्षा में पहले ही मौके पर सफलता प्राप्त करना अपने आप में ही बड़ी बात है। पर आगे भी तैयारी होती रहेगी ताकि इससे बेहतर रैंक प्राप्त हो सके। आईएसएम धनबाद से बीटेक किया है। वैकल्पिक विषय दर्शनशास्त्र लिया था। मेरे पिता राकेश मोहन बिहार राज्य पयर्टन विभाग में एमडी के पद पर हैं। मां डॉ. पुष्पलता हैं।
सत्यम, रैंक 681 (पटना)

भगवान पर विश्वास और लगातार प्रयास से मिली सफलता
बख्तियारपुर के रहनेवाले आशीष कुमार इस बार यूपीएससी में सफल रहे। रिजल्ट आने के बाद भावुक आशीष ने कहा कि भगवान पर विश्वास और लगातार प्रयास ने मुझे इस बार फिर से सफलता दिलाई। अब तक चार बार इंटरव्यू दे चुके आशीष को बेहतर परिणाम की पहले से ही उम्मीद थी। उन्होंने अपनी सफलता में अपने छोटे चाचा दिलीप कुमार, बचपन के शिक्षक अनिल कुमार व दिल्ली में शिक्षक रहे कुमार सर्वेशजी की महती भूमिका बताई। 

घर, गांव व प्रदेश का नाम ऊंचा करने वाले आशीष बताते हैं कि घर की आर्थिक स्थिति ठीक न रहने के कारण बचपन से समस्या रही लेकिन उन्हें यकीन था कि मेहनत करने पर ये दिक्कतें न रहेंगी। आशीष ने रेलवे में टीसी से शुरुआत की फिर 2008 में बैंक पीओ में चयनित हुए। 2008 में ही इन्कम टैक्स इंस्पेक्टर के रूप में भी उनका चयन हुआ। आसनसोल में रेलवे में एडीएफएम के पद कार्यरत आशीष 2012 में यूपीएसएसी में क्वालिफाई कर चुके थे लेकिन जिद कुछ और बेहतर करने की थी। पिता नन्दकिशोर साव व माता शीला देवी के संस्कारों को वे अपने सफलता का सबसे सशक्त सहारा मानते हैं। आशीष के बड़े भाई आकाश कुमार आर्य पटना जंक्शन पर सिनियर टीटीई के रूप में कार्यरत हैं।
रैंक 759, आशीष कुमार

दीदी तू आईएएस बन गई
पटना। बड़ी बहन नेहा का यूपीएससी का रिजल्ट शनिवार को आने वाला था। वह दिल्ली में रहकर तैयारी कर रही थी। रिजल्ट आने के पहले मंदिर गई थी। घर वाले भी इंतजार में थे। नेहा मंदिर में थी तभी उसकी छोटी बहन दिव्या ने फोन कर कहा- दीदी, तू आईएएस बन गई। दिव्या पुणे में सॉफ्टवेयर इंजीनियर है।

उसने नेहा से कहा- तुम्हारा रिजल्ट हो गया। बधाई हो। तुमने तहलका मचा दिया। बहन की आवाज सुनकर बड़ी बहन मंदिर में खुशी से झूमने लगी। नेहा ने तुरंत पटना के रामनगरी में अपने घर फोन कर सूचना दी- मां, तुम्हारी बेटी आईएएस बन गई। मेरा रिजल्ट हो गया। मेरी मेहनत रंग लाई। मां और पापा तुम्हारा सपना पूरा हो गया।

बेटी की सफलता से मां गीता सिंह और पिता दिलीप सिंह की खुशी देखते ही बनती है। मां बताती हैं कि बेटी बीटेक करने के बाद दिल्ली में यूपीएससी की तैयारी करने गई थी। हमलोगों को पूरा भरोसा था कि बेटी का रिजल्ट होगा। दो बार मुख्य परीक्षा तक पहुंच गई थी पर साक्षात्कार में रिजल्ट नहीं हुआ। हमलोगों ने हमेशा से उसकी हिम्मत बढ़ाई है। इसका नतीजा है कि बेटी कामयाब हो गयी। बताया कि बेटी ने समाजशास्त्र विषय लेकर पढ़ाई की थी।

इसी तरह से मधुबनी के राजू मिश्रा ने देशभर में 65 वां रैंक प्राप्त किया है। अंकित पांडेय को 523वां रैंक मिला है।   एसएसपी विकास वैभव के छोटे भाई विराज सिंह भी सफल हुए हैं। उनका ऑल इंडिया रैंक 593 है। वहीं बिहार राज्य पर्यटन निगम के एमडी राकेश मोहन के पुत्र सत्यम मोहन को 681 वां रैंक प्राप्त हुआ है।

उन्हें पहले ही अवसर में कामयाबी मिली है। वहीं बख्तियारपुर के आशीष कुमार को 759 वां रैंक प्राप्त हुआ है। इसके अलावा कई अन्य छात्रों को सफलता मिली है। इसमें कुछ लड़कियां भी शामिल हैं। वहीं पूरे देश में यूपीएससी की परीक्षा में टॉप चार में जगह बनाने वाली सभी लड़कियां ही हैं। ऐसा लंबे समय के बाद हुआ है। जानकारों की मानें तो पिछले साल से बेहतर रिजल्ट हुआ है।

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